
मॉडल दिव्या पाहुजा की हत्या मामले में उनके परिजनों ने गुरुग्राम पुलिस की तफ़्तीश पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि, दिव्या की हत्या के बाद जब उन्हें सेवा सुरक्षा और सहयोग की सर्वाधिक जरूरत थी तो उन्हें, न तो पुलिसिया सेवा मिली न सुरक्षा और न ही सहयोग. मिला तो बेशर्मी का वो मंजर जिसे आप भी सुनेंगे तो सन्न रह जाएंगे.
2 जनवरी दोपहर 12 बजे हुई दिव्या से आखिरी बात
दिव्या पाहुजा की बहन ने आजतक से खास बातचीत में खुलासा किया की दिव्या पाहुजा से उसकी आखरी बातचीत 2 जनवरी दोपहर 12 बजे के करीब हुई थी और दिव्या ने कहा की वो बस आधे घंटे में घर लौट रही है, लेकिन जब दिव्या शाम 6 बजे तक वापिस नहीं लौटी तो दिव्या की बहन को शक हुआ कि कहीं कुछ तो बुरा हुआ है, क्योंकि दिव्या कभी अपने फोन से दूर नहीं रहती थी और दिव्या की बात हर आधे या 1 घंटे में अपनी बहन से जरूर हुआ करती थी. आखिर क्या हुआ था 2 जनवरी की उस दिन जिस दिन दिव्या की हत्या हुई, उस दिन के वाकये को आप जानेंगे तो सोचेंगे कि कैसे पुलिस के अधिकारी गहरी नींद में सोते रहे और हत्यारोपी हत्या कर शव को ठिकाने लगाने में कामयाब हो गए.
...जब पुलिस ने नहीं मिली कोई खास मदद
एक तरफ हत्यारोपी अभिजीत मॉडल की हत्या कर शव को ठिकाने लगाने की साजिश रच रहा था तो, दूसरी ओर, जब दिव्या पाहुजा का कोई सुराग परिजनों को नहीं लगा तो दिव्या की बहन न्यू कॉलोनी थाने पहुंची. वहां बैठे पुलिस कर्मी ने उनकी बात को अनसुना कर कहा की मामला तो सेक्टर 14 थाने का है आप वहीं जाइये. दिव्या की बहन बदहवास हालात में थी, परेशान थी लेकिन बावजूद इसके थाने पहुंची युवती को खाकी का सेवा सुरक्षा और सहयोग जैसा कोई भी वादा नहीं मिला.
पुलिस पर आरोप, कहा- अभी जाओ, सुबह 10 बजे आना
दिव्या की बहन ने अपनी मां सोनिया पाहुजा को थाने में बुलाया और दोनों ही सेक्टर 14 पुलिस थाने पहुंचे. पुलिस कर्मियों से न्याय की गुहार लगाई और थाने में बैठे पुलिस कर्मियों ने दिव्या की बहन की बात ड्यूटी अधिकारी से करवाई और ड्यूटी अधिकारी ने उनसे कहा कि अब रात बहुत है आप शिकायत दे जाओ और सुबह 10 बजे आना, क्योकि तफ़्तीश तो सुबह 10 बजे ही शुरू होगी.
25 जुलाई 2023 को जमानत पर रिहा हुई थी दिव्या
दिव्या पाहुजा की बहन की मानें तो मुंबई में हुए संदीप गाड़ौली के एनकाउंटर केस के बाद उसकी बहन 25 जुलाई 2023 को ही जमानत पर जेल से रिहा हुई थी. उसकी जान को खतरा बना हुआ था और इसीलिए वह न केवल दिव्या पाहुजा बल्कि अपनी मां सोनिया और पिता की लाइव लोकेशन से जुड़ी रहती थी. 2 जनवरी की दोपहर 12 बजे जब आखरी बार उनकी बात दिव्या से हुई तो उसके बाद शाम जब 6 बजे तक दिव्या का कोई मैसेज, कोई फोन उंसके पास नही आया तो बहन ने दिव्या के सैमसंग फोन की लोकेशन को चेक किया तो वह साउथएक्स दिल्ली की आ रही थी, जबकि आईफोन की लोकेशन अभिजीत सिंह के होटल The City Point के थोड़ी दूर की आ रही थी.
'दिव्या न तो ब्लैकमेलर थी और न फोन से मिला अश्लील वीडियो'
दिव्या को लेकर परेशान बहन ने जब अभिजीत से फोन पर बातचीत की तो अभिजीत ने उन्हें गुमराह करते हुए कहा कि दिव्या उसी के साथ थी, लेकिन साढ़े 11 बजे घर के लिए निकल गयी. इससे परेशान होकर दिव्या की बहन अपनी गाड़ी से ही शाम तकरीबन साढ़े 7 बजे दिल्ली साउथएक्स अभिजीत के घर पहुंची जहां बलराज गिल मौजूद था और बलराज गिल ने ही दिव्या का सैमसंग का मोबाइल उसे सौंपा था जिसे बहन ने गुरुग्राम पुलिस को दिया. दिव्या की बहन की मानें तो उसकी बहन न तो ब्लैकमेलर थी और न ही उसके फोन से कोई अश्लील वीडियो जैसा बरामद हुआ है, जिसका दावा गुरुग्राम पुलिस के अधिकारी करने में लगे हैं जबकि दिव्या का आईफोन अभी भी लापता है.
