
संसद के बजट सत्र के पहले सेशन का आज आखिरी दिन है. सरकार ने आज वक्फ बोर्ड बिल पर JPC की रिपोर्ट पहले राज्यसभा में पेश कर दी और आज ही लोकसभा में भी पेश होगी. जेपीसी की तरफ से सदस्य मेधा कुलकर्णी ने बिल पेश की. इस दौरान उच्च सदन में जमकर शोर-शराबा हुआ लेकिन इसके बीच यह रिपोर्ट पेश कर दी गई.रिपोर्ट के पेश होते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया.
कांग्रेस ने रिपोर्ट को एकतरफा और भेदभाव बताया. राज्य सभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रिपोर्ट को फर्जी बताते हुए कहा कि ऐसी फर्जी रिपोर्ट नहीं मानेंगे. खड़गे ने वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी रिपोर्ट को असंवैधानिक बताते हुए इसे फिर से जेपीसी में भेजने की मांग की.
मेधा कुलकर्णी का विपक्ष पर हमला
कुछ सांसद कह रहे हैं कि इस जेपीसी रिपोर्ट से मुस्लिमों के अधिकार छीने जा रहे हैं? संसद भवन परिसर में आजतक के इस सवाल का जवाब देते हुए जेपीसी सदस्य मेधा कुलकर्णी ने कहा, 'हमारे जो मुस्लिम सांसद भाई आज यहां बोलते हैं और देश के मुस्लिम भाईयों को भड़काना चाहते हैं, उन्होंने खुद ने सुना है कि बहुत सारे हमारे डिप्राइव्ड भाई भी आए थे वहां. उन्होंने कहा था कि आज तक हमें वक्फ की लैंड का कोई फायदा नहीं हुआ. किसी ने हमें ना शिक्षा के लिए मदद की और हॉस्पिटल के लिए मदद की. कुछ नहीं किया है. अगर किसी ने अल्लाह के नाम पर दान दिया है तो फिर कुछ हमारे लिए भी होना चाहिए. उसका फायदा सबको होना चाहिए. हम क्यों उससे वंचित रहें. सबका डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिए. तो इसलिए यह कानून बना है जो सबके लिए है.'
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विपक्ष का आरोप
वहीं विपक्ष का आरोप है कि जेपीसी मीटिंग में उनकी बातें नहीं सुनी गई लेकिन जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल इन आरोपों से इंकार करते हैं. विपक्ष का कहना है कि वक्फ़ पर बनी जेपीसी का मतलब क्या है? जितने संशोधन विपक्ष ने दिए थे एक भी एक भी शामिल नहीं किया गया. यह JPC नहीं सरकार की PC है...सदन में इसका हम विरोध करेंगे.
राज्यसभा में पेश वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पर टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा, "आप देखेंगे तो उन्होंने समिति की रिपोर्ट पेश की है, उसमें असहमति नोट पर काली स्याही या सफेद कागज से सेंसर कर दिया है. अगर हम इस देश को लोकतंत्र मानते हैं, तो हर किसी की मत दिखना चाहिए. हमने आज राज्यसभा में इस पर प्रदर्शन किया है."
तो वक्फ अधिनियम में होंगे ये बदलाव
वक्फ बोर्ड बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट की अधिकृत डिटेल अभी सामने नहीं आई है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक जेपीसी ने जिन संशोधनों को मंजूरी दी है उनके मुताबिक बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी जगह मिलेगी. राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में अब दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य होगा. वक्फ बोर्ड में महिला प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा. इसके अलावा वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए जिला मजिस्ट्रेटों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी. वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों को सीमित करने के लिए कुछ प्रावधानों को हटाया जाएग जिससे वे बिना आवश्यक जांच के किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं कर सकेंगे.
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वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए उनके डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाएगा और संपत्तियों की ऑडिट प्रणाली में सुधार किए जाएंगे. इतना ही नहीं अवैध रूप से कब्जा की गई वक्फ संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी प्रणाली में सुधार किए जाएंगे. राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड के सभी सदस्यों को नामित करने की अनुमति दी जाएगी, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार होगा. वक्फ संपत्तियों के अनधिकृत हस्तांतरण के लिए कड़ी सजा के प्रावधान किए जाएंगे और वक्फ बोर्ड के लिए वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा.