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केंद्र में बढ़ा 'अतिरिक्त प्रभार' का कल्चर, स्थायी नियुक्तियों से क्यों कतरा रही है सरकार?

सीबीआई चीफ की स्थायी नियुक्ति भी कई महीनों के बाद हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार स्थायी नियुक्ति करने से कतरा रही है और अतिरिक्त प्रभार के जरिए ही बड़े संस्थान को चलाया जा रहा है.

गृह और कार्मिक मंत्रालय गृह और कार्मिक मंत्रालय
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2021,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST
  • कई बड़े संस्थानों के चीफ की स्थायी नियुक्ति नहीं
  • बालाजी श्रीवास्तव को भी मिला है अतिरिक्त प्रभार

केंद्र सरकार में बड़े पदों पर 'अतिरिक्त प्रभार' कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. पिछले दिनों ही दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव रिटायर हो गए. इस पद पर किसी स्थायी नियुक्ति की बजाय दिल्ली पुलिस के ही विजिलेंस डिपार्टमेंट में तैनात स्पेशल कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव को पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया.

दिलचस्प बात यह है कि यह दूसरी बार था जब किसी वरिष्ठ अधिकारी को पुलिस कमिश्नर पद पर स्थायी नियुक्ति देने के बजाय अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. पिछले साल फरवरी में भी एसएन श्रीवास्तव को भी दिल्ली पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. रिटायरमेंट से एक महीने पहले ही उन्हें पूरी तरह से पुलिस कमिश्नर बनाया गया था.

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यह पहली बार नहीं है जब सरकार किसी संस्थान के प्रमुख पद पर स्थायी नियुक्ति करने में विफल रही है और अतिरिक्त प्रभार देकर काम चला रही है. शुरुआत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से करते हैं. यहां सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह को एनआईए का नेतृत्व करने का अतिरिक्त प्रभार दिया गया.

यही हाल सीआईएसएफ का है. सीआईएसएफ के चीफ रहे सुबोध कुमार जायसवाल को पिछले दिनों सीबीआई का चीफ बनाया गया है. इसके बाद आईपीएस अधिकारी सुधीर कुमार सक्सेना को सीआईएसएफ का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. अभी तक सुधीर कुमार सक्सेना 'अतिरिक्त प्रभार' के साथ सीआईएसएफ की कमान संभाल रहे हैं.

यही हाल एनसीबी का है. 31 जुलाई 2019 को आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को एनसीबी प्रमुख का अतिरिक्त प्रभार दिया था. इस नियुक्ति के समय वह नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के प्रमुख थे और अभी वह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक भी हैं. दो साल से एनसीबी चीफ की स्थायी नियुक्ति न हुई है.

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य जेबी महापात्रा को भी सीबीडीटी चीफ का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है. यह जानना भी दिलचस्प है कि गृह सचिव अजय भल्ला का कार्यकाल, जो पिछले साल बढ़ाया गया था, अगस्त 2021 में खत्म होने वाला है, जबकि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा का भी इसी महीने दो साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है.

लेकिन अभी तक सरकार ने अजय भल्ला या राजीव गौबा के उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं की है. सीबीआई चीफ की स्थायी नियुक्ति भी कई महीनों के बाद हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार स्थायी नियुक्ति करने से कतरा रही है और अतिरिक्त प्रभार के जरिए ही बड़े संस्थान को चलाया जा रहा है.

(रिपोर्ट- आविश कांत)

 

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