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आचार संहिता में कैसे निहत्थी हो जाती हैं राज्य सरकारें, महाबली हो जाता है चुनाव आयोग

Model Code of Conduct Explainer: चुनाव आयोग ने आज यूपी समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही पांचों राज्यों में आचार संहिता भी लागू हो गई है. आचार संहिता के दौरान मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, प्रत्याशी पर क्या-क्या पाबंदियां होती हैं. जानते हैं...

चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया. (फाइल फोटो) चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST
  • यूपी समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव
  • ऐलान के साथ ही लागू हो जाती है आचार संहिता
  • उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई भी होती है

Model Code of Conduct Explainer: उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान की तारीख आज आ ही गई है. इसके साथ ही इन पांचों राज्य में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं, उसे ही आचार संहिता कहा जाता है. आचार संहिता लागू होते ही कई बदलाव हो जाते हैं. राज्य सरकारें निहत्थी हो जाती हैं और चुनाव आयोग महाबली हो जाता है. राज्य सरकारों पर कई सारी पाबंदियां लग जाती हैं. सारे कामों पर रोक लग जाती है. 

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राज्य सरकार क्यों हो जाती है निहत्थी?

1. मंत्री-मुख्यमंत्री-विधायक पर लग जाती है पाबंदी

- सरकार का कोई भी मंत्री, विधायक यहां तक कि मुख्यमंत्री भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल किसी भी अधिकारी से नहीं मिल सकता. 

- सरकारी विमान, गाड़ियों का इस्तेमाल किसी पार्टी या कैंडिडेट को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता. मंत्रियों-मुख्यमंत्री सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल अपने आधिकारिक निवास से अपने ऑफिस तक केवल सरकारी काम के लिए ही कर सकते हैं.

- राज्य सरकार का कोई भी मंत्री या कोई भी राजनीतिक कार्यकर्ता सायरन वाली कार का इस्तेमाल नहीं कर सकता, चाहे वो गाड़ी निजी ही क्यों न हो.

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2. किसी अधिकारी-कर्मचारी का ट्रांसफर भी नहीं कर सकती सरकार

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-  राज्य और केंद्र के अधिकारी-कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं. 

- आचार संहिता में सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर सकती. अगर किसी अधिकारी ट्रांसफर या पोस्टिंग जरूरी भी हो तो आयोग की अनुमति लेनी होगी.

3. सरकारी पैसे का नहीं कर सकते इस्तेमाल

- आचार संहिता के दौरान सरकारी पैसे का इस्तेमाल विज्ञापन या जन संपर्क के लिए नहीं हो सकता. अगर पहले से ही ऐसे विज्ञापन चल रहे हों तो उन्हें हटा लिया जाएगा.

- किसी भी तरह की नई योजना, निर्माण कार्य, उद्घाटन या शिलान्यास नहीं हो सकता. अगर पहले ही कोई काम शुरू हो गया है तो वो जारी रह सकता है.

- अगर किसी तरह की कोई प्राकृतिक आपदा या महामारी आई हो तो ऐसे वक्त में सरकार कोई उपाय करना चाहती है तो पहले चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी.

4. प्रचार करने पर भी रहते हैं कई प्रतिबंध

- मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं हो सकता. 

- प्रचार के लिए राजनीतिक पार्टियां कितनी भी गाड़ियां (टू-व्हीलर भी शामिल) इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन पहले रिटर्निंग ऑफिसर की अनुमति लेनी होगी.
 
- किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने से पहले पुलिस की अनुमति लेनी होगी.

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- रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डीजे का इस्तेमाल नहीं हो सकता. अगर कोई रैली भी होनी है तो सुबह 6 बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद नहीं होगी.

चुनाव आयोग क्यों बन जाता है महाबली?

1. कुछ भी करने से पहले आयोग की मंजूरी जरूरी

-  आचार संहिता के दौरान मंत्री-मुख्यमंत्री-विधायक पर कई तरह की पाबंदी लग जाती है. अगर सरकार कुछ भी करना चाहती है तो उसे पहले आयोग को बताना होगा और उसकी मंजूरी लेनी होगी.

- केंद्र या राज्य का कोई भी मंत्री चुनाव प्रक्रिया में शामिल किसी भी अधिकारी को नहीं बुला सकता.  

2. उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई

- अगर कोई भी प्रत्याशी आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसके प्रचार करने पर रोक लगाई जा सकती है. 

-  उल्लंघन करने पर प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है. इतना ही नहीं, जेल जाने का प्रावधान भी है.

 

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