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'राजनीतिक लाभ के लिए मंदिर-मस्जिदों का इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं...', मोहन भागवत के बयान का RSS के मुखपत्र ने किया समर्थन

पांचजन्य पत्रिका ने अपने संपादकीय में कहा है कि मस्जिद-मंदिर विवाद के फिर से उठाने पर मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी समाज से इस मामले में समझदारी भरा रुख अपनाने का स्पष्ट आह्वान है. उनके इस बयान से इस मुद्दे पर देश में चल रही अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार से आगाह भी किया गया है.

मोहन भागवत सरसंघचालक मोहन भागवत सरसंघचालक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद को लेकर दिया गया बयान चर्चा में बना हुआ है. अब आरएसएस से जुड़े मुखपत्र पांचजन्य ने आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है.  

आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य ने अपने संपादकीय में कहा है कि मोहन भागवत का हालिया बयान समाज से इस मामले में समझदारी भरा रुख अपनाने का स्पष्ट आह्वान है. उनके इस बयान ने इस मुद्दे पर देश में चल रही अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार से आगाह भी किया है. 

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पांचजन्य में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया कि मंदिर हिंदुओं के विश्वास का केंद्र हैं लेकिन राजनीति लाभ के लिए इनका इस्तेमाल बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है. आज के समय में मंदिर और मस्जिद मामले पर अनावश्यक बहस करना या भ्रामक प्रचार करना चिंताजनक ट्रेंड बना हुआ है. सोशल मीडिया ने इस ट्रेंड को और बढ़ा दिया है. 

इससे पहले आरएसएस के अंग्रेजी के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने संभल मस्जिद विवाद पर अपनी लेटेस्ट कवर स्टोरी पब्लिश की थी, जिसमें कहा गया था कि विवादित स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है. पत्रिका में कहा गया था कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किया गया या ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना सभ्यतागत न्याय को हासिल करने जैसा है.

पत्रिका में कहा गया था कि जिन धार्मिक स्थलों पर हमला किया गया या जिन्हें ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना जरूरी है. सभ्यतागत न्याय के लिए और सभी समुदायों के बीच शांति और सौहार्द का प्रचार करने के लिए इतिहास की समझ होना जरूरी है. 

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बता दें कि पिछले कुछ समय से देश में मस्जिदों को लेकर विवाद गहराया हुआ है. देश में मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ऐसे मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है.

उन्होंने 19 दिसंबर को पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं के लिए आस्था का मामला था, लेकिन रोज ऐसे नए मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ व्यक्तियों को ऐसा लगने लगा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं.

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