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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. पीएम मोदी के साथ ही उनकी कैबिनेट के 72 मंत्रियों ने भी पद की शपथ ली है. शपथ लेने वाले इन मंत्रियों में 33 ऐसे सांसद हैं, जिन्होंने पहली बार शपथ ली है.
पीएम मोदी के मंत्रिपरिषद में पहली बार शामिल होने वाले मंत्रियों में छह पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं, जिनमें मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी हैं.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा से पांच बार के सांसद हैं. इस लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी जीत दर्ज कर चुके हैं. शिवराज मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रचारक मनोहर लाल खट्टर दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने जेजेपी के हरियाणा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था.
मोदी कैबिनेट में पहली बार शामिल हुए सात मंत्री बीजेपी के सहयोगी दलों के हैं. इनमें तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के के. राममोहन नायडू और चंद्रशेखर पेम्मासामी, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के ललन सिंह और रामनाथ ठाकुर, राष्ट्रीय जनता दल (आरएलडी) के जयंत चौधरी, लोजपा के चिराग पासवान और जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी हैं.
45 साल के जयंत चौधरी रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वह देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के बेटे हैं. जयंत इससे पहले अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ भी सहयोगी दल के साथ जुड़ चुके हैं. इस साल फरवरी में केंद्र सरकार ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया था, जिसके बाद जयंत एनडीए में शामिल हो गए थे. जयंत चौधरी की अगुवाई में रालोद ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दो सीटें (बागपत और बिजनौर) जीती हैं.
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बिहार के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने केंद्र में मंत्री पद के तौर पर अपना डेब्यू किया है. वह हाजीपुर लोकसभा सीट से 1.7 लाख वोटों से जीते हैं. इस सीट पर उनके पिता रिकॉर्ड नौ बार जीत दर्ज कर चुके हैं. चिराग की पार्टी लोजपा (राम विलास) ने एनडीए की अगुवाई में बिहार में पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था और पार्टी सभी सीटें जीती थी.
जनता दल (यूनाइटेड) के रामनाथ ठाकुर प्रख्यात समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं. कर्पूरी ठाकुर को भी इस साल केंद्र सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था. 74 साल के रामनाथ को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है. वह इससे पहले 2005 से 2010 के बीच बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू (48) केंद्र सरकार में नवोदित चेहरा हैं. लोकसभा चुनाव से पहले रवनीत कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो गए थे. वह पंजाब की लुधियाना सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उन्हें 20,000 से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया था. रवनीत इससे पहले 2009 से 2014 तक आनंदपुर साहिब सीट और 2014 से 2024 तक लुधियाना सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
एनसीपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे ने भी केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली है. वह लगातार तीसरी बार महाराष्ट्र की रावेर सीट से जीती हैं. वह 2014 के चुनाव में जीत दर्ज कर सबसे युवा सांसद बनी थीं. उनके पति निखिल खड़से ने 37 साल की ऊम्र में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.
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जितिन प्रसाद यूपीए की अगुवाई में मनमोहन सिंह की सरकार में सबसे युवा मंत्रियों में से एक थे. जितिन की दस साल बाद केंद्रीय कैबिनेट में वापसी हुई है. उन्होंने 2021 में कांग्रेस छोड़ दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे.
उनके पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह बिहार की मुंगेर लोकसभा सीट से जीते हैं. वह पहली बार केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हुए हैं.
इसके अलावा अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी ने भी इतिहास रच दिया है. वह केरल से बीजेपी के पहले सांसद बने हैं. उन्होंने रविवार को मोदी कैबिनेट के मंत्री के तौर पर शपथ ली. वह पहली बार कैबिनेट मंत्री बने हैं.
इसके अलावा बीजेपी से पहली बार कैबिनेट में शामिल हुए मंत्रियों में कमलेश पासवान (उत्तर प्रदेश), सुकांता मजूमदार (पश्चिम बंगाल), दुर्गादास उइके (मध्य प्रदेश), राजभूषण चौधरी (बिहार), सतीश दुबे (बिहार), संजय सेठ (झारखंड), सी आर पाटिल (गुजरात), भागीरथ चौधरी (राजस्थान), हर्ष मल्होत्रा (दिल्ली), वी सोमन्ना (कर्नाटक), सावित्री ठाकुर (उत्तर प्रदेश), कमलजीत सहरावत (दिल्ली), प्रतापराव जाधव (महाराष्ट्र), कीर्तिवर्धन सिंह (यूपी), तोखन साहू (छत्तीसगढ़), भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा (आंध्र प्रदेश), निमूबेन बाभंणिया (गुजरात), मुरलीधर मोहोल (महाराष्ट्र), पबित्रा मार्गेरिटा (असम) और बंदी संजय कुमार (तेलंगाना) हैं.