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पहले भूमि अधिग्रहण, अब कृषि कानून...जब किसानों के सामने बैकफुट पर आई मोदी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया है. केंद्र सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून को भी वापस लेना पड़ा था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटोः ट्विटर) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटोः ट्विटर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST
  • सरकार को वापस लेना पड़ा था भूमि अधिग्रहण अध्यादेश
  • कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे थे किसान

केंद्र सरकार की ओर से नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के आगे आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया है. केंद्र सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून को भी वापस लेना पड़ा था. अब केंद्र सरकार को कृषि कानून भी वापस लेने का ऐलान करना पड़ा है.

राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान तीनों कानून वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे. किसानों ने साफ कर दिया था कि उन्हें इन कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं. केंद्र सरकार ने किसानों की चिंता पर संशोधन की बात कही. दो साल तक कानून सस्पेंड करने का भी आश्वासन दिया लेकिन किसान आंदोलन खत्म करने को राजी नहीं हुए. पीएम मोदी ने इसका भी जिक्र अपने संबोधन में किया.

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ये पहला अवसर नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को अपने कदम वापस लेने पड़े. इससे पहले भी पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को एक अध्यादेश वापस लेना पड़ा था. केंद्र सरकार को जब भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस लेना पड़ा था, तब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ लिए हुए कुछ ही समय हुआ था.

क्या था भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता में आने के कुछ ही महीने बाद केंद्र सरकार ने नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश बनाया. इसके जरिए भूमि अधिग्रहण को सरल बनाने के लिए किसानों की सहमति का प्रावधान खत्म कर दिया गया था. जमीन अधिग्रहण के लिए 80 फीसदी किसानों की सहमति जरूरी थी. नए कानून में किसानों की सहमति का प्रावधान समाप्त कर दिया था.

किसानों ने इसका विरोध किया. सियासी दलों ने भी भारी विरोध किया जिसके कारण सरकार ने इसे लेकर चार बार अध्यादेश जारी किए लेकिन वो इससे संबंधित बिल संसद में पास नहीं करा पाई. अंत में केंद्र सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े और पीएम मोदी के सरकार ने 31 अगस्त 2015 को ये कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया.

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