Advertisement

रमजान में रोजे के बीच एक कॉल पर अस्पताल पहुंचा नसीम, खून देकर बचाई हिंदू मरीज की जान

Muslim youth donates blood to Hindu woman: नसीम उस समय दोपहर की नमाज के बाद घर पर आराम कर रहे थे. लेकिन कॉल आते ही बिना देर किए उन्होंने मरीज की पहचान या धर्म की परवाह किए बिना अस्पताल पहुंचकर रक्तदान किया.

ब्लड बैंक के बाहर मरीज के परिजन और रक्तदाता. ब्लड बैंक के बाहर मरीज के परिजन और रक्तदाता.
aajtak.in
  • नादिया ,
  • 21 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST

पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में एक मुस्लिम युवक ने रमजान का रोजा तोड़कर हिंदू मरीज की जान बचाकर इंसानियत की मिसाल पेश की है. किडनी की बीमारी से जूझ रही मरीज संगीता घोष को कल्याणी जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें तत्काल रक्त की जरूरत थी, जिसके लिए नसीम ने बिना किसी हिचकिचाहट के रक्तदान किया. इस नेक काम ने नसीम को एक प्रेरणादायक उदाहरण बना दिया है.
 
दरअसल, किडनी की मरीज संगीता घोष को बार-बार रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. रविवार को उनकी हालत गंभीर होने पर उनके बेटे संजू घोष ने इमरजेंसी ब्लड सर्विस (EBS) से संपर्क किया. ईबीएस ने अपने नियमित रक्तदाता नसीम मलीता (27 साल) को फोन किया. नसीम उस समय दोपहर की नमाज के बाद घर पर आराम कर रहे थे. लेकिन कॉल आते ही बिना देर किए नसीम ने मरीज की पहचान या धर्म की परवाह किए बिना अस्पताल पहुंचकर रक्तदान किया.
 
27 साल के नसीम पिछले चार-पांच साल से स्वैच्छिक रक्तदाता हैं, लेकिन यह पहली बार था जब उन्होंने रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखते हुए रक्तदान किया. नसीम ने कहा, "मैं रक्तदान से काफी समय से जुड़ा हुआ हूं. लोगों की मदद करने का विचार मेरे मन में स्वाभाविक रूप से आता है. जब मौका आया, तो मैंने दो बार नहीं सोचा." उन्होंने बताया कि ईबीएस से जुड़े होने के कारण उन्हें अक्सर आपातकालीन कॉल आते हैं, और वह नियमित रूप से रक्त बैंकों में भी दान करते हैं.

Advertisement

रक्तदान के बाद नसीम ने कहा, "मुझे खुशी महसूस हो रही है. कोई कमजोरी नहीं है. मैंने पहले भी रक्तदान किया है, मैं फिर से दान करूंगा. मैंने रोजा रखते हुए रक्तदान किया, मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं." 

नसीम ने रक्तदान करने के योग्य सभी लोगों से अपील की कि वे इस नेक काम में हिस्सा लें. उन्होंने कहा, "नियमित रक्तदान के अपने फायदे हैं, जैसे स्वस्थ आहार चुनना, नियमित जांच करवाना और अच्छा काम करने की खुशी. हमें संकट के समय लोगों की मदद करनी चाहिए."

मानवता का धर्म सबसे ऊपर 
ईबीएस के सचिव सुबीर सेन ने नसीम की निस्वार्थता की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका संगठन जाति और धर्म से परे रक्तदान को बढ़ावा देता है. संगीता के बेटे संजू घोष ने नसीम और ईबीएस का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "किसी की जान बचाना सबसे बड़ा धर्म है."  

Advertisement

प्रेरणा का संदेश
नसीम ने अपने इस कार्य से साबित कर दिया कि करुणा और मानवता धर्म की सीमाओं से परे है. उनका कहना है कि रक्तदान से न केवल जीवन बचते हैं, बल्कि परिवारों को भी संकट से उबारा जा सकता है. यह घटना नादिया जिले में एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई है, जो लोगों को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित कर रही है. नसीम की इस पहल ने न केवल संगीता घोष की जान बचाई, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि संकट के समय मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है. यह कहानी उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो रक्तदान को लेकर हिचकिचाते हैं. (रिपोर्ट: दीपानिता दास)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement