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'भारत के पास दुनिया की समस्याओं का जवाब, आप वह बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं', बोले मोहन भागवत

संघ प्रमुख ने कहा कि पिछले 2,000 वर्षों में किए गए जीवन-संबंधी प्रयोग लोगों के जीवन में खुशी और शांति लाने में असफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया भर के विचारकों का मानना ​​है कि भौतिकवादी विकास अपने चरम पर है और यह मानवता को विनाश की ओर ले जा रहा है.

संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ प्रमुख मोहन भागवत
aajtak.in
  • नागपुर,
  • 26 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:00 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि भारत के पास दुनिया की समस्याओं का जवाब है. उन्होंने कहा कि देश की प्राचीन परंपरा मजबूती से विविधता और किसी को भी खारिज नहीं करने के भाव में विश्वास करती है.

आरएसएस विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर दयाशंकर तिवारी मौन द्वारा लिखी गई किताब के विमोचन के लिए नागपुर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि जब भारत का उदय होगा , डगमगाती हुई दुनिया को तब रास्ता मिल जाएगा.

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भौतिकतावादी विकास चरम पर- भागवत

संघ प्रमुख ने कहा कि पिछले 2,000 वर्षों में किए गए जीवन-संबंधी प्रयोग लोगों के जीवन में खुशी और शांति लाने में असफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया भर के विचारकों का मानना ​​है कि भौतिकवादी विकास अपने चरम पर है और यह मानवता को विनाश की ओर ले जा रहा है.

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आरएसएस प्रमुख ने सवाल किया, ‘इसका उत्तर क्या है? साथ ही कहा, ‘हमारी परंपरा में इसका उत्तर है, क्योंकि हम सभी विविधताओं को स्वीकार करते रहे हैं… किसी को अस्वीकार नहीं किया और सभी को स्वीकार किया.’

दुनिया का मार्गदर्शक बनने का लें संकल्प

 भागवत ने कहा कि भारत के प्राचीन ऋषियों ने स्पष्ट रूप से समझा था कि विश्व वास्तव में एक है, जबकि ‘हम जबरन विश्व को एक बनाने का प्रयास कर रहे हैं.’ भागवत ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘दुनिया वास्तव में एक है लेकिन यह विविधता चाहती है , इसलिए विविधता है. विविधता को खत्म कर के एक बनना, यह आगे बढ़ने का रास्ता नहीं है. विविधता में रहते हुए भी हमें यह समझना चाहिए कि हम एक हैं. विविधता एक सीमा तक पहुंच जाती है जिसके बाद एकता आ जाती है.’’

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महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘वह बदलाव खुद में कीजिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं. आप वह बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं.’ उन्होंने कहा कि भारत में वैश्विक समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान देने की क्षमता है.भागवत ने कहा, ‘हम सभी को दुनिया का मार्गदर्शक बनने का संकल्प लेना चाहिए.’

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