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दलाई लामा से मिलने भारत पहुंचीं अमेरिका की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी, चीन को लगी मिर्ची

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की दलाई लामा से ये मुलाकात ऐसे समय में होने जा रही है, जब अमेरिकी सीनेट ने हाल ही में तिब्बत को लेकर एक नए बिल को मंजूरी दी है. इस बिल के जरिए अमेरिका, तिब्बत पर चीन के दावे को चुनौती देगा.

दलाई लामा से मिलने भारत पहुंचीं नैंसी पेलोसी दलाई लामा से मिलने भारत पहुंचीं नैंसी पेलोसी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा (House of Representative) की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) इस समय भारत में हैं. वह तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से मिलने के लिए धर्मशाला पहुंच गई हैं. 

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला पहुंचने पर सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों ने नैंसी पेलोसी और उनके प्रतिनिधिमंडल की अगुआई की. अमेरिकी सदन की पूर्व स्पीकर पेलोसी ने कांगड़ा एयरपोर्ट पर पहुंचकर कहा कि यहां आना बहुत रोमांचक रहा. 

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नैंसी पेलोसी के प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन?

नैंसी के अलावा इस प्रतिनिधिमंडल में विदेशी मामलों की समिति के सदस्य ग्रेगोरी डब्ल्यू मीक्स, हाउस रूल्स कमेटी जिम मैकगवर्न, इंडो पैसिफिक पर विदेशी मामलों की उपसमिति के सदस्य एमी बेरा और माइकल मैककॉल शामिल हैं. मैककॉल ने इस दौरे को लेकर कहा कि हम दलाई लामा से मिलने को लेकर बहुत उत्साहित हैं. अमेरिका, तिब्बत के लोगों के साथ खड़ा है. 

यह दौरा अहम क्यों है?

नैंसी पेलोसी सहित अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल 18 से 19 जून तक दो दिनों के भारत दौरे परे हैं. इस दौरान वे 14वें दलाई लामा से मुलाकात के अलावा भारतीय अधिकारियों और  प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे. 

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की दलाई लामा से ये मुलाकात ऐसे समय में होने जा रही है, जब अमेरिकी सीनेट ने हाल ही में तिब्बत को लेकर एक नए बिल को मंजूरी दी है. इस बिल के जरिए अमेरिका, तिब्बत पर चीन के दावे को चुनौती देगा.

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अमेरिकी संसद में 12 जून को तिब्बत से संबंधित बिल पारित हुआ था. इस बिल का नाम Resolve Tibet Act है. अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में इस बिल को मंजूरी दी गई. इस बिल के तहत तिब्बत को लेकर चीन के फैलाए दुष्प्रचार से निपटने में मदद मिलेगी.

नैंसी पेलोसी के दलाई लामा से मिलने पर चीन चिढ़ा

नैंसी पेलोसी की भारत यात्रा के दौरान उनका दलाई लामा से मिलने पर चीन तिलमिलाया हुआ है. भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि चीन सरकार धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति का पालन करता है. लेकिन विद्रोह को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा.

बता दें कि तिब्बत में चीनी सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दलाई लामा 1959 में भारत आ गए थे. जब भी कोई अन्य देश का अधिकारी उनके संपर्क करता है तो चीन तिलमिला जाता है.

इससे पहले नैंसी पेलोसी ने 2022 में ताइवान का दौरा किया था, जिसे चीन बुरी तरह तिलमिला गया था. इससे अमेरिका और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था. 

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