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नरोदा गाम हत्याकांड के 21 साल, कहानी उस रोज की जब नफरत की आग में भुन गए 11 लोग

नरोदा गाम हत्याकांड मामले में 20 अप्रैल को गुजरात की विशेष अदालत फैसला सुना सकती है. कोर्ट ने आरोपियों को इस दौरान हाजिर होने को कहा है. इस मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को भी आरोपी बनाया गया था. नरोदा हत्याकांड में जब फैसला आने वाला है तो जानिए इसकी पूरी कहानी, जब 11 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.

नवादा गाम इलाके में हिंसा के बाद ही गुजरात में दंगे फैल गए थे (फाइल फोटो) नवादा गाम इलाके में हिंसा के बाद ही गुजरात में दंगे फैल गए थे (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST

तारीख 27 फरवरी 2002, उत्तर प्रदेश के अयोध्या से साबरमती एक्सप्रेस गुजरात पहुंची थी कि यहां गोधरा में ट्रेन को घेरकर आग लगा दी गई. कारसेवकों से भरी इस ट्रेन में हुई आगजनी से 58 लोगों की मौत हो गई और अगले ही दिन गोधरा में लगी चिंगारी ने गुजरात को सुलगाना शुरू कर दिया. 28 फरवरी का दिन आते आते अहमदाबाद दंगों की आग में जलने लगा और इसी आग में बुरी तरह झुलस गया था यहां का इलाका नरोदा गाम. 

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आज 21 साल बाद फिर ताजा हुईं यादें

इस आततायी घटना के 21 साल बाद आज फिर जेहन में वो सब कुछ ताजा हो गया है, जो उस रोज नरोदा गाम में बीता. इसकी वजह है इस मामले में आने वाला अदालती फैसला. असल में गुजरात की एक विशेष कोर्ट कल यानि 20 अप्रैल को नरोदा गाम इलाके में हुए हत्याकांड में फैसला सुना सकती है. इसके लिए अदालत ने आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने के लिए कहा है. इस मामले में पुलिस ने गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी उन्हीं 86 आरोपियों में शामिल हैं, जिन पर हिंसा का आरोप है. 

नरोदा गाम में 11 लोगों की हुई थी हत्या

28 फरवरी की शाम होते होते नरोदा गाम के छोटे से इलाके में 11 लोगों के शव पड़े थे. ये सरकारी आंकड़ा है कि इस नरसंहार में 11 लोग मरे, लेकिन यहां हुआ हत्याकांड इन सरकारी आंकड़ों से कहीं अधिक भयावह था. असल में जिन्होंने अपनी जिंदगी खो दी थी, वे तो शव बने पड़े थे, लेकिन जो जिंदा रह गए थे, वो अनाथ थे, जिनके सपने, परिवार, उम्मीद , सिर की छत सब कुछ बिखर और टूट गया था. उनके अंदर कहने भर को जान बाकी थी, हो तो वो भी मुर्दा ही गए थे. क्या हुआ था नरोदा गाम में उस रोज...

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ये हुआ था उस रोज

27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के बाद गुजरात बंद का ऐलान हुआ था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुबह तक इलाके में शांति थी, लेकिन इसे खामोशी कहना अधिक ठीक होगा. इसके बाद नरोदा इलाक में कुछ लोगों की भीड़ दुकानें बंद कराने लगीं. लोग भी फटाफट शटर गिरा रहे थे और भीड़ बढ़ते बढ़ते माहौल में नारों का शोर गूंजने लगा था. हालांकि अभी भी दंगे शुरू नहीं हुए थे. सुबह 9 बजे से ऊपर का वक्त हुआ होगा, भीड़ काफी बढ़ चुकी थी, घरों के दरवाजे बंद थे. इसी बीच भीड़ में से ही हिंसा होने लगी, पत्थर फेंके जाने लगे, कुछ ही मिनट में नरोदा गाम इलाके का पूरा हुलिया बदल गया. वहां चारों तरफ आगजनी, तोड़फोड़ जैसे मंजर नजर आने लगे और 11 लोगों की मौत की बात सामने आई. नरोदा गाम और नरोदा पाटिया इलाके दोनों ही हिंसा के निशाने पर रहे और नरोदा पाटिया में 97 लोगों की मौत सामने आई थी. 

