
संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस आज देशभर में प्रोटेस्ट कर रही है. पार्टी के इन विरोध प्रदर्शन के बीच मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने राहुल और प्रियंका गांधी पर निशाना साधा है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती के भतीजे और बसपा नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद ने कहा कि करोड़ों शोषितों, वंचितों और गरीबों के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी भगवान ही हैं. लेकिन वोटों के लिए उनके नाम का इस्तेमाल करना आज कल एक फैशन हो गया है.
उन्होंने कहा कि पहले देश के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में उनका अपमान किया, फिर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने हमारी नीली क्रांति को फैशन शो बनाया और उसके बाद अरविंद केजरीवाल ने बाबा साहेब की छवि के साथ छेड़छाड़ की. देश के दलित, शोषित, वंचितों और उपेक्षितों के आत्म-सम्मान के लिए बीएसपी का मिशन जारी रहेगा. गृहमंत्री अमित शाह जको पश्चाताप करना ही पड़ेगा.
बता दें कि बसपा का भी आज दिल्ली में प्रदर्शन है. पार्टी आज लखनऊ में दोपहर एक बजे विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी और इसके बाद राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए डीएम को ज्ञापन सौंपा जाएगा.
अमित शाह ने क्या कहा था?
इस विवाद की शुरुआत 17 दिसंबर को अमित शाह के संसद में दिए एक भाषण के बाद हुई थी. राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट से आंबेडकर के इस्तीफे के बारे में बात कर रहे थे. करीब डेढ़ घंटे की स्पीच में 1 घंटा 7 मिनट के आसपास अमित शाह ने कहा, “अभी एक फैशन हो गया है.. आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.
उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए कहा था कि हमें तो आनंद है कि आंबेडकर का नाम लेते हैं. आंबेडकर का नाम अभी सौ बार ज्यादा लो. परंतु आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है ये मैं बताता हूं. आंबेडकर जी को देश कि पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया”.
गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा था कि उन्होंने (आंबेडकर) कई बार कहा कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ होने वाले व्यवहार से असंतुष्ट हैं. उन्होंने सरकार की विदेश नीति से असहमति जताई थी, अनुच्छेद 370 से भी सहमत नहीं थे. आंबेडकर को आश्वासन दिया गया था, जो पूरा नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था."