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ठगी में 420 नहीं अब 316, मर्डर में 302 नहीं 103... जानिए नए कानूनों में किस अपराध के लिए कौन-सी धारा लगेगी?

तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम सोमवार से पूरे देश में लागू हो गए हैं. इन कानूनों ने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है. नए कानून लागू होने से ना सिर्फ धाराएं बदल गई हैं, बल्कि कई प्रावधानों की परिभाषा भी बदल गई है.

देश में आज से तीनों नए कानून लागू हो गए हैं. देश में आज से तीनों नए कानून लागू हो गए हैं.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 12:29 PM IST

देश में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानून अब गुजरे वक्त की बात हो गई है. आज से तीनों नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने आईपीसी (1860), सीआरपीसी (1973) और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह ली है. आज से नए कानून के तहत ही केस दर्ज होने लगे हैं. धाराएं भी बदल गई हैं. जानिए चर्चित नई धाराओं के बारे में...

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भारतीय न्याय संहिता (BNS) में कुल 358 धाराएं हैं. पहले आईपीसी में 511 धाराएं थीं. BNS में 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं. 33 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है. 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है. 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है. छह अपराधों में सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है. अधिनियम में 19 धाराएं निरस्त या हटा दी गई हैं. 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं. 22 