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ओडिशा के इस छोटे से स्कूल में पढ़ती थीं द्रौपदी मुर्मू, शिक्षकों ने बताया- कैसी स्टूडेंट थीं

राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने वाली द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की कुसुमी तहसील के छोटे से गांव उपरबेड़ा में स्थित एक छोटे से स्कूल से पढ़ी हैं. इस स्कूल के बच्चे उनके उम्मीदवार बनने पर बेहद खुश हैं.

द्रौपदी मुर्मू मयूरभंज जिले की कुसुमी तहसील के उपरबेड़ा के इस स्कूल से पढ़ी हैं. (फोटो-एजेंसी) द्रौपदी मुर्मू मयूरभंज जिले की कुसुमी तहसील के उपरबेड़ा के इस स्कूल से पढ़ी हैं. (फोटो-एजेंसी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 9:15 PM IST
  • मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में है स्कूल
  • टीचर के पूछने पर मुर्मू ने कहा था- जनसेवा करना चाहती हैं

देश की नई 'महामहिम' द्रौपदी मुर्मू के स्कूल की तस्वीरें सामने आई हैं. मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की कुसुमी तहसील के छोटे से गांव उपरबेड़ा में स्थित एक छोटे से स्कूल से पढ़ी हैं. यह गांव दिल्ली से लगभग 2000 किमी और ओडिशा के भुवनेश्वर से 313 किमी दूर है.

मुर्मू के राष्ट्रपति कैंडिडेट बनने पर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय उपरबेड़ा के छात्रों को गर्व है. द्रौपदी मुर्मू को पढ़ाने वाले शिक्षक विश्वेश्वर मोहंती ने बताया कि आज उन्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा है. द्रौपदी एक मेधावी छात्रा थीं.

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द्रौपदी मुर्मू को पढ़ाने वाले शिक्षक विश्वेश्वर मोहंती उनके राष्ट्रपित उम्मीदवार बनने से बेहद खुश हैं. (फोटो-एजेंसी)

मोहंती ने आगे बताया कि उन्हें याद है, एक बार छात्रों से पूछा गया था कि वे भविष्य में क्या बनना चाहते हैं. ज्यादातर छात्रों ने बिजनैस करने की बात कही थी, लेकिन द्रौपदी ने कहा था कि वह लोगों की सेवा करना चाहती हैं.

द्रौपदी जिस स्कूल से पढ़ी हैं, वहां पढ़ने वाले स्टूडेंट तनुश्री, इंद्रजीत और स्मृति उनके राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से बेहद खुश हैं. वे उत्साहित होते हुए कहते हैं कि उन्हें द्रौपदी पर गर्व है. वे उनके लिए एक प्रेरणा हैं. छात्र कहते हैं कि वे भी बड़े होकर अपने और अपने क्षेत्र का नाम रोशन करना चाहते हैं.

द्रौपदी मुर्मू के स्कूल के बच्चे भी बेहद खुश हैं, वे बड़े होकर इसी तरह अपना नाम रोशन करना चाहते हैं. (फोटो-एजेंसी)

बता दें कि द्रौपदी मुर्म के पति और 2 बेटों का निधन हो जाने के बाद उन्होंने अपने घर को एक बोर्डिंग स्कूल में बदल दिया. जहां आज भी स्कूल संचालित किया जाता है.

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द्रौपदी मुर्मू ने 1994 से 1997 के बीच रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेल एजुकेशन एंड रिसर्च में एक शिक्षिका के रूप में काम किया. 1997 में उन्होंने अधिसूचित क्षेत्र परिषद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. एक शिक्षिका के रूप में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में अलग-अलग विषयों को पढ़ाया.

द्रौपदी मुर्मू के साथ काम कर चुके दिलीप गिरी बताते हैं कि सभी के लिए उनका व्यवहार एक सा होता था.

मुर्मू के साथ काम कर चुके दिलीप गिरी ने आजतक को बताया कि वह छात्रों के लिए बहुत प्यारी थीं. छात्रों को उनके जन्मदिन पर चॉकलेट देती थीं. उन्होंने मुझे भी मेरे जन्मदिन 16 फरवरी को चॉकलेट भी दी थी." स्कूल के नॉन टीचिंग स्टाफ ने आगे कहा कि मुर्मू की बेटी भी इसी स्कूल में थी, लेकिन उन्होंने कभी उसके लिए कोई विशेष व्यवहार नहीं किया. गिरी ने बताया कि मुर्मू का व्यवहार सभी छात्रों के साथ एक जैसा था. वो अपनी बेटी और अन्य छात्रों के बीच अंतर नहीं करती थी.

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