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राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में गुरुवार को पटाखों पर 30 नवंबर तक पूरी तरह बैन लगाने के मामले में सुनवाई के दौरान एनजीटी ने महात्मा गांधी की बात 'वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे' को याद किया. दरअसल, सुनवाई के दौरान पटाखे बनाने से जुड़ी एसोसिएशन ने कोर्ट को कहा कि ये सीधे 10 लाख लोगों के रोजगार से जुड़ा मामला है. ग्रीन पटाखों से 30 फीसदी से भी कम प्रदूषण होता है, ऐसे में पटाखों को बनाने से जुड़े लोगों के रोजगार को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, खास तौर से इस वक्त जब कोविड के चलते लोगों के पास पहले से ही रोजगार नहीं हैं.
इस पर कोर्ट ने कहा कि हम ग्रीन पटाखों को चलाने के खिलाफ नहीं हैं, हम सिर्फ कुछ वक्त के लिए इसको बैन करने की बात कर रहे हैं, जिससे प्रदूषण को और बढ़ने से रोका जा सके. पटाखों की एसोसिएशन के कुछ वकीलों ने कहा कि पराली से सबसे ज्यादा प्रदूषण हो रहा है. ग्रीन पटाखों से इतना प्रदूषण नहीं हो रहा है.
इस पर एनजीटी ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे हैं कि सिर्फ पटाखों से ही प्रदूषण होता है, प्रदूषण के बहुत सारे कारण हैं, लेकिन अगर और कारणों पर रोक नहीं लगी हुई है, तो सिर्फ इस आधार पर पटाखों पर बैन न लगाया जाए, ऐसा नहीं हो सकता.
एनजीटी ने कहा, 'हमारे आदर्श महात्मा गांधी हैं जिन्होंने कहा था कि वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे. हमें पटाखों को बनाने वालों से सहानभूति है, लेकिन क्या आप लोगों को आम लोगों के स्वास्थ्य या उनकी जान से सहानुभूति है. अगर किसी एक व्यक्ति की भी मौत प्रदूषण के चलते होती है, तो हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते.'
पर्यावरण मंत्रालय के वकील ने कहा कि अभी तक ऐसी कोई स्टडी नहीं है जिससे ये साफ हो सके कि पटाखों को चलाने से कोविड के मामले बढ़ेंगे. कोर्ट ने वकील को फटकारते हुए कहा कि क्या आपको पर्यावरण कानूनों की जानकारी है, अगर होती तो आपको पता होता कि किसी भी चीज को लागू करने के लिए स्टडी करने की जरूरत होती है. किसी भी चीज पर बैन लगाने के लिए स्टडी की जरूरत नहीं होती.
दिल्ली सरकार ने कहा कि हम इसको लेकर 4 बजे एक मीटिंग कर रहे हैं, जिसमें प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं. अगर हम पटाखों पर बैन लगाते हैं तो इसकी रिपोर्ट कल तक कोर्ट में दाखिल कर देंगे.
असम ने कहा कि हमारे यहां पराली जलाने की समस्या नहीं है, हमारे यहां हवा साफ है. हमें पटाखे जलाने की इजाजत दी जाए. कोर्ट ने कहा कि जिन राज्यों में हवा मोडरेट स्तर पर है, वहां पटाखे जलाए जा सकते हैं.