
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आम लोगों में एक धारणा पनप रही है कि राजनीति में सिर्फ छींटाकशी,जोड़तोड़ और उठापटक ही होती है जिसके चलते आम लोगों में राजनीति के प्रति विश्वास कम हो रहा है.
बुधवार को शिमला में आयोजित पीठासीन अधिकारियों के सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए मोदी ने कहा की इस स्थिति से निपटने और लोगों में राजनीति के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए अब राजनेताओं को राजनीति से ऊपर उठ कर कुछ नया और सृजनात्मक और गुणात्मक सोच पैदा करनी होगी.
मोदी का जनप्रतिनिधियों को मंत्र
"अक्सर राजनेताओं के बारे में और जनप्रतिनिधियों के बारे में कुछ लोग इस तरह की छवि बना लेते हैं कि यह नेता है तो 24 घंटे राजनीतिक उठापटक में ही व्यस्त रहते हैं या किसी जोड़-तोड़ या खींचतान में मशरूफ होंगे. गौर करने लायक बात यह है कि हर राजनीतिक दल में कई ऐसे जनप्रतिनिधि भी होते हैं जो राजनीति से परे अपना समय अपना जीवन समाज की सेवा में समाज के लोगों के उत्थान में खपा देते हैं" मोदी ने कहा.
मोदी ने कहा कि आम नेताओं से अलग सोच रखने वाले इन नेताओं के सेवा कार्य राजनीति में लोगों की आस्था और विश्वास जगाते हैं. उन्होंने इस तरह के नेताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे जनप्रतिनिधियों को सदनों में सुना जाना चाहिए. क्योंकि ऐसे नेता राजनीति से ऊपर उठकर कुछ प्राइवेट बिल या कुछ लोग सदनों में जीरो आवर के लिए समय निकालते हैं.
मोदी ने कहा कि देश के हर सदन में साल में कम से कम तीन चार दिन मुकर्रर किये जाए जब समाज के लिए विशेष कार्य कर रहे जनप्रतिनिधियों के अनुभवों को गंभीरता से सुना जाये.
पीएम का बड़ा सुझाव
"लोग राजनीति से दूर हो रहे हैं और अगर समाज के लिए कार्य कर रहे जनप्रतिनिधियों को बढ़ावा दिया जाए तो राजनीति में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी. मेरा सुझाव है कि इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एक छोटी समिति बनाई जा सकती है. इससे बाकी राजनेताओं को भी प्रेरणा मिलेगी और देशवासियों को उनके बारे में जानकारी" मोदी ने कहा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सदस्यों को राजनीतिक छींटाकशी से भी बचना चाहिए. नए नेताओं को सदन के नियमों की जानकारी के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए इसके लिए राजनीति के नए मापदंड भी बनाए जाने चाहिए .उन्होंने कहा कि इस संबंध में पीठासीन अधिकारियों की भूमिका अहम हो जाती है.
प्रधानमंत्री के अनुसार पीठासीन अधिकारी सदन की उत्पादकता बढ़ाने में मददगार हैं. उन्होंने महिलाओं को सदन से जोड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा महत्व प्रयास करने का सुझाव भी दिया.
एक देश एक सदन व्यवस्था की जरूरत : मोदी
नरेंद्र मोदी ने कहा की भारतीय लोगों के लिए लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है बल्कि स्वभाव और सहज प्रवृत्ति है. उन्होंने कहा कि अब यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि भारत अपनी आजादी के 75 साल का पर्व अमृत महोत्सव मना रहा है.
"देश की एकता और अखंडता के संबंध में अगर एक भी भिन्न स्वर उठता है तो उससे सतर्क रहना है.एकता की यही अखंड धारा हमारी विविधता को संजोती है उसका संरक्षण भी करती है. विविधता को विरासत के रूप में गौरव मिलता रहे हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते रहे हमारे साधनों से यह संदेश भी निरंतर जाते रहना चाहिए" मोदी ने कहा.
प्रधानमंत्री ने बताया कि देश में 'वन नेशन वन राशन कार्ड, वन नेशन वन मोबिलिटी कार्ड' जैसी कई व्यवस्थाओं को लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि हमारी सभी विधान सभा और राज्य और लोक सभाओं की नेटवर्किंग की जाये.
"मैं चाहूंगा कि हमारी सभी विधानसभाएं 'वन नेशन वन लेजिसलेटिव प्लेटफार्म' की वयस्था अपना कर इस अभियान को एक नई ऊंचाई तक लेकर जाएं. मेरा एक विचार है कि एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म एक ऐसा पोर्टल बनाया जाए जो ना केवल हमारी संसदीय व्यवस्था को टेक्नोलॉजिकल पुश दे बल्कि सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को जोड़ने का काम भी करें".