
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में 8 सितंबर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं. इसको लेकर नेताजी की बेटी अनीता बोस फाफ ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि नेताजी की प्रतिमा का अनावरण 8 सितंबर को क्यों किया जा रहा है. इसका अनावरण भारत या नेताजी के किसी महत्वपूर्ण दिन को किया जाना चाहिए था.
नेताजी बोस की बेटी अनीता बोस फाफ ने आजतक से बात करते हुए कहा कि प्रतिमा के अनावरण के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है, लेकिन उन्हें पीएमओ से प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय नहीं मिला है. दरअसल अनीता बोस ने नेताजी की अस्थियों को जापान से भारत लाने के लिए पीएमओ को चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने कहा कि हालांकि पीएम व्यस्त व्यक्ति हैं. इसको लेकर उन्हें अब तक कोई जवाब नहीं मिला है.
अनीता बोस ने बताया कि ऐसी अफवाह है कि नेताजी के परिवार ने प्रतिमा अनावरण के कार्यक्रम को बायकोट कर दिया है, ये एकदम गलत है. इससे पहले अनीता बोस ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा था कि टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में नेताजी के अवशेषों को एक 'अस्थायी' जगह पर रखा है. यहां देखभाल करने वाली तीन पीढ़ियां गुजर गई हैं. इसलिए अब इन अवशेषों को वापस लाया जाना चाहिए.
डीएनए टेस्ट के लिए रखी थी मांग
इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अब डीएनए टेस्ट होने लगा है. बशर्ते डीएनए को अवशेषों से निकाला जा सके. जिन लोगों को अभी भी संदेह है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को नहीं हुई थी, उनके लिए ये वैज्ञानिक प्रमाण महत्वपूर्ण होगा. अभी लोगों में संदेह है कि टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में रखे गए अवशेष नेताजी के नहीं हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि रेनकोजी मंदिर के पुजारी और जापानी सरकार इस तरह के परीक्षण के लिए सहमत है, जैसा कि नेताजी की मृत्यु (जस्टिस मुखर्जी जांच आयोग) की अंतिम सरकारी भारतीय जांच रिपोर्ट में दिखाया गया है. तो चलिए अंत में नेताजी को घर वापस लाने की तैयारी करते हैं.
ओडिशा के मूर्तिकार ने बनाई है प्रतिमा
बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण दिल्ली के इंडिया गेट पर 8 सितंबर को पीएम मोदी द्वारा किया जाना है. 28 फीट ऊंची ग्रेनाइट से बनी इस प्रतिमा को ओडिशा के प्रसिद्ध मूर्तिकार अद्वैत गडनायक ने तैयार किया है. इसे इंडिया गेट पर बनी छतरी में लगाया जाएगा. इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को हटाकर नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय कर दिया गया है.