बार-बार झूठ बोल रहा था अभिजीत
मृतका की छोटी बहन की मानें तो वो दिल्ली साउथ एक्स से 7:30 बजे फिर से होटल The City Point पहुंची और केयर टेकर अनूप से सीसीटीवी दिखाने की जिद करने लगीं, लेकिन अनूप सीसीटीवी दिखाने को तैयार नही था. दिव्या की बहन ने अभिजीत से फोन पर बात कर उसे पुलिस की धमकी दी तो अभिजीत, जो कि होटल में ही मौजूद था नीचे आया और बहन को गुमराह करने लगा, लेकिन अभिजीत सीसीटीवी दिखाने को तैयार नही था. बहन की मानें तो अभिजीत के व्यवहार से गुस्साई बहन जब उसे पुलिस की धमकी देकर जाने लगी तो अभिजीत ने उसको दिव्या का पैन और अधार कार्ड भी दिया जिसके बाद बहन का शक और गहरता चला गया कि हो न हो दिव्या के साथ कही कोई बड़ी घटना जरूर हुई है, जिसे अभिजीत ,बलराज और होटल का केयर टेकर अनूप छुपाने में लगे थे.
आरोप- पुलिस ने सिर्फ कटवाए चक्कर
वही दिव्या पाहुजा की बहन की मानें तो उनका कहना है कि, अगर गुरुग्राम पुलिस ने मुझे यहां से वहां चक्कर कटवाने से ज्यादा मेरी बहन की तफ़्तीश में ध्यान लगाया होता तो न केवल मेरी बहन का शव होटल से बरामद होता बल्कि उसका आईफोन व वारदात में शामिल अन्य लोग भी पुलिस की गिरफ्त में होते. वह रात के डेढ़ बजे सेक्टर 14 पुलिस के साथ होटल the city point पहुंची थीं. होटल की सभी लाइट्स बंद थी और कमरा नंबर 114 में हत्यारोपी अभिजीत नशे में धुत्त होकर सोया था.
कमरा नंबर 114 से ही दिव्या का ब्लेजर बरामद हुआ, उसकी चप्पल व अन्य सामान बरामद हुए लेकिन बावजूद इसके पुलिस का कोई आला अधिकारी मौके पर नहीं आया. जिसके बाद गुरुग्राम पुलिस ने होटल के सीसीटीवी कैमरों को चेक किया तो हत्या की इस खौफनाक वारदात से पर्दा फाश होता चला गया, लेकिन तब तक सुबह के 8 बज चुके थे और बीएमडब्लयू गाड़ी में शव को लेकर फरार हुए बदमाश कही के कही पहुंचकर शव को ठिकाने तक लगा चुके थे.
दिव्या की बहन की मानें तो सुबह 8 बजे तक भी पुलिस की किसी भी टीम को दिव्या के शव को लेकर फरार हर बदमाशों के पीछे नहीं भेजा गया क्योंकि पुलिस ने तो ठान ही रखा था के उनकी तफ़्तीश तो सुबह 10 बजे ही शुरू होती है.
कमरा नं. 111 का खौफनाक मंजर
दिव्या की बहन के अनुसार, 'जब हम देर रात तकरीबन डेढ़ बजे होटल में पहुंचे तो वहां पहले से अनूप और रिसेप्शन पर खड़ा बुजुर्ग मौजूद था. पुलिस ने पहले कमरा नंबर 114 खंगाला, जहां हत्यारोपी अभिजीत बिस्तर पर सोया था, जबकि केयर टेकर अनूप लगातार कहता जा रहा था कि अभिजीत दिल्ली चला गया. जब कमरा नंबर 111 को खोलने की कोशिश की गई तो उसकी चाबी होटल केयर टेकर के पास नहीं थी. दरवाजे को पुलिस की मौजूदगी में पत्थरों से तोड़ा गया और कमरे के अंदर बेड पर खून से सने पेड पड़े थे. कमरे के पर्दे और दीवार पर खून था, कमरे के फर्श को पानी और पेट्रोल से साफ किया गया था यानी अब साफ हो चुका था के दिव्या की हत्या कर दी गई है, लेकिन उसका शव कहां गया 5 दिन बीत जाने के बावजूद गुरुग्राम पुलिस इसका सुराग लगाने में अभी तक नाकाम साबित होती आ रही है.
हम किससे मांगे मदद- दिव्या की बहन
दिव्या की बहन बताती हैं कि, 'सर अब हम जब भी पुलिस को फोन करते हैं कि क्या हुआ कब तक मेरी बहन का शव और आईफोन को बरामद किया जाएगा और कब तक बाकी हत्यारोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा तब पुलिस अधिकारी कहते हैं कि हमें फोन करने की जरूरत नही है, तुम्हारे फोन करने से हम परेशान होते हैं. जब शव मिलेगा आपको बता देगे, जैसी झिड़कियां देने में लगे हैं. सर अब हम इंसाफ की गुहार लगाए तो किससे समझ नहीं आ रहा है.