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'सर, प्रणाम...' CM नीतीश कुमार के सामने पहुंचा बच्चा, खोल दी पिता और टीचर की पोल

Bihar News: कहते हैं कि बच्चे में भगवान बसते हैं. बच्चे कभी झूठ नहीं बोलते हैं. इस बात को बिहार के नालंदा जिले स्थित सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छोटे से बच्चे सोनू कुमार ने सच कर दिखाया है. 6वीं क्लास में पढ़ने वाले बच्चे ने मुख्यमंत्री के सामने शराबबंदी और शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी.

बच्चे ने मुख्यमंत्री के सामने दिखाया सच कहने का साहस. बच्चे ने मुख्यमंत्री के सामने दिखाया सच कहने का साहस.
रंजीत कुमार सिंह
  • नालंदा ,
  • 15 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST
  • बच्चे ने खोली CM के गृह जिले की पोल
  • अपने पापा और टीचर को भी नहीं छोड़ा

Bihar CM Nitish Kumar:  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी दिवंगत पत्नी मंजू सिन्हा की 16वीं पुण्यतिथि के मौके पर नालंदा के कल्याण बिगहा गांव पहुंचे थे. इस दौरान सीएम ने कई लोगों की समस्याएं सुनीं. इसी जनसंवाद कार्यक्रम में एक 11 साल का सोनू कुमार यादव भी पहुंच गया और बिना झिझक के मुख्यमंत्री की आंखों में आंखें डालकर कहने लगा...''सर, सुनिए न..प्रणाम, हमको पढ़ने के लिए हिम्मत दीजिए...गार्जियन नहीं पढ़ाते हैं...''

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सोनू कुमार ने बिना झिझक और लाग लपेट के जनसंवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने कड़वा सच बोला. छोटे से बच्चे ने शिक्षा की बदहाली और शराबबंदी पर सीएम नीतीश को अवगत कराया. सोनू ने बताया कि उसके पिता दही की दुकान से जो भी कमाते हैं, उसे शराब पीने में लगा देते हैं. देखें Video:

पता चला कि 6वीं क्लास में पढ़ने वाला सोनू कुमार मुख्य रूप से हरनौत प्रखण्ड के नीमा कौल गांव का रहने वाला है. उसके पिता रणविजय यादव दही की दुकान चलाकर घर चलाते हैं. 

सोनू कुमार गरीब परिवार से होने के कारण मध्य विद्यालय नीमा कौल के सरकारी स्कूल में पढ़ता है, जहां शिक्षकों को भी अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा देनी नहीं आती है. जिसका खुलासा छोटे से बच्चे ने खुद किया है.

बच्चे ने सीएम नीतीश कुमार की आंखों में आंखों डालकर शिक्षा की बदहाली और शराबबंदी को असफल बताया, क्योंकि सीएम नीतीश कुमार लगातार हार भाषणों में शराबबंदी और शिक्षा के बारे कहते नहीं थकते हैं.

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बच्चे सोनू ने मीडिया से बातचीत में कहा, अगर सरकार मदद करे तो मैं भी पढ़-लिखकर IAS-IPS बनना चाहता हूं. बच्चे ने कहा कि सरकारी स्कूल में शिक्षा की स्थिति बद से बदतर है. इस ग्यारह साल के बच्चे की काबिलियत इसी से झलकती है कि वह छठवीं कक्षा में पढ़कर 5वीं क्लास तक के 40 बच्चों को पढ़ाकर अपना खर्च निकालता है. वहीं, इस छोटे से बच्चे के हिम्मत को देखकर अधिकारी से लेकर नेता तक दंग रह गए. 

 

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