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निखिल गुप्ता को तीन बार मिला कॉन्सुलर एक्सेस, पन्नू की हत्या की साजिश का है आरोप

पन्नू की हत्या की कथित साजिश में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता का नाम सामने आया था. वह फिलहाल चेक गणराज्य की जेल में बंद है. अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि एक अज्ञात भारतीय सरकारी कर्मचारी के निर्देश पर निखिल गुप्ता ने अमेरिका में पन्नू को मारने की साजिश रची थी.

गुरपतवंत सिंह पन्नू गुरपतवंत सिंह पन्नू
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:20 PM IST

खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश का मामला विवादों में बना हुआ है. इस मामले में अब विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पन्नू की कथित हत्या की साजिश के आरोपी निखिल गुप्ता को तीन बार कॉन्सुलर एक्सेस मिला था. 

पन्नू की हत्या की कथित साजिश में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता का नाम सामने आया था. वह फिलहाल चेक गणराज्य की जेल में बंद है. अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि एक अज्ञात भारतीय सरकारी कर्मचारी के निर्देश पर निखिल गुप्ता ने अमेरिका में पन्नू को मारने की साजिश रची थी. निखिल को 30 जून को अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था. 

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक भारतीय नागरिक फिलहाल चेक गणराज्य की हिरासत में है.  उसके प्रत्यर्पण की याचिका फिलहाल लंबित है. हमें तीन बार कॉन्सुलर एक्सेस मिला. 

क्या होता है कॉन्सुलर एक्सेस?

किसी देश का व्यक्ति अगर किसी दूसरे देश की जेल में बंद है तो कॉन्सुलर एक्सेस के तहत देश के राजनयिक या अधिकारी को जेल में बंद कैदी से मिलने की इजाजत दी जाती है.

बता दें कि 29 नवंबर को भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या की कथित साजिश रचने का आरोप लगा था. अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि निखिल गुप्ता न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले सिख अलगाववादी पन्नू को मारने के लिए एक हत्यारे को 100,000 अमेरिकी डॉलर देने पर सहमत हुए थे. 

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निखिल गुप्ता पर यह भी आरोप है कि उसने पन्नू की हत्या के लिए एक लाख डॉलर देने की बात कही थी. इसमें से 15 हजार डॉलर की एडवांस पेमेंट 9 जून 2023 को कर दी गई थी. लेकिन, जिस शख्स को इस काम के लिए हायर किया गया था, वह अमेरिकी एजेंसी का ही खुफिया एजेंट था.

पीएम मोदी ने क्या कहा था?

हाल ही में पीएम मोदी ने ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि विदेशों में छिपे कुछ चरमपंथी समूह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में डराने-धमकाने और हिंसा भड़काने में लगे हुए हैं.

पीएम मोदी ने कहा था कि सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग दोनों देशों के बीच साझेदारी का प्रमुख पैमाना रहा है. मुझे नहीं लगता है कि कुछ घटनाओं को दोनों देशों के राजनयिक संबंधों से जोड़ना उचित है. हमें इस तथ्य को स्वीकार करने की जरूरत है कि हम बहुपक्षवाद के युग में जी रहे हैं. दुनिया एक दूसरे से जुड़ी होने के साथ-साथ एक दूसरे पर निर्भर भी है. 

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