नरोदा गाम से ही फैले थे राज्य में दंगे

नरोदा गाम और नरोदा पाटिया में जो नरसंहार हुए थे, इसके बाद ही पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे. राज्य सरकार पर भी दंगाइयों को सहयोग देने का आरोप लगा था. इसके बाद अहमदाबाद के निकट स्थित मुस्लिम आबादी वाले नरोदा पाटिया में कर्फ्यू लगा दिया गया. मामले में SIT की जांच बैठी और इस मामले में एसआईटी ने माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था. माया कोडनानी राज्य सरकार में पूर्व मंत्री रही हैं. लगभग दस घंटे तक चले इन नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए. राज्य के 27 शहरों और कस्बों में कर्फ्यू लगाना पड़ा था. इस दौरान नरोदा के सभी मुस्लिम घरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था.

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अगस्त 2009 से शुरू हुई थी अदालती कार्यवाही

नरोदा गाम हत्याकांड के बाद अगस्‍त 2009 में इस मामले में मुकदमा शुरू हुआ तो पहले 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए थे. सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई. अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए. इनमें पत्रकार, कई पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे. तीन साल तक चली अदालती कार्यवाही के बाद, अगस्त 2012 में एसआईटी मामलों के लिए विशेष अदालत ने बीजेपी विधायक और राज्‍य की नरेन्द्र मोदी सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षड्यंत्र रचने का दोषी पाया था. इसके अलावा 32 अन्‍य को भी दोषी ठहराया गया था. विशेष अदालत के इस फैसले को दोषियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी तो यहां जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए.एस. सुपेहिया की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की. सुनवाई पूरी होने के बाद अगस्‍त 2017 में कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्ष‍ित रख लिया.

जब इस मामले में कोर्ट में हाजिर हुए थे अमित शाह

2009 से शुरू हुई इस मामले की सुनवाई में अब तक 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि 187 लोगों से पूछताछ की गई है. मामले में 57 चश्मदीदों के बयान भी दर्ज किए गए हैं. इस पूरे मामले में तकरीबन 13 साल से सुनवाई चल रही है. मामले में आरोपी पूर्वमंत्री माया कोडनानी की याचिका पर 18 सितम्बर 2017 को अमित शाह कोर्ट में हाजिर हुए थे, और उन्होंने कोडनानी के पक्ष में अपनी गवाही दी थी. 

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शाह ने अपनी गवाही में कही थी ये बात

तब, अमित शाह ने कोर्ट के सामने कहा था कि वह 28 फरवरी को सुबह 7:15 बजे अपने घर से विधानसभा के लिए निकले थे. सदन की कार्यवाही सुबह 8:30 बजे शुरू होनी थी. उन्होंने 28 फरवरी को सुबह 8.40 बजे माया कोडनानी को गुजरात विधानसभा में देखा. उन्होंने कहा मैं नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हास्पिटल पहुंचने के पहले वह कहां थीं. इसके बाद 11 बजे से लेकर 11.30 बजे के आसपास उन्हें अहमदाबाद के सोला सिविल हास्पिटल में देखा. 

माया कोडनानी पर आरोप है कि उन्होंने एक दिन पहले हुए गोधरा कांड से गुस्साए हजारों लोगों की भीड़ को नरोदा गाम में मुसलमानों की हत्या के लिए भड़काया. इस हत्याकांड में उग्र भीड़ ने 11 मुस्लिमों की हत्या कर दी थी. इस मामले में 82 लोगों को आरोपी बनाया गया था.
 

 

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