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कैसी है मुंबई के चर्चित रेड लाइट एरिया में लाइफ, सेक्स वर्कर्स ने बताया

मुंबई का कमाठीपुरा इलाका सेक्स वर्क के धंधे के लिए जाना जाता रहा है. यहां रहने वाली महिलाओं को बेहद खराब हालात से गुजरना पड़ता है. एक बार यहां फंसने के बाद उनके लिए यहां से निकलना आसान नहीं होता. इंटरनेशनल वीमेंस डे के मौके पर Prerana Anti-Human Trafficking एनजीओ ने ऐसी ही कई महिलाओं की कहानियां सोशल मीडिया पर शेयर की हैं.

कमाठीपुरा की एक सेक्स वर्कर (फाइल फोटो/Getty) कमाठीपुरा की एक सेक्स वर्कर (फाइल फोटो/Getty)
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 08 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 8:55 PM IST
  • सेक्‍स वर्कर्स की जिंदगी में कैसे आए बदलाव
  • एनजीओ ने फेसबुक पेज पर शेयर की गई कहानियां

मुंबई का कमाठीपुरा इलाका सेक्स वर्क के लिए देश भर में जाना जाता रहा है. यहां बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं रहती हैं जो सेक्स वर्क का काम करती हैं. लेकिन यहां रहने वालीं महिलाओं की जिंदगी बेहद खराब हालात में गुजरती है.

एक बार यहां आने के बाद, इस पेशे से बाहर निकलना महिलाओं के लिए आसान नहीं होता. ऐसी ही कई महिलाओं की कहानियां इंटरनेशनल वीमेंस डे के मौके पर Prerana Anti-Human Trafficking एनजीओ ने सोशल मीडिया पर शेयर की हैं.  इन कहानियों में महिलाओं ने बताया है कि कैसे उनकी जिंदगी बदली हैं. 

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55 साल की लगती हूं, लगभग पूरी जिंदगी सेक्स वर्क की है
ऐसी ही एक महिला ने कहा है कि किसी ने उनकी उम्र का हिसाब नहीं रखा है, लेकिन उन्हें लगता है कि वह 55 साल की हैं. लगभग पूरी जिंदगी उन्होंने सेक्स वर्कर के तौर पर कमाठीपुरा में ही बिताई है. जब वह जवान थीं तो उन्हें कई ब्राथल में भेजा जाता था. वे कहती हैं कि दलाल लोग हर नई लड़की के साथ ऐसा ही करते हैं. अब वह सेक्स वर्क के पेशे में नहीं हैं और न ही कमाठीपुरा में रहती हैं. अब वह एक एनजीओ के साथ काम करने लगी हैं. अब उनके दोनों बच्चे ढंग का काम कर रहे हैं. वह खुद ठाणे में किराए के घर में रहती हैं. लेकिन इन सबके बावजूद 'कमाठीपुरा वाली महिला' की पहचान उनका पीछा नहीं छोड़ती.

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एक अन्य महिला मोहिनी कहती हैं कि वह कमाठीपुरा में बीते 15 साल से रह रही हैं. वह एक ब्राथल से दूसरी ब्रॉथल जाती रही हैं. वह कहती हैं कि उनकी जिंदगी यहां आसान कभी नहीं रही और न ही यहां रहने वाली किसी और महिला की जिंदगी आसान होती है. उन्होंने भूख, शारीरिक हिंसा, भावनात्मक और यौन हिंसा को झेला है. वह कहती हैं- आपको लगेगा कि मैं कमाठीपुरा के एक लेन से दूसरे लेन में जा रही हूं, लेकिन मैं खुद को आजाद महसूस नहीं करती.

नाइट केयर सेंटर में पढ़ रहे बच्चे
प्रेरणा नाम के इस एनजीओ के कारण कई लोगों की जिंदगी बदली है. इनमें एक महिला ने बताया कि उसके दो बच्‍चे हैं. जो 6 और 9 कक्षा में पढ़ते हैं. वे पिछले चार साल से प्रेरणा के नाइट केयर सेंटर में जा रहे हैं

ये एनजीओ उनके बच्‍चों और उनके लिए हेल्‍थ से जुड़े कई सत्र आयोजित करता है. इस महिला ने बताया कि यहां उन्‍होंने हेल्‍थ डिस्‍ऑर्डर से जुड़ी कई चीजें सीखी हैं. जिस कारण वह अपनी हेल्‍थ को भी प्राथमिकता दे रही हैं. आशा (बदला हुआ नाम) भी कमाठीपुरा में दो दशक तक रही हैं. लेकिन अब उन्‍होंने अपना बिजनेस शुरू किया है. 

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कोलकाता से लाई गई सेक्‍स वर्कर की कहानी 
आनंदिता (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि उन्‍हें कोलकाता के वेश्‍यालय में बेच दिया गया. कोलकाता में ही उन्‍होंने अपनी बेटी को जन्‍म दिया. इसके बाद वह मुंबई भेज दी गईं, तब उनके दलाल ने कहा कि मुंबई में तुम्‍हारी जिंदगी बेहतर रहेगी. आनंदिता कहती हैं, 'मैंने इस बारे में बिल्‍कुल भी नहीं सोचा था कि मुंबई का मतलब कमाठीपुरा में जाकर सेक्‍स वर्क करना होगा.'

उन्होंने कहा कि मैं अपनी बेटी को भी यहां लेकर आई, लेकिन उसके लिए मुझे कोई सुरक्षित जगह नजर नहीं आई, न ही मुझे कोई ऐसा शख्‍स मिला जिसके पास मैं अपनी बेटी को छोड़ पाऊं'. आनंदिता ने बताया कि अब उनकी बेटी प्रेरणा नाइट केयर सेंटर जाती है और स्‍कूल भी हर दिन अटैंड करती हैं.

(नोट- पहचान छिपाने के लिए नाम बदले गए हैं)

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