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किसान आंदोलन पर अमेरिका ने दी प्रतिक्रिया, भारत ने याद दिलाई कैपिटल हिल हिंसा

विदेश मंत्रालय ने 26 जनवरी की हिंसा की तुलना अमेरिका के कैपिटल हिल दंगा से करते हुए कहा कि किसी भी विरोध-प्रदर्शन को पूरे संदर्भ में देखा जाना चाहिए. 

किसान आंदोलन (फ़ोटो- पीटीआई) किसान आंदोलन (फ़ोटो- पीटीआई)
गीता मोहन/कमलजीत संधू
  • नई दिली ,
  • 04 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:51 PM IST
  • अमेरिका की प्रतिक्रिया पर MEA का जवाब
  • भारत ने याद दिलाया कैपिटल हिल दंगा
  • MEA ने कहा- भारत और US दोनों जीवंत लोकतंत्र

देश में कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन दुनियाभर में सुर्खियां बंटोर रहा है. तमाम इंटरनेशनल हस्तियों समेत अमेरिका की ओर से भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी गई. ऐसे में गुरुवार को विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. जिसमें किसान आंदोलन पर अमेरिका की चिंता का जवाब दिया गया. MEA ने 26 जनवरी की हिंसा की तुलना अमेरिका के कैपिटल हिल दंगा से करते हुए कहा कि किसी भी विरोध-प्रदर्शन को पूरे संदर्भ में देखा जाना चाहिए. 

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MEA के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि किसान आंदोल से जारी गतिरोध को हल करने के लिए भारत सरकार और किसान संगठनों के प्रयासों को भी देखा जाना चाहिए. बता दें कि इस मसले पर अमेरिका ने एक दिन पहले कहा था कि किसी भी विवाद या प्रदर्शन को लेकर दोनों पार्टियों में चर्चा होनी चाहिए और बातचीत के जरिए मसले का हल निकलना चाहिए. इंटरनेट बैन को लेकर भी अमेरिका की ओर से प्रतिक्रिया आई थी. 

इस पर जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान के माध्यम से कहा, "किसी भी विरोध को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. साथ ही गतिरोध को हल करने के लिए सरकार के प्रयास पर ध्यान देना चाहिए." इंटरनेट बैन के बारे में अमेरिका की प्रतिक्रिया पर विदेश मंत्रालय ने कहा, "दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के कुछ हिस्सों में इंटरनेट बैन अस्थायी है. ये उपाय आगे किसी भी हिंसा को रोकने के लिए किए गए थे." 

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MEA ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों जीवंत लोकतंत्र हैं. 26 जनवरी को ऐतिहासिक लाल किले पर हिंसा की घटनाओं पर भारत ने वैसी ही प्रतिक्रियाएं दीं, जैसा कि 6 जनवरी को कैपिटल हिल पर हुई हिंसा को लेकर अमेरिका ने दी थी. दोनों जगह अपने-अपने कानूनों के आधार पर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया. 

MEA ने कहा कि भारत ने सिखों के मामले में जस्टिस/रेफरेंडम 2020 के लिए अमेरिका में एक म्युचुअल लीगल असिस्टेंस रिक्वेस्ट जारी की है. प्रक्रिया के अनुसार, संबंधित अधिकारियों द्वारा सीधे यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DoJ) को अनुरोध भेजा गया है.  

वहीं, म्यांमार के घटनाक्रम पर भी MEA ने प्रतिक्रिया दी. मंत्रालय ने कहा कि भारत और म्यांमार अच्छे पड़ोसी हैं, जो व्यापार, आर्थिक, सुरक्षा और रक्षा संबंधी आदान-प्रदान से जुड़े हुए हैं. इसलिए हम उस देश के घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य के रूप में भी इस मुद्दे को देख रहे हैं. MEA ने आगे कहा कि भारत ने दवा, टेस्टिंग किट और कोरोना वैक्सीन देकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में म्यांमार को सहायता दी है.

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MEA ने कहा कि भारत ने अब तक भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, मॉरीशस, सेशेल्स, श्रीलंका, यूएई, ब्राजील, मोरक्को, बहरीन, ओमान, मिस्र, अल्जीरिया, कुवैत और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति की है. आने वाले हफ्तों में भारतीय वैक्सीन अफगानिस्तान, मंगोलिया आदि देशों में भी भेजी जाएगी.
 
कोलंबो पोर्ट के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत, श्रीलंका और जापान ने मई 2019 में कोलंबो पोर्ट के ईस्ट कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने और संचालित करने के लिए एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. भारत मानता है कि वह और जापान के विदेशी निवेश के साथ, बंदरगाहों और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में श्रीलंका में बुनियादी ढांचे का विकास एक पारस्परिक रूप से लाभप्रद प्रस्ताव होगा. 

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