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Navjot Singh Sidhu News: 27 दिसंबर 1988 को क्या हुआ था? जानें 33 साल बाद नवजोत सिद्धू को क्यों मिली जेल की सजा

Navjot Singh Sidhu News: नवजोत सिंह सिद्धू इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहे हैं. पहले वह पंजाब विधानसभा चुनाव हारे. अब 33 साल पुराने मामले में उनको एक साल की सजा हो गई है.

नवजोत सिंह सिद्धू (फाइल फोटो) नवजोत सिंह सिद्धू (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2022,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST
  • रोड रेज मामले में सिद्धू को एक साल की सजा हुई है
  • सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई है

Navjot Singh Sidhu News: नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोड रेज के मामले में एक साल की सजा सुनाई है. सिद्धू से जुड़ा यह मामला 1988 यानी 33 साल पुराना है. दशकों पुराने केस में सजा सुनाये जाने के बाद अब सिद्धू को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है. फिलहाल सिद्धू सरेंडर से बचने की कोशिशों में लगे हैं.

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इस बीच 33 साल पुराने उस मामले के बारे में जानना भी जरूरी है जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को सश्रम कारावास (कठोर कारावास) की सजा हुई है. इस एक छोटी सी लड़ाई की वजह से सिद्धू को अब जेल का मुंह देखना पड़ेगा.

नवजोत सिद्धू से जुड़े पूरे केस की क्रोनोलॉजी

बात 27 दिसंबर 1988 की है. नवजोत सिंह सिद्धू शाम को अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट गए थे. ये जगह उनके घर से बस 1.5 किलोमीटर दूर है. उस वक्त सिद्धू एक क्रिकेटर थे. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल का वक्त ही हुआ था.

यह भी पढ़ें - क्या जेल जाने के बाद चुनाव लड़ पाएंगे सिद्धू? लीगल एक्सपर्ट्स से जानिए

मार्केट में 65 साल के गुरनाम सिंह से पार्किंग को लेकर उनकी कहासुनी हो गई जो देखते ही देखते मारपीट तक पहुंच गई. मारपीट में सिद्धू ने घुटना मारकर गुरनाम सिंह को गिरा दिया था. बाद में जख्मी हालत में उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी मौत हो गई. इस मामले में सिद्धू के खिलाफ पंजाब के पटियाला जिला में FIR दर्ज हुई.

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फिर 22 सितंबर 1999 को पटियाला के ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त संधू को बरी कर दिया था. लेकिन फिर 2002 में पंजाब सरकार की अपील और शिकायत के बाद मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा. मामले पर सुनवाई चलती रही और देखते ही देखते 2006 आ गया. फिर हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों आरोपियों पर अलग-अलग सुनवाई होगी.

फिर हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू, दोनों को ही सेक्शन IPC 304 II के तहत दोषी ठहराया गया. दोनों को 3-3 साल की सजा सुनाई गई और एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

फिर 2007 में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और सिद्धू और संधू को बरी कर दिया. सिद्धू और संधू को दोनों केस (गैर इरादतन हत्या और रोड रेज) में बरी कर दिया गया था. कोर्ट ने बस गुरनाम को चोट पहुंचाने के लिए सिद्धू पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया था. फिर 2007 में सिद्धू अमृतसर से चुनाव लड़े और जीते भी.

सितंबर 2018 में पीड़ित के परिवार ने कहा कि यह सजा कम है. फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट भी इसपर सुनवाई को राजी हो गया. फिर 25 मार्च 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद अब 19 मई को सिद्धू को रोड रेज के मामले में एक साल की सजा हुई है.

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पीड़ित के परिवार ने सिद्धू पर आईपीसी की धारा 304 के तहत मामला दर्ज करने की मांग भी उठाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.

 

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