
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को एक बड़े भूमि घोटाले का खुलासा किया है, जिसमें कथित तौर पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनके परिवार के सदस्यों और मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के प्रमुख अधिकारियों शामिल हैं.
एजेंसी को जांच के दौरान बड़े पैमाने पर आनियमितताएं मिली हैं, जिसमें सरकार द्वारा अर्जित भूमि का अवैध डी-नोटिफिकेशन, धोखाधड़ी से भूमि परिवर्तन और लगभग 56 करोड़ रुपये की साइट आवंटन शामिल है.
ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घोटाले में आधिकारिक रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़, राजनीतिक प्रभाव और जालसाजी का दुरुपयोग करना शामिल है. प्रमुख निष्कर्षों में सार्वजनिक विकास के लिए मुडा द्वारा पहले ही अधिग्रहण की गई भूमि का अवैध डी-नोटिफिकेशन शामिल है.
ईडी के अनुसार, ये प्रक्रिया विशेषज्ञ समीक्षा या उचित परिश्रम के बिना शुरू की गई थी. उस वक्त सिद्धारमैया उपमुख्यमंत्री और MUDA बोर्ड के सदस्य थे. हालांकि, वह उस बैठक में उपस्थित नहीं थे. जहां डी-नोटिफिकेशन रद्द करने पर चर्चा की गई थी.
'डॉक्यूमेंट के हेरफेर से पैदा हुआ संदेह'
रिपोर्ट में फर्जी भूमि कंवर्जेंस को उजागर किया गया है, जिसमें राजस्व विभाग के अधिकारियों ने स्पॉट पर निरीक्षण करने का झूठा दावा किया है. इन रिपोर्टों में जमीन पर MUDA के विकास कार्यों को छोड़ दिया गया और अनधिकृत निर्माणों की उपस्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया. हालांकि, सैटेलाइट इमेजरी और आधिकारिक रिकॉर्ड इन दावों का खंडन करते हैं. इसके अलावा मामले में एक प्रमुख व्यक्ति बीएम मल्लिकार्जुन स्वामी द्वारा प्रस्तुत हर्जाना बांड पर उनके साइन नहीं थे, जिससे डॉक्यूमेंट में हेरफेर का संदेह पैदा हुआ.
मामले के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को साइटों का अवैध रूप से साइटों का आवंटन है. जांच से पता चला कि संवैधानिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए उन्हें 14 प्राइम-लोकेशन साइटों का आवंटन किया गया था. इन साइटों को कथित राजनीतिक प्रभाव के जरिए से प्राप्त किया गया था, लेकिन ईडी की जांच शुरू होने के बाद इन्हें MUDA को वापस कर दिया गया.
'सोची-समझी योजना थी जमीनों का अलॉटमेंट'
जांच में ये भी पता चला है कि ये पूरी प्रक्रिया डी-नोटिफिकेशन से लेकर साइट अलॉटमेंट तक एमयूडीए विकसित लेआउट के अंदर कीमती जमीन हासिल करने के लिए एक सोची-समझी योजना थी.
ईडी ने अपनी रिपोर्ट में सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र की भूमिका का भी जिक्र किया है जो साइट के आवंटन के वक्त एक विधायक थे और MUDA बोर्ड के सदस्य थे. इसके अलावा सिद्धारमैया के करीबी सहयोगी एस. जी. दिनेश कुमार, जिन्हें सीटी कुमार के नाम से भी जाना जाता है, पार्वती के पक्ष में जालसाजी और साइट आवंटन में हेरफेर का आरोप है.
जांच में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2022 के तहत उल्लंघन की पुष्टि हुई है. मामले में नामित प्रमुख व्यक्तियों में सिद्धारमैया, बीएम पार्वती, बीएम मल्लिकार्जुन स्वामी, जे. देवराजू और कई अज्ञात एमयूडीए अधिकारी, रियल एस्टेट व्यवसायी और कई प्रभावशाली शख्सियतें शामिल हैं. ईडी का कहना है कि 1 अक्टूबर 2024 को पार्वती द्वारा MUDA को साइटें लौटाने के बावजूद, PMLA की धारा 3 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया गया था.
इस घोटाले में कथित तौर पर राजनीतिक हस्तियों और MUDA अधिकारियों, विशेषकर MUDA के तत्कालीन आयुक्त, डीबी नटेश के बीच मिलीभगत शामिल थी. ईडी अब वित्तीय लेनदेन और अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को छुपाने की संभावित जांच कर रहा है.