
अजित पवार के साथ सीक्रेट मीटिंग के बाद से लग रहे कयासों के बीच एनसीपी चीफ शरद पवार आज से महाराष्ट्र की यात्रा पर हैं. वे आज बीड में जनसभा भी संबोधित करेंगे. शरद पवार की रणनीति बागी विधायकों के क्षेत्रों में जाकर शक्ति प्रदर्शन करने की है. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने मराठवाड़ा का बीड इलाका चुना. यह अजित पवार खेमे में शामिल धनंजय मुंडे का विधानसभा क्षेत्र है. मुंडे एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री भी हैं. माना जा रहा है कि बीड से शरद पवार बागियों पर निशाना साध सकते हैं.
शरद पवार और अजित पवार की हाल ही में पुणे में एक उद्योगपति के घर पर बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद तमाम सियासी अटकलें लगाई जा रही हैं. महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने यहां तक कह दिया कि पीएम मोदी ने अजित पवार के सामने शर्त रखी है कि अगर वे राज्य के सीएम बनना चाहते हैं, तो शरद पवार को NDA में शामिल कराएं. हालांकि, शिवसेना (उद्धव गुट) ने इस तरह के किसी भी ऑफर से इनकार किया है.
पार्टी को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं शरद पवार
2 जुलाई को शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी थी. वे एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए. अजित पवार ने डिप्टी सीएम बन गए हैं, जबकि उनके साथ 8 बागी विधायकों ने मंत्रिपद की शपथ ली. अजित पवार की बगावत के बाद अब शरद पवार ने फिर से पार्टी को खड़ा करने का प्रयास तेज कर दिया है. बीड में हो रही रैली इसी का हिस्सा है. अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार ने कहा था, ''मैं राज्य और देश का दौरा करूंगा, लोगों से जुड़ूंगा. यह भविष्य के लिए मेरी रणनीति है. मैं जनता तक जाऊंगा.''
हालांकि, अजित ने बगावत के बाद से अब तक चार बार शरद पवार से मुलाकात की है. ऐसे में इन मुलाकातों के बाद हर बार सियासी अटकलें भी लगाई गईं. इसके बाद पवार ने सफाई में कहा कि वे कभी बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएंगे. अब देखना होगा कि बीड से शरद पवार कैसे पार्टी के लिए दोबारा सियासी जमीन तैयार करते हैं और बागियों पर किस तरह निशाना साधेंगे.
शरद पवार ने साधा बीजेपी पर निशाना
इससे पहले शरद पवार ने बुधवार को फिर साफ कर दिया कि वे बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. इसके बजाय वे 2024 में जब चुनाव होंगे तो बदलाव लाने की दिशा में काम करेंगे. इतना ही नहीं पवार ने साफ कर दिया कि अजित के साथ उनकी बैठक पारिवारिक मुद्दा थी. उन्होंने उन अटकलों को खारिज करने की कोशिश की कि जिनमें कहा जा रहा था कि कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) उनके गुट के बिना 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्लान बना रहे हैं.