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अजित गुट या शरद पवार किसकी NCP? सुप्रीम कोर्ट में 1 अक्टूबर को सुनवाई

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाम, निशान और नियंत्रण के दावे को लेकर NCP नेता शरद पवार की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में एक अक्टूबर को सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अजित पवार गुट को 'असली' राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के तौर पर मान्यता देने के भारत के चुनाव आयोग (ECI) के आदेश पर नोटिस जारी किया था.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:14 PM IST

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाम, निशान और नियंत्रण के दावे को लेकर NCP नेता शरद पवार की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में एक अक्टूबर को सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अजित पवार गुट को 'असली' राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के तौर पर मान्यता देने के भारत के चुनाव आयोग (ECI) के आदेश पर नोटिस जारी किया था. दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने भी अपने आदेश में कहा था कि अजित पवार गुट ही 'असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी' है. निर्णय विधायी बहुमत पर आधारित था. ऐसे में अजित गुट को अयोग्य नहीं ठहरा सकते.

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चुनाव आयोग ने फैसले में क्या कहा था? 
चुनाव आयोग ने शरद पवार बनाम अजित पवार गुट मामले में 147 पेजों का आदेश दिया था. इस आदेश में आयोग ने दोनों गुटों की तमाम बातों और सबूतों का विश्लेषण किया. आयोग ने सभी दस्तावेजी सबूतों का विश्लेषण कर कहा है कि इससे स्पष्ट है कि अजित गुट का पार्टी और पार्टी के अलावा संगठन पर वर्चस्व है. उनके गुट के लोग ज्यादा भी हैं. इस वजह से पार्टी का नाम और निशान दोनों अजित गुट को दिए जाते हैं.

कैसे हुई थी एनसीपी दो फाड़? 
पिछले साल अजित पवार ने बगावत करते हुए एनसीपी दो फाड़ कर दी थी. उन्होंने महाराष्ट्र में शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया था. अजित के साथ कई विधायक भी सरकार में शामिल हो गए थे. इसके बाद अजित ने पार्टी पर अधिकार का दावा किया था और अपने गुट को असली एनसीपी बताया था. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी अजिट गुट को असली एनसीपी करार दे दिया था. इस फैसले को शरद पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. वहीं अब चुनाव आयोग ने भी अजित गुट को ही असली एनसीपी बताते हुए शरद पवार को बड़ा झटका दिया है.

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कैसे तय होता है पार्टी का असली 'बॉस' कौन? 
किसी पार्टी का असली 'बॉस' कौन होगा? इसका फैसला मुख्य रूप से तीन चीजों पर होता है. पहला- चुने हुए प्रतिनिधि किस गुट के पास ज्यादा हैं. दूसरा- ऑफिस के पदाधिकारी किसके पास ज्यादा हैं और तीसरा- संपत्तियां किस तरफ हैं. लेकिन किस धड़े को पार्टी माना जाएगा? इसका फैसला आमतौर पर चुने हुए प्रतिनिधियों के बहुमत के आधार पर होता है. मसलन, जिस गुट के पास ज्यादा सांसद-विधायक होते हैं, उसे ही पार्टी माना जाता है. एनसीपी और शिवसेना में इसी आधार पर फैसला किया गया है.

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