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NIA ने युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने वाले PFI के ट्रेनर को किया गिरफ्तार

एनआईए की जांच में पता चला है कि 33 साल के नौसाम मोहम्मद यूनुस ने अपने पूरे परिवार को आंध्र प्रदेश से बुला लिया था और अब वह बेल्लारी के काउल बाजार इलाके में छिपा हुआ था. यहां वह बशीर नाम से प्लंबिंग का काम करता था.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2023,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने निजामाबाद आतंकी साजिश मामले में पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ट्रेनर को गिरफ्तार किया है. यह ट्रेनर कर्नाटक में फर्जी पहचान के साथ रह रहा था. आरोपी युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था. 

पीएफआई पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर उन्हें संगठन में शामिल करने का आरोप है. आरोपी युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने के लिए उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग देता था. 

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33 साल का आरोपी नौसाम मोहम्मद यूनुस को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया. वो अपने बड़े भाई के इन्वर्टर के कारोबार से जुड़ा हुआ था. सितंबर 2022 में जब उसके घर की तलाशी ली गई तो यूनुस अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ फरार हो गया था.

कौन है पीएफआई का ट्रेनर

एनआईए की जांच में पता चला है कि 33 साल के नौसाम मोहम्मद यूनुस ने अपने पूरे परिवार को आंध्र प्रदेश से बुला लिया था और अब वह बेल्लारी के काउल बाजार इलाके में छिपा हुआ था. यहां वह बशीर नाम से प्लंबिंग का काम करता था.

यूनुस हथियारों की ट्रेनिंग देने में माहिर है. वह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पीएफआई में भर्ती हुए युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था. वह इन दोनों राज्यों में पीएफआई का ट्रेनिंग समन्वयक भी था.

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PFI को बैन कर चुकी है सरकार

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI पर सरकार ने पिछले साल 28 सितंबर को प्रतिबंध लगा दिया था. गृह मंत्रालय के मुताबिक, PFI ने समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुंच बढ़ाने के लिए अलग-अलग संगठनों की स्थापना की, जिसका एकमात्र मकसद सदस्यता बढ़ाना और फंड जुटाना है.

PFI और उसके संगठन सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संगठन के तौर पर काम करते हैं, लेकिन एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाना इनका छिपा हुआ एजेंडा है. सरकार ने ये प्रतिबंध PFI के साथ-साथ उसके 8 सहयोगी संगठन- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कन्फिडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वुमन फ्रंट (NWF), जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल पर भी लगा दिया था.

गृह मंत्रालय का कहना है कि PFI ने समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुंच बढ़ाने के लिए अलग-अलग संगठनों की स्थापना की, जिसका एकमात्र मकसद सदस्यता बढ़ाना और फंड जुटाना है. PFI और उसके संगठन सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संगठन के तौर पर काम करते हैं, लेकिन एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाना इनका छिपा हुआ एजेंडा है.

क्या है PFI?

22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से PFI बना था. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है. PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है. हालांकि, दावा करता है कि 20 राज्यों में उसकी यूनिट है. शुरुआत में PFI का हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था, लेकिन बाद में इसे दिल्ली शिफ्ट कर लिया गया. ओएमए सलाम इसके अध्यक्ष हैं और ईएम अब्दुल रहीमान उपाध्यक्ष.

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