
जलते घर, लुटती दुकानें, अंधाधुंध फायरिंग, महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर दौड़ाना और पीटना, 150 लोगों की मौत, राहत शिविरों में रहने को मजबूर लोग... ये हालात मणिपुर के हैं, जो पिछले 3 मई से हिंसा की आग में जल रहा है. वजह है कुकी और मैतेई समुदाय का जातीय संघर्ष. ऐसे में राज्य के जमीनी हालातों को जानने के लिए विपक्षी दलों का 21 सांसदों का डेलिगेशन शनिवार से (29-30 जुलाई) मणिपुर के 2 दिन के दौरे पर जा रहा है. ये डेलिगेशन मणिपुर की जमीनी समस्याओं को जानेगा और इसके समाधान के लिए सरकार और संसद से सिफारिशें करेगा.
विपक्ष के डेलिगेशन को 2 हिस्सों में बांटा गया है. टीम-A और टीम-B. टीम-ए में 10 सदस्य हैं, जबकि टीम-बी में 11 सदस्य हैं. सभी 21 सदस्य सुबह 8.55 पर दिल्ली से इंफाल के लिए इंडिगो की फ्लाइट 6E 2615 से रवाना होंगे, जो कि दोपहर 12 बजे इंफाल पहुंचेंगे.
इस दौरे से पहले कांग्रेस के नेता गौरव गोगोई ने मणिपुर हिंसा की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से जांच कराने की मांग की. गोगोई ने कहा कि बीजेपी यह बताना चाहती है कि मणिपुर में सब कुछ ठीक है, लेकिन हिंसा जारी है, हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज के तहत इस मामले की जांच कराई जाए कि राज्य सरकार ने ऐसा कैसे किया. लोगों को इतनी मात्रा में हथियार कैसे मिल गए, प्रशासन क्या कर रहा था? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह खुद स्वीकार कर चुके हैं कि 100 से अधिक FIR दर्ज की गई है. मैं मणिपुर जाऊंगा और सच्चाई का पता लगाऊंगा और उस सच्चाई को संसद के सामने रखूंगा.
चुराचांदपुर के दूर-दराज के इलाकों में जाने की है योजना
सूत्रों के मुताबिक विपक्षी गुट ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पत्र लिखा था, जिन्होंने डेलिगेशन को राज्य का दौरा करने की अनुमति दी है. हुसैन ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल रविवार को सुबह मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात करेगा. कांग्रेस नेता नसीर हुसैन ने कहा कि सांसदों ने मणिपुर में हेलीकॉप्टरों का उपयोग करने की मांग की है. अगर इसकी अनुमति दी गई, तो डेलिगेशन के सदस्य चुराचांदपुर के दूर-दराज के इलाकों का दौरा करेंगे, ये वही इलाका है जहां हाल ही में हिंसा की घटनाएं हुई हैं.
प्रभावित क्षेत्र और राहत शिविरों का दौरा करेगा डेलिगेशन
कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में सचेतक नसीर हुसैन ने कहा कि 16 पार्टियों के सांसद घाटी और पहाड़ी दोनों प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे. वह प्रभावित लोगों से बातचीत कर उनकी परेशानियों को सुनेंगे. साथ ही पहाड़ी और घाटी में 2-2 राहत शिविरों का भी दौरा करेंगे. हुसैन ने कहा कि हमें प्रभावित क्षेत्रों और राहत शिविरों का दौरा करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मिल गई है. हमें राज्यपाल से मिलने की भी अनुमति मिली है, उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को रविवार को समय दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए के पास मणिपुर हिंसा को हल करने की न तो इच्छाशक्ति है और न ही क्षमता. उन्होंने कहा कि संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से विपक्ष लगातार मणिपुर पर चर्चा की मांग कर रहा है. पीएम मोदी को संसद में आकर बयान देना चाहिए और मणिपुर में शांति के लिए रोडमैप तैयार करना चाहिए.
ये नेता जाएंगे मणिपुर
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, फूलो देवी नेताम और के सुरेश, TMC की सुष्मिता देव, JMM से महुआ माजी, DMK से कनिमोझी, NCP से मोहम्मद फैजल, RLD के जयंत चौधरी, RJD के मनोज कुमार झा, RSP के एनके प्रेमचंद्रन और VCK के टी तिरुमावलवन शामिल होंगे. इसके साथ ही JDU प्रमुख राजीव रंजन (ललन) सिंह, अनिल प्रसाद हेगड़े, CPI के संदोश कुमार, CPI (M) के ए ए रहीम, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, IUML के ई टी मोहम्मद बशीर, AAP के सुशील गुप्ता, शिवसेना (UBT) के अरविंद सावंत, DMK से डी रविकुमार भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे, सभी सदस्य शनिवार सुबह रवाना होंगे और रविवार दोपहर को लौटेंगे.
विपक्षी डेलिगेशन देना चाहता है ये मैसेज
तृणमूल कांग्रेस के नेता देव ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश देना चाहता है कि हम मणिपुर के लोगों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि हम चिंतित हैं, हम चाहते हैं कि मणिपुर में फिर से शांति बहाल हो. लेकिन सरकार ऐसा करने में विफल है, इसलिए हम वहां जाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि क्या समाधान निकाला जा सकता है. DMK नेता टीआर बालू ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल शनिवार सुबह मणिपुर के लिए रवाना होगा और पता लगाएगा कि क्या गलत हुआ, किस हद तक जान-माल का नुकसान हुआ.
कुकी-मैतेई के बीच संघर्ष के बारे में जानेंगे
RSP नेता प्रेमचंद्रन ने कहा कि डेलिगेशन के इस दौरे का मकसद मणिपुर में होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी लेना है. उन्होंने कहा कि हिंसा अभी भी जारी है इसलिए हम वहां जाकर हालातों के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे. उन्होंने कहा कि हम पीड़ितों के पुनर्वास के लिए राहत शिविरों का दौरा करेंगे. हम पता लगाना चाहते हैं कि हिंसा का असली कारण क्या है?
मणिपुर में कब भड़की हिंसा?
3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई. इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है. मणिपुर हिंसा में अब तक 150 लोग मारे जा चुके हैं.
मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?
मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है. राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नागा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है. मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.