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लखनऊ: फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले गिरोह का UPSTF ने किया भंडाफोड़, ऑनलाइन गेमिंग के जरिए करते थे ठगी

यूपीएसटीएफ ने बताया कि इस कॉल सेंटर का संचालन साइबर फ्रॉड द्वारा किया जा रहा था जिसमें फर्जी टेलीग्राम आईडी बनाई गई और फिर ऑनलाइन गेम तैयार किए गए. आरोपी फर्जी कॉर्पोरेट बैंक खाता उपलब्ध कराते थे.

फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले गिरोह के सदस्य गिरफ्तार फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले गिरोह के सदस्य गिरफ्तार
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 26 मई 2024,
  • अपडेटेड 4:31 AM IST

लखनऊ में एक फर्जी कॉल सेंटर खोलकर विदेशी हैकरों द्वारा फ्रॉड कर भोले-भाले लोगों के साथ धोखाधड़ी करने वाले एक संगठित गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. उत्तर प्रदेश एसटीएफ की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, पकड़े गए सभी आरोपी फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे.

यूपीएसटीएफ ने बताया कि इस कॉल सेंटर का संचालन साइबर फ्रॉड द्वारा किया जा रहा था, जिसमें फर्जी टेलीग्राम आईडी बनाई गई और फिर ऑनलाइन गेम तैयार किए गए. आरोपी फर्जी कॉर्पोरेट बैंक खाता उपलब्ध कराते थे.   

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58 सिम कार्ड हुए बरामद

पूछताछ में बताया कि वे कई बैंकों से कॉर्पोरेट बैंक अकाउंट, उनकी चेक बुक, डेबिट कार्ड और सिम कार्ड खरीदते थे. फिर इन अकाउंट में ऑनलाइन गेमिंग के माध्यम से पैसे मांगते थे. दो-तीन दिन चलने के बाद ये अकाउंट बैंक द्वारा फ्रीज कर दिए जाते थे. 

ये लोग ब्लैक और एक्टीवेटेड सिम खरीद कर इन नंबरों को क्लोन करके फ्रॉड करते थे. फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल होटल में कमरा लेने और सिम खरीदने में किया जाता थी. उनके पास से 58 सिम कार्ड भी बरामद हुए हैं.

ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हुआ छात्र

कुछ दिनों पहले गोरखपुर के एक व्यक्ति से ऑनलाइन फ्रॉड का मामला सामने आया था. दरअसल, गोरखपुर विश्वविद्यालय में मास्टर्स करने वाले छात्र ने पुलिस को लिखित शिकायत दी थी, जिसमें पीड़ित ने लाखों रुपये की ऑनलाइन ठगी होने की बात कही थी.

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छात्र ने पुलिस को दी शिकायत में कहा कि फेसबुक के जरिए उसकी दोस्ती यूक्रेन की एक महिला से हो गई थी. महिला ने छात्र को विश्वास में लिया और बोला कि वह उसके लिए यूक्रेन से कुछ कीमती गिफ्ट भेजना चाहती है. छात्र के पास मुंबई के एक नंबर से फोन आया कि आपका कोरियर मुंबई पोर्ट पर है, इसके लिए आपको कुछ एडवांस पेमेंट करना होगा. इसके बाद छात्र ने लगभग 83 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए.

इसके बाद छात्र ने फिर उसे 3 लाख 33 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए. इसके लिए उसने अपने दोस्तों से कुछ पैसे उधार लिए और लोन भी लिया. इसके बाद जब उससे और 8 लाख 33 हजार रुपये मांगे गए तब वह पुलिस के पास पहुंचा.

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