
देश में मेडिकल की परीक्षा के पेपर लीक पर उबाल है. स्टूडेंट्स सड़कों पर हैं. शिक्षक-स्टूडेंट्स कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं. इस बीच आजतक ने एक बड़ा खुलासा किया है. स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने उस पेपर लीक माफिया से जुड़े शख्स को खोज निकाला है, जिसने कुछ महीने पहले पेपर लीक की भविष्यवाणी की थी. नाम है बिजेंद्र गुप्ता. आजतक टीम ने जब उससे बात की तो सिर्फ NEET ही नहीं, बल्कि अन्य पेपर लीक को लेकर भी कई बड़े खुलासे किए.
आजतक के खुफिया कैमरे में बिजेंद्र गुप्ता ने कबूल किया कि NEET का पेपर उसके पास परीक्षा शुरू होने से दो घंटे पहले आ गया था. उसे ना तो जेल का डर है और ना ही किसी कार्रवाई का खौफ. खुफिया कैमरे में उसने बेखौफ होकर कहा, "जहां तक जेल की बात है तो आज जेल जाएंगे, कल बेल मिलेगा और परसो से फिर वही खेल करेंगे." उसने कहा, "हमें डर नहीं लगता. देश में कोई पुलिस नहीं है जो बिजेंद्र गुप्ता को पकड़कर पेपर लीक के बारे में बुलवा दे. 5000 डंडा मारेंगे फिर भी नहीं बुलवा पाएंगे."
बिजेंद्र गुप्ता कौन है?
बिजेंद्र गुप्ता 2023 उड़ीसा पेपर लीक में आरोपी है. उसका नाम बिहार के दानापुर में BPSC पेपर लीक जांच में भी आया है. MPPCS सहित कई पेपर लीक में शामिल रहा है. उसने बेदी राम के साथ शुरुआत की, जो अब उत्तर प्रदेश में विधायक है. बिजेंद्र गुप्ता संजीव मुखिया जैसे प्रमुख खिलाड़ियों को जानता है, जो NEET घोटाले का मास्टरमाइंड है. विशाल चौरसिया से भी उसका कॉन्टेक्ट है, जिसे हाल ही में गिरफ्तार किया गया है. पेपर लीक इंडस्ट्री में सालों के अनुभव के साथ बिजेंद्र गुप्ता का दावा है कि सब नेटवर्किंग का खेल है.
संजीव मुखिया पर बिजेंद्र गुप्ता ने क्या खुलासा किया?
संजीव मुखिया को NEET पेपर लीक मामले में किंगपिन कहे जाने पर बिजेंद्र गुप्ता ने भी मुहर लगाई. संजीव को पुलिस खोज रही है लेकिन गुप्ता का कहना है कि वो पुलिस को मिलने वाला नहीं है. बिजेंद्र गुप्ता का कहना है कि इस बार संजीव मुखिया 100-200 करोड़ कमाना चाहता था. उसने 700 स्टूडेंट्स का काम किया है. मसलन, 700 स्टूडेंट्स को पेपर बेचने का काम किया है. बिजेंद्र गुप्ता के मुताबिक, संजीव मुखिया एक पेपर के बदले 40 लाख रुपए लेता था. उसने न सिर्फ बिहार में बल्कि हर राज्य में उसने पेपर लीक किया और पैसा कमाए हैं.
बिजेंद्र गुप्ता के मुताबिक, संजीव मुखिया ने बेंगलुरू और मध्य प्रदेश में भी पेपर लीक करके बेचे हैं. उसका कहना है कि पेपर के नतीजे आने के बाद पैसे दिए जाते हैं और अब जबकि लीक का खुलासा हो गया है तो वो 'बर्बाद' हो गया. मसलन, पेपर लीक का खुलासा होने के बाद अब संजीव मुखिया को कोई पैसा नहीं मिलेगा. उसका कहना है कि पेपर लीक मामले में बिहार का बहुत बड़ा रोल है. उसने बताया, "2002 के बाद कहा जाता है कि बिना बिहारी कोई पेपर लीक सक्सेस नहीं हुआ.
कौन है संजीव मुखिया?
