
पटना में हाल में बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने संगठन को बेवजह बयानबाजी करने से दूर रहने की हिदायत दी थी, उसके बावजूद बयान का दौर नहीं थम रहा है. ताजा मामला अब बिहार में 20 सूत्री गठन को लेकर सामने आया है. बीजेपी और जदयू नेताओं ने माना है कि NDA पार्ट वन में 2006 में जिस तरह 20 सूत्री बिंदुओं का गठन किया गया था, उसी तरह इसे फिर से गठन किया जाना चाहिए. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के सभी मोर्चों की बैठक में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के सामने भी ये मुद्दा विधायकों ने उठाया था.
बीजेपी की संयुक्त मोर्चा कार्यकारिणी की बैठक में विधायकों ने पिछले कई वर्षों से 20 सूत्री के गठन नहीं होने पर आपत्ति जताई और इस मसले पर केंद्रीय नेतृत्व से हस्तक्षेप करने की मांग की. बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि बिहार के लिए और सरकार के लिए 20 सूत्री बिंदुओं का गठन काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि जमीनी स्तर पर सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का ये एक माध्यम होता है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में जब एनडीए की सरकार बनी थी, उस वक्त 20 सूत्री का गठन किया गया था. प्रखंड, जिला और मुख्यालय स्तर पर 20 सूत्री का गठन हुआ था.
पटेल ने आगे कहा कि इसमें बीजेपी से राधामोहन सिंह और जेडीयू को तरफ से येजलुल हक को उपाध्यक्ष बनाया गया था. उसके बाद दोबारा एनडीए पार्ट 2 में भी गठन किया गया. लेकिन फुल फ्लेज में नहीं बनाया गया. बाद में वर्ष 2013 में भाजपा सरकार से अलग हो गई और उसके बाद 20 सूत्री का उपाध्यक्ष गुलाम गौस को बनाया गया.
हालांकि, कमेटी पूरी तरह नहीं बनी. अब 2020 में एक बार फिर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की सरकार में 20 सूत्री गठन की मांग जायज है. वहीं, जदयू नेता और शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि बात ठीक है. 20 सूत्री की गठन की प्रक्रिया प्रोसेस में है. बहुत जल्द गठन हो जाएगा. दूसरी ओर बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि उम्मीद है जल्द ही बिहार में 20 सूत्री का गठन कर लिया जाएगा.
जानिए 20 सूत्री के बारे में...
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में 20 सूत्री कार्यक्रम की शुरुआत की थी. उस समय इसका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन था. 1982, 1986 और 2006 में इसका पुनर्गठन किया गया. अभी 2006 की 20 सूत्री कार्यक्रम पूरे देश में चल रही है. कार्यक्रम के संचालन के लिए जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक कमेटी का गठन किया जाता है. 20 सूत्री कमेटी का मुख्य उद्देश्य विभिन्न योजनाओं कि समय पर समीक्षा, पिछडे़ और निर्धन लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना, केंद्र व राज्य सरकार के साथ जिला और प्रखंड स्तर पर योजनाओं को लेकर समन्वय बनाना है. 20 सूत्री कमेटी सरकार की सबसे अंतिम इकाई होती है. इसका गठन नहीं होने से गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं पर असर पड़ता है. इसके माध्यम से मनरेगा, इंदिरा आवास, बीपीएल सहित गरीबों की योजना में जो परेशानी आती है उसका समाधान हो जाता है. इसमें सभी दल के कार्यकर्ताओं को 20 सूत्री कमेटी में जगह दी जाती है और वे आवाज उठाते हैं. इसका गठन गठबंधन की सरकार में सभी दलों की सहमति से ही हो पाता है.
इसमें 20 सूत्र होते हैं- गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा, सबके लिए आवास, शुद्ध पेयजल, सबके लिए स्वास्थ्य, सबके लिए शिक्षा जनशक्ति, किसान मित्र, श्रमिक कल्याण ,अनुसूचित जाति, जनजाति अल्पसंख्यक और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण, महिला कल्याण, बाल कल्याण, युवा विकास, गांव सुधार, पर्यावरण संरक्षण और विकास सामाजिक सुरक्षा ग्रामीण सड़क, ग्रामीण ऊर्जा, पिछड़ा क्षेत्र विकास और ई शासन शामिल होता है.