
देश भर में सवा पांच करोड़ से ज्यादा मुकदमे निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट में 60 हजार, हाई कोर्ट्स में 58 लाख और बाकी निचली अदालतों में हैं. दो हाई कोर्ट में तीन मामले तो 72 साल से लंबित हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट में दो और मद्रास हाई कोर्ट में एक ऐसा मुकदमा है.
विधि और न्याय मंत्रालय के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सवा पांच करोड़ लंबित मामलों में साढ़े चार करोड़ यानी 85 फीसद तो जिला अदालतों में हैं. लंबित मामलों में आधे से ज्यादा मुकदमों में मुद्दई यानी मुकदमेबाज सरकार ही है.
41 साल बाद नतीजे की ओर बढ़ रहा मामला
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में ऐसा ही एक मामला 41 साल बाद नतीजे की ओर बढ़ रहा है. एस के त्यागी और उनके साथियों पर 1984-85 में पंजाब और सिंध बैंक में धोखाधड़ी और जालसाजी कर 32 लाख रुपये का चूना लगाया था. इन 40 सालों में 11 जजों की अदालत में इस मामले की तारीख दर तारीख सुनवाई चलती और टलती रही. आरोपपत्र में शामिल 13 अभियुक्तों में से दो तो मर भी चुके हैं.
1984 में दो साल के थे जज दीपक कुमार
अब जाकर 39 साल बाद 78 साल की अवस्था में मुख्य अभियुक्त त्यागी ने अपना अपराध अदालत में स्वीकार कर मामूली सजा देने की गुहार लगाई है. मामले को अंत तक पहुंचा रहे जज दीपक कुमार 1984 में दो वर्ष के थे जब ये मुकदमा दर्ज हुआ. अब 41 साल की उम्र में वो इस मामले की सुनवाई कर नतीजे तक पहुंचाने में लगे हैं. जज दीपक कुमार ने दिन भर अदालत में खड़े रहने की सजा के साथ हरेक अपराध के लिए दस-दस हजार रुपए जुर्माना लगाया है.
हाई कोर्ट्स में 30 साल से ज्यादा पुराने 62 हजार केस
आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 1972 में दर्ज एक मामला लंबित है. वहीं राजस्थान में 1956 का मुकदमा लंबित है. हाई कोर्ट्स में 62 हजार से ज्यादा मुकदमे तीस साल से अधिक पुराने हैं जबकि निचली अदालतों में 70 हजार से अधिक मुकदमे 30 साल से ज्यादा समय से लंबित हैं.