
दिल्ली हिंसा मामले की जांच को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू), जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) के 400 से ज्यादा शिक्षकों ने एक खुला पत्र लिखा है. शिक्षकों ने मांग की है कि दिल्ली हिंसा मामले की जांच में कानून को अपना काम करने देना चाहिए और जांच निष्पक्ष होनी चाहिए.
इस पत्र पर डीयू के 184, जेएनयू के 158 और डीटीयू के 50 से ज्यादा शिक्षकों के हस्ताक्षर हैं. पत्र में कहा गया है कि हम लोग इस देश के नागरिक हैं जिनमें प्रोफेसर, लेखक, वकील और अकादमिक लोग शामिल हैं. इन सबकी यही मांग है कि संविधान के जनादेश के मुताबिक कानून का पालन होना चाहिए. किसी व्यक्ति को राजनीतिक या धार्मिक नजरिये से न देखते हुए जो भी हिंसा भड़काने में शामिल रहे हैं, उनकी साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए.
पत्र में मांग की गई है कि कोई कानून से इसलिए नहीं बचना चाहिए क्योंकि वह सम्मानित नागरिक है या उसका ओहदा बड़ा है. जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ सही ढंग से जांच कर कार्रवाई होनी चाहिए. बता दें, दिल्ली हिंसा मामले में सप्लीमेंटरी चार्जशीट में कई ऐसे लोगों के नाम सामने आए हैं जिनके बारे में सोच कर हैरानी होती है.
गौरतलब है कि पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर सप्लीमेंटरी चार्जशीट में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी और स्वराज अभियान नेता योगेंद्र यादव का नाम भी साजिश रचने वाले लोगों में लिया गया है. इसके साथ ही अर्थशास्त्री जयति घोष, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर राहुल राय के नाम भी इस चार्जशीट में शामिल किए गए हैं. इस चार्चशीट पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. लोग दिल्ली पुलिस की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं कि ऐसे लोगों के नाम कैसे शामिल किए गए.