NEET पेपर लीक का मास्टरमाइंड है संजीव मुखिया. संजीव मुखिया, जिसे लूटन के नाम से भी जाना जाता है, पेपर लीक इंडस्ट्री में कुख्यात है. वह पहली बार 2010 में ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल करके छात्रों को नकल करने में मदद करने के लिए बदनाम हुआ था. इस साल ही, उसके गिरोह को NEET, UP पुलिस कांस्टेबल भर्ती और BPSC परीक्षा लीक में दबोचा गया है.
संजीव के बेटे शिव कुमार को BPSC लीक में उसकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था और वह अभी जेल में है. जांच में पता चला कि शिव कुमार कई परीक्षा पेपर लीक में शामिल था. संजीव की पत्नी ममता देवी ने पहले रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
बिजेंद्र गुप्ता ने एनटीए को लेकर क्या दावा किया?
आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के सामने बिजेंद्र गुप्ता कहता है, "देखिए जब कुछ होता है तभी बाजा बजता है." उसने न सिर्फ अपने काले कारनामे का खुलासा किया, बल्कि एनटीए की भी पोल खोलकर रख दी. बिजेंद्र गुप्ता वो ही है जिसका इस साल मार्च महीने में कथित रूप से एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह NEET परीक्षा के पेपर लीक की भविष्यवाणी कर रहा था. गुप्ता पेपर लीक की अंदरूनी जानकारी के लिए जाना जाता है. पेपर लीक का खुलासा होने के बाद आजतक टीम ने उसे बिहार में ट्रैक किया.
NTA के लूपहोल के बारे में बिजेंद्र गुप्ता कहता है, "15-20 साल का अनुभव है. खुलके बता देते हैं. तो एनटीए ने इवैलुएशन जिसको दिया है, खेल वहीं हुआ है. यह आउटसोर्सिंग करती है. भारत में 3 4 कंपनी है जो इवैलुएशन करती है. 3 4 मंत्री का बेटा है तो अंदर से ही उसका (काम) हो जाता है. एनटीए यही तो झप रही है. यह तो दो मिनट का खेल है. जो 1500 बच्चों का आपने री-टेस्ट दिया है, उनको बोलो प्रक्रिया से उत्तर बनाओ, टिक मत मारो, 50% उत्तर अगर दे दिया तो हम सजा सह लेंगे. उसको तो रट्टा लगाया है."
आखिर कैसे होता पेपर लीक का खेल?
बिजेंद्र गुप्ता बताता है कि कैसे ट्रांसपोर्टेशन के दौरान पेपर के बॉक्स तोड़ दिए जाते हैं और कैसे ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को टेंडर मिलते रहते हैं. बिजेंद्र गुप्ता का कहना है, "लीक जो ये लोग करते हैं वो बहुत तरीके का है. सरकार स्ट्रांगरूम बनाती है, प्रिंटिंग प्रेस हो गया, जो भी यूपी एसटीएफ ने पकड़ा, वो एक लॉजिस्टिक कंपनी थी. आप प्रिंटिंग कर रहे हो तो आप किसी से (ट्रांसपोर्टेशन) तो करोगे. तो जहां से ट्रांसपोर्टेशन हुआ था, वहीं से (बॉक्स) ब्रेक किया गया था."
बिजेंद्र गुप्ता ने खुफिया कैमरे में बताया, "पेपर प्रिंटिंग की जो टेंडर होती है वो प्रिंटिंग प्रेस डायरेक्ट और इनडायरेक्ट लेती है." बिजेंद्र गुप्ता के खुलासे से एक गहरे नेटवर्क का पता चलता है, जिसमें ब्लैकलिस्टेड कंपनियां भी अपने संचालन को जारी रखने के लिए टेंडर प्रक्रियाओं में हेरफेर करती हैं.
जब आजतक की टीम ने बिजेंद्र गुप्ता से पूछा कि आखिर उसने कैसे पेपर लीक किया? उसने बताया, "आप लोगों ने देश के सबसे बड़े पेपर माफिया बेदी राम का नाम सुना होगा, जौनपुर के हैं. वो ही किए थे, हम असिस्टेंट थे. विद्यार्थी लायक थे, कहा नौकरी लगा देंगे, चले गए और जेल जाना पड़ गया. बिजेंद्र गुप्ता जैसे लोगों का नेटवर्क पूरे देश में आपस में जुड़ा हुआ है, जो टेंडरिंग प्रक्रिया में खामियों का फायदा उठाते हैं. गुप्ता का कहना है कि सब कुछ नेटवर्किंग से जुड़ा हुआ है, ये भी एक नेटवर्किंग है.