
लोकसभा में मंगलवार को मानसून सत्र हंगामे दार रहा. बजट पर चर्चा के दौरान जहां पहले अखिलेश यादव और अनुराग ठाकुर भिड़ गए, तो वहीं इसके ठीक बाद राहुल गांधी और अनुराग ठाकुर के बीच काफी जोरदार बहस हुई. संसद सत्र का संचालन कर रहे जगदंबिका पाल ने कई बार सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के नेताओं को टोका तो वहीं दोनों पक्षों में आरोप-प्रत्यारोप का लंबा दौर चला. इसके बाद संसद में चल रही बहस एक बार फिर हलवे की ओर मुड़ गईं, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पर चर्चा के बीच जवाब देने के लिए खड़ी हुईं. उन्होंने 'हलवा सेरेमनी' को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधा और उनकी टिप्पणियों पर जवाब भी दिया.
हलवा सेरेमनी कब से बना फोटो इवेंट?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'हलवा सेरेमनी' को लेकर राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब देते हुए पूछा कि, “ये कब से फोटो इवेंट बन गया? क्या तब किसी ने उनसे पूछा कि उस समय इसमें कितने एससी और एसटी के लोग थे? यह सेरेमनी तब से चली आ रही है जब मिंटो रोड पर बजट के पेपर छपा करते थे. तब 9 दिन और 8 रातों तक बजट बनाने में शामिल लोगों को बेसमेंट में रखा जाता था. बजट तैयार शुरू होने से पहले हलवा उन्हीं कर्मचारी द्वारा तैयार किया जाता था. यह भारतीय परंपरा है.”
राहुल गांधी ने उठाया था सवाल
दरअसल, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक दिन पहले बजट की 'हलवा सेरेमनी' की तस्वीर पर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की थी, 'ये बजट का हलवा बंट रहा है. इस फोटो में मुझे कोई ओबीसी अफसर नहीं दिख रहा, कोई आदिवासी अफसर नहीं दिख रहा, कोई दलित अफसर नहीं दिख रहा.'
स्टाफ खुद बनाता है हलवा
हलवा सेरेमनी में एससी, एसटी और ओबीसी लोगों की संख्या से जुड़े सवाल पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “अब, 5 दिन और 4 रातों तक वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक में रखा जाता है. पहले इसके लिए अफसरों को 8 दिन और 9 रातों के लिए वहां रुकना पड़ता था. उन्होंने कहा कि, 'बजट से पहले हलवा सेरेमनी बहुत पहले से हो रही है. मिंटो रोड में जब प्रिंटिंग प्रेस थी, वहां बजट प्रिंट होता था. जब कर्मचारी बजट पेश होने तक बाहर नहीं आते थे, तब उनके लिए हलवा बनता था. नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ये हलवा स्टाफ खुद बनाता है.
दो स्टाफ का खासतौर पर किया जिक्र
इस दौरान वित्त मंत्री ने विशेष तौर पर कहा कि, 'मैं दो लोगों का सम्मान करना चाहती हूं, जो प्रिंटिंग के स्टाफ हैं. रिटायर्ड अफसर कुलदीप शर्मा प्रेस के डिप्टी मैनेजर थे. उनके ऑफिस में रहने के दौरान पिता के निधन की खबर मिली, लेकिन वे बाहर नहीं निकले. दूसरे सुभाष हैं. उनके ऑफिस में रहने के दौरान बेटे के निधन का मैसेज आया. उन्होंने कहा कि मेरी जिम्मेदारी पहले है. मैं बाहर नहीं जाऊंगा. हलवा बनाना, ऑफिस में रहना, कर्तव्य निभाने के बाद बाहर आना... इस जिम्मेदारी भी पूरी प्रक्रिया को नीचा दिखाना सही नहीं है.'
राहुल गांधी ने क्या कहा था?
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सदन में केंद्रीय बजट से पहले होने वाली 'हलवा सेरेमनी' की फोटो का हवाला देते हुए सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि 'बजट का हलवा बंट रहा है, लेकिन देश को हलवा मिल ही नहीं रहा'. राहुल गांधी का भाषण सुन सामने बैठीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हंसते हुए अपना माथा पकड़ लिया. हालांकि स्पीकर ओम बिरला ने राहुल गांधी को फोटो दिखाने की अनुमति नहीं दी थी.
'हलवा सेरेमनी' की तस्वीर क्यों बनी थी मुद्दा
राहुल गांधी ने तस्वीर का हवाला देते हुए कहा, 'मैं ये फोटो समझाना चाह रहा हूं. ये बजट का हलवा बंट रहा है. इस फोटो में मुझे कोई ओबीसी अफसर नहीं दिख रहा, कोई आदिवासी अफसर नहीं दिख रहा, कोई दलित अफसर नहीं दिख रहा. ये क्या हो रहा है. देश का हलवा बंट रहा है और इसमें 73 प्रतिशत कहीं है ही नहीं.' राहुल गांधी की इस टिप्पणी पर सामने बैठीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना माथा पकड़ लिया.
'आप लोग हलवा खा रहे हो और बाकी देश को नहीं मिल रहा'
राहुल ने आगे कहा, 'आप लोग हलवा खा रहे हो और बाकी देश को हलवा मिल ही नहीं रहा है. हमने पता लगाया है, 20 अफसरों ने बजट को तैयार किया है, उनके नाम मेरे पास हैं मतलब हिंदुस्तान इन 20 लोगों ने हलवा बांटने का काम किया है. उन 20 लोगों में 90 फीसदी में से सिर्फ दो हैं, एक अल्पसंख्यक और एक ओबीसी और इस फोटो में एक भी नहीं है. मतलब फोटो में आपने पीछे कर दिया. फोटो में आने ही नहीं दिया.' राहुल गांधी ने कहा था, 'मैं देख रहा हूं कि सरकार हलवा बांटती जाती है और बांटता कौन है, वही 2-3 प्रतिशत लोग और बंटता किसको है वही 2-3 प्रतिशत को... वित्त मंत्री मुस्कुरा रही हैं, कमाल की बात है. ये हंसने की बात नहीं है मैडम.