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Droupadi Murmu wins Presidential Election: देश की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गईं द्रौपदी मुर्मू, ऐसे तय किया टीचर से लेकर प्रेसिडेंट तक का सफर

Droupadi Murmu wins Presidential Election: ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति चुन ली गईं हैं.द्रौपदी मुर्मू पहली आदिवासी महिला हैं, जो राष्ट्र के सबसे प्रतिष्ठित पद पर विराजमान हुई हैं. मयूरभंज के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने राष्ट्रपति होने तक का सफर तय किया है.

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद द्रौपदी मुर्मू को बधाई देते पीएम मोदी. राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद द्रौपदी मुर्मू को बधाई देते पीएम मोदी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:03 AM IST
  • रायरंगपुर सीट से दो बार विधायक भी चुनी गईं थीं मुर्मू
  • 2015 में बनाई गईं थीं झारखंड की राज्यपाल

Droupadi Murmu wins Presidential Election: NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. तीसरे राउंड की गिनती में ही उन्होंने राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी 50 फीसदी वोट पा लिये हैं. उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हरा दिया है. मुर्मू की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए के नेताओं ने मुर्मू को जीत की बधाई दी. वहीं यशवंत सिन्हा ने भी मुर्मू को जीत की बधाई दी. 

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मयूरभंज के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने राष्ट्रपति होने तक का सफर तय किया है. मुर्मू मयूरभंज जिले की कुसुमी तहसील के छोटे से गांव उपरबेड़ा में स्थित एक छोटे से स्कूल से पढ़ी हैं. यह गांव दिल्ली से लगभग 2000 किमी और ओडिशा के भुवनेश्वर से 313 किमी दूर है. द्रौपदी मुर्म के पति और 2 बेटों का निधन हो जाने के बाद उन्होंने अपने घर को एक बोर्डिंग स्कूल में बदल दिया. जहां आज भी स्कूल संचालित किया जाता है.

टीचर के बाद लड़ा निर्दलीय चुनाव, जीत भी मिली

द्रौपदी मुर्मू ने 1994 से 1997 के बीच रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेल एजुकेशन एंड रिसर्च में एक शिक्षिका के रूप में काम किया. 1997 में उन्होंने अधिसूचित क्षेत्र परिषद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. एक शिक्षिका के रूप में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में अलग-अलग विषयों को पढ़ाया.

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द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है. वह आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं. द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था. दंपति के दो बेटे और एक बेटी हुई. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया. 

मुर्मू ने एक टीचर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और फिर उन्होंने ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के पद पर भी नौकरी की. मुर्मू ने नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर खर्च चलाया और बेटी इति मुर्मू को पढ़ाया-लिखाया. बेटी ने भी कॉलेज की पढ़ाई के बाद एक बैंक में नौकरी हासिल कर ली. इति मुर्मू इन दिनों रांची में रहती हैं और उनकी शादी झारखंड के गणेश से हो चुकी है. दोनों की एक बेटी आद्याश्री है.

रायरंगपुर सीट से दो बार विधायक भी चुनी गईं

द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आगाज किया था. उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया. साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक बनीं. ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया.

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2015 में बनाई गईं झारखंड की राज्यपाल

द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं. उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी. झारखंड हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पर की शपथ दिलाई थी. झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा. साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी हैं.

 

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