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परमाणु हमलों से तबाह हुए शहर पहुंचे PM मोदी, जानिए- अब कैसा है हिरोशिमा

पीएम नरेंद्र मोदी छह दिन की विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं. वह सबसे पहले जापान के हिरोशिमा शहर जाएंगे. नरेंद्र मोदी ने यात्रा पर रवाना होने से पहले ट्वीट किया- मैं जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए हिरोशिमा जा रहा हूं." हिरोशिमा वह शहर है, जिसे अमेरिका ने 1945 में परमाणु बम गिराकर तबाह कर दिया था.

1945 में हिरोशिमा शहर पर अमेरिका ने दाबा था परमाणु बम (फाइल फोटो) 1945 में हिरोशिमा शहर पर अमेरिका ने दाबा था परमाणु बम (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2023,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं. इन देशों में एक जापान भी है. पीएम रात में ही हिरोशिमा पहुंच जाएंगे. वह यहां जी-7 शिखर सम्‍मेलन में शामिल होंगे. आज भी हिरोशिमा का नाम सुनते ही एक तस्वीर सामने आ जाती है... आसमान की ओर उठता विशाल धुएं-आग का गुबार और तबाह शहर. अब 78 साल बाद पीएम नरेंद्र मोदी इस शहर में जा रहे हैं.

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जापान पहुंचने के बाद पीएम मोदी शनिवार को सबसे पहले क्वाड सम्मेलन में शामिल होंगे. इसके बाद परमाणु बम के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने हिरोशिमा स्मारक जाएंगे. इसके अलावा महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. इसके बाद कोरिया, वियतनाम और अन्य देशों के नेताओं, राष्ट्राध्यक्षों के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता होगी. इसके बाद रात में वह जापान के पीएम फुमियो किशिदा के साथ बैठक करेंगे फिर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाएंगे.

आइए जानते हैं परमाणु बम का दंश झेलने वाला हिरोशिमा अब किस हाल में है, वह कैसा दिखता है लेकिन उससे पहले यह जानते हैं कि हिरोशिमा पर अमेरिका ने कैसी तबाही मचाई थी.

तबाह हो गया था 80% हिरोशिमा

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 6 अगस्त 1945 की सुबह करीब 8:15 बजे अमेरिका के लड़ाकू विमान ने करीब 10 किलोमीटर की ऊंचाई से हिरोशिमा पर 'लिटिल बाय' परमाणु बम गिरा दिया था. 64 किलो यूरेनियम से बने इस बम को B-29 बॉम्बर (Enola Gay) में सवार मेजर टॉमस फेरेबी ने गिराया था.

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लिटिल बॉय 3.5 मीटर लंबा, 4.3 टन वजन वाला नीले-सफेद रंग का था. इसे बेहद की गुप्त तरीके से मैनहटन प्रोजेक्ट के तहत न्यू मैक्सिको के लॉस अलामोस की लैब्स में बनाया गया था. इस बम की शक्ति 12500 टन टीएनटी के बराबर थी. 

एक मिनट के भीतर हिरोशिमा शहर का 80 फीसदी हिस्सा राख हो गया. बम गिरने की जगह के 29 किलोमीटर क्षेत्र में काली बारिश हुई. कई इलाकों में एक घंटे तक बारिश हुई थी.

5 सेकंड में हो गई थीं 80 हजार मौतें

परमाणु बम 43 सेकंड बाद जमीन से करीब 585 मीटर की ऊंचाई पर फटा था. बम को हिरोशिमा के एक सबसे व्यस्त पुल ‘IOE’ पर गिराया गया था लेकिन तेज हवा के कारण वह टारगेट से 240 मीटर भटक गया था. यह बम एक अस्पताल के ऊपर जा गिरा था. बम के फटते ही 10 लाख डिग्री सेल्सियस की गर्मी निकली और महज पांच सेकंड के भीतर 80 हजार लोग मर गए थे. बताया जाता है कि इस हमले से करीब 130000 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी.

हिरोशिमा पर अमेरिकी परमाणु हमले को 1941 के अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर किए गए जापानी सेना के हमले का बदला माना गया था. अमेरिका को उम्मीद थी कि परमाणु हमले के बाद जापान सरेंडर कर देगा. नागासाकी पर हमले के 6 दिन बाद जापान ने बिना किसी शर्त समर्पण करने की घोषणा भी कर दी और इसी के साथ द्वितीय विश्व युद्ध भी आधिकारिक तौर पर खत्म हो गया.

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हे भगवान! ये हमने क्या कर दिया...

हमले के बाद एक लॉग बुक की निलामी की गई थी. तब यह लॉगबुक करीब 450,000 पाउंड (यानी आज के 4.62 करोड़ रुपये) में बिकी थी. यह इसलिए बेहत कीमती थी, क्योंकि इसमें प्लेन के को-पायलट कैप्टन रॉबर्ट ए लुईस ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने का दहला देने वाला अनुभव लिखा था. यह लॉग बुक उस मिशन का एकमात्र रेकॉर्ड है, जो आज तक मौजूद है. 

पेन और पेंसिल से लिखी इस लॉग बुक में उन्होंने लिखा था- मेरे पास इसे बयां करने के लिए शब्द नहीं है. हे भगवान! ये हमने क्या कर दिया. हमने कितनों को मार दिया. अगर मैं 100 साल भी जिंदा रहा तो भी मैं उन कुछ मिनटों को अपने दिमाग से कभी नहीं निकाल पाऊंगा. मुझे विश्वास है कि जापानी हमारे लैंड करने से पहले ही सरेंडर कर देंगे क्योंकि निश्चित तौर पर वे यह नहीं चाहेंगे कि हम इस तरह के परमाणु ऊर्जा वाले बम और गिराएं.' प्लेन के क्रू को पता था कि वे परमाणु बम गिराने जा रहे हैं लेकिन किसी को भी इससे होने वाली तबाही का अंदाजा नहीं था.

अब ऐसे दिखता है हिरोशिमा

हिरोशिमा शहर जापान के सबसे बड़े द्वीप होंशू में स्थित है. आज यह एक अच्छा खासा विस्तारित शहर है. यहां की आबादी काफी घनी बसी हुई है लेकिन सिस्टमेटिक डेवलपमेंट और जल स्रोतों के बेहतर मैनेजमेंट के कारण अब हिरोशिमा काफी सुंदर शहर के रूप में दिखता है. देश की राजधानी टोक्यो के साथ ही चीन, ताइवान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के लिए अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स भी यहां से सीधे उड़ान भरती हैं.

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शहर के अंदर देखें तो एस्ट्राम लाइन, सीनो लाइन और ट्रेन सेवा भी शहर को काफी व्यवस्थित बनाती हैं. हिरोशिमा की सड़कों के बीच में चलने वाली स्ट्रीटकार और लाइट रेल वेहिकल खासकर जापान भर में मशहूर हैं. कई आधुनिक शिक्षण संस्थान, यूनिवर्सिटी, कल्चरल सेंटर और रॉयल कैसल यहां की सांस्कृतिक विविधता और खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. लोहे के प्लेट पर बनने वाले स्वादिष्ट पैनकेक के लिए हिरोशिमा शहर खास तौर पर जाना जाता है. हाशिमा द्वीप, पीस पार्क, हिरोशिमा मेमोरियल और म्यूजियम लोगों को परमाणु हमले की तबाही के निशां याद दिलाते हैं. यहां भी हर साल लाखों पर्यटक घूमने आते हैं.

परमाणु बम के पीड़ितों को देंगे श्रद्धांजलि

पीएम नरेंद्र मोदी ने जापान रवाना होने से पहले कहा- मैं जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए हिरोशिमा जा रहा हूं. इस शिखर सम्मेलन में मेरी उपस्थिति विशेष रूप से सार्थक है, क्योंकि इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता भारत के पास है. मैं जी7 देशों और अन्य आमंत्रित भागीदारों के साथ दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों और उन्हें सामूहिक रूप से संबोधित करने की आवश्यकता पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए उत्सुक हूं. मैं हिरोशिमा जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करूंगा."

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