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श्रीलंका से सबक की जरूरत, 'रेवड़ी कल्चर' पर विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान

विदेश मंत्री एस जयशंकर और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मीटिंग के बाद ब्रीफ किया. जयशंकर ने कहा- 'हमने आप सभी से सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया था. यह एक बहुत ही गंभीर संकट है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर
पॉलोमी साहा
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:02 PM IST
  • श्रीलंका के हालात पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दी पूरे मामले में जानकारी

श्रीलंका में आर्थिक संकट से बिगड़े हालात पर मंगलवार को केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई. इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत स्वाभाविक रूप से श्रीलंका में 'बहुत गंभीर संकट' से चिंतित है और इसे बड़े सबक के तौर पर ले रहा है. हमें राजकोषीय विवेक, जिम्मेदार शासन और 'मुफ्त के कल्चर' के दुष्परिणामों से सबक लेना होगा. बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वोट के लिए फ्री रेवड़ी कल्चर पर सवाल उठाया था.

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सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस से पी चिदंबरम और मनिकम टैगोर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से शरद पवार, डीएमके से टीआर बालू और एमएम अब्दुल्ला, एम थंबीदुरई (AIADMK), सौगत रे (तृणमूल कांग्रेस), फारूक अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी), केशव राव (तेलंगाना राष्ट्र समिति), रितेश पांडे (बहुजन समाज पार्टी), विजयसाई रेड्डी (वाईएसआर कांग्रेस) और वाइको (एमडीएमके) भी शामिल होने पहुंचे थे.

विदेश मंत्री एस जयशंकर और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ऑल पार्टी मीटिंग के बाद ब्रीफ किया. जयशंकर ने बताया- 'बैठक में 28 पार्टियों के 38 नेता शामिल हुए. हमने 46 पार्टियों को आमंत्रित किया था. ये सरकार की तरफ से पहल थी. उन्होंने आगे कहा कि हम चाहते थे कि देश के सभी नेता, सभी दल श्रीलंका के गंभीर हालात पर चर्चा करें. श्रीलंका बहुत करीबी पड़ोसी है जो स्वाभाविक रूप से भारत के लिए चिंता का विषय है. 

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Held All Party Leaders’ Meeting, chaired by EAM @DrSJaishankar ji, regarding the current situation in Sri Lanka. 46 parties were invited, out of which 28 parties attended the meeting. India's concerns and strategy about Sri Lanka's political situation was briefed to all parties. pic.twitter.com/0ekQOUMg76

— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) July 19, 2022

जयशंकर ने कहा कि किसी भी पड़ोसी देश में अगर अस्थिरता या हिंसा होती है तो यह गहरी चिंता का विषय है. वहां भी हमारा राजनीतिक हित है. मत्स्य पालन में भी हमारी रुचि है. उन्होंने कहा कि हमने दो प्रजेंटेशन दिए. उनमें एक राजनीतिक प्रजेंटेशन था. कई सदस्य चिंतित थे कि श्रीलंका को लेकर हमारे लिए क्या सबक हैं. 

हमारी अच्छी चर्चा हुई. सदस्य जानना चाहते थे कि हमने श्रीलंका के लिए क्या किया है. हमने मानवीय पहलू को ध्यान में रखा है. विदेश मंत्री ने कहा कि लगभग सभी राजनीतिक दल के नेताओं के साथ चर्चा हुई कि हम कैसे आगे बढ़ें. आगे देखेंगे कि हम क्या और भूमिका निभा सकते हैं. हमारी सद्भावना स्पष्ट है. हमारे लिए पड़ोसी पहले हैं. 

जयशंकर ने यह भी कहा कि श्रीलंका के संबंध में कुछ 'गलत जानकारी' की तुलना की गई है, जिसमें कुछ लोगों ने पूछा है कि क्या 'भारत में ऐसी स्थिति हो सकती है.' उन्होंने कहा- 'श्रीलंका से बहुत गंभीर सबक सीखने की जरूरत है. राजकोषीय विवेक, जिम्मेदार शासन और मुफ्त की संस्कृति नहीं होनी चाहिए.

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बता दें कि श्रीलंका सात दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. वहां विदेशी मुद्रा ना होने की वजह से फूड, फ्यूल और दवाओं समेत जरूरी वस्तुओं का आयात नहीं होने में परेशानी आ रही है. आर्थिक मंदी की वजह से लोगों ने सरकार के खिलाफ बगावत कर दी है. कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है.

तमिलनाडु के राजनीतिक दलों DMK और AIADMK ने संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले एक सर्वदलीय बैठक में मांग की थी कि भारत को पड़ोसी देश के संकट में हस्तक्षेप करना चाहिए.

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