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क्या सांसद-विधायक और राष्ट्रपति भी देते हैं इनकम टैक्स? जानिए क्या हैं प्रावधान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट में इनकम टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान किया. ऐसे में जानना जरूरी है कि क्या सांसद, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और विधायकों का भी इनकम टैक्स लगता है?

सांसद और विधायकों को बेसिक सैलरी पर ही इनकम टैक्स देना होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर- Getty Images) सांसद और विधायकों को बेसिक सैलरी पर ही इनकम टैक्स देना होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर- Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के लिए जो बजट पेश किया, उसमें इनकम टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान किया गया. सरकार ने सात लाख रुपये तक की सालाना कमाई को इनकम टैक्स से छूट दे दी. पहले ये छूट पांच लाख तक की सालाना आय पर थी.

सरकार ने बजट में सिर्फ इनकम टैक्स को लेकर यही बदलाव नहीं किया. बल्कि 2020 में टैक्स की जो 6 दरें थीं, उसे घटाकर अब 5 कर दिया गया है. अब तीन लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. 3 से 6 लाख पर 5%, 6 से 9 लाख पर 10%, 9 से 12 लाख पर 15%, 12 से 15 लाख पर 20% और 15 लाख से ज्यादा पर 30% टैक्स लगेगा.

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मोदी सरकार में टैक्स छूट की सीमा को कई बार बढ़ाया गया है. मनमोहन सरकार में सालाना दो लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में मोदी सरकार आने के बाद पहले बजट में ही इस सीमा को दो लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये कर दिया गया था. बाद में इस सीमा को पांच लाख तक बढ़ा दिया गया और अब सात लाख तक बढ़ा दिया गया है.

अब जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट में नए टैक्स सिस्टम का ऐलान किया तो इसके नफे-नुकसान पर भी चर्चा होने लगी. लेकिन इस बीच ये जानना भी जरूरी है कि जिस संसद में ये बजट पेश किया गया, वहां बैठे सांसद भी क्या इनकम टैक्स देते हैं? बजट पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर भी होंगे तो क्या वो भी इनकम टैक्स देंगी? ये जानने से पहले जानते हैं कि लोकसभा-राज्यसभा सांसदों और राष्ट्रपति की सैलरी कितनी होती है?

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किसकी कितनी सैलरी?

लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की सैलरी और भत्ते बराबर ही होते हैं. दोनों सदनों के सदस्यों की सैलरी और भत्ते आखिरी बार 2018 में बढ़े थे. अब 1 अप्रैल 2023 से इनमें फिर बढ़ोतरी होगी. हर पांच साल में सैलरी और भत्तों में बढ़ोतरी होती है.

लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को हर महीने एक लाख रुपये की सैलरी मिलती है. इसके साथ ही 70 हजार रुपये का भत्ता निर्वाचन क्षेत्र के लिए और ऑफिस के खर्चे के लिए 60 हजार रुपये मिलते हैं. 

इसके अलावा जब संसद का सत्र चलता है तो दो हजार रुपये का डेली अलाउंस भी मिलता है. चूंकि प्रधानमंत्री भी सदन के सदस्य होते हैं, इसलिए उन्हें भी यही सैलरी और भत्ता मिलता है.

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को भी सैलरी और भत्ते मिलते हैं. राष्ट्रपति को हर महीने 5 लाख रुपये और उपराष्ट्रपति को 4 लाख रुपये सैलरी मिलती है. सैलरी के अलावा कई सारे भत्ते भी मिलते हैं.

क्या ये भी टैक्स देते हैं?

चाहे सांसद हो या प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति, सभी को इनकम टैक्स देना पड़ता है. हालांकि, इन्हें सिर्फ सैलरी पर ही टैक्स देना होता है.

नियमों के मुताबिक, लोकसभा-राज्यसभा के सांसद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सिर्फ सैलरी पर ही टैक्स भरते हैं. बाकी जो अलग से भत्ते मिलते हैं उन पर कोई टैक्स नहीं लगता.

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मतलब, सांसदों की हर महीने की सैलरी एक लाख रुपये है. इस हिसाब से सालाना सैलरी 12 लाख रुपये हुई. इस पर ही उन्हें टैक्स देना होता है. 

सांसदों, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सैलरी पर 'अन्य स्रोतों से प्राप्त आय' के अंतर्गत टैक्स लगाया जाता है.

विधायक देते हैं क्या टैक्स?

हर राज्य के विधायकों को मिलने वाली सैलरी और भत्ते अलग-अलग होते हैं. मसलन, पंजाब के विधायकों की सैलरी 25 हजार रुपये है तो मध्य प्रदेश के विधायकों की सैलरी 30 हजार रुपये प्रति महीना है.

ज्यादातर राज्यों में भी विधायकों की सिर्फ बेसिक सैलरी पर ही इनकम टैक्स लगता है. बाकी भत्तों पर कोई टैक्स नहीं लगता. 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में अभी सात राज्य ऐसे हैं जहां विधायकों का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से जाता है. 

इन राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल है. इन राज्यों के विधायकों का इनकम टैक्स जनता के पैसे से चुकाया जाता है.

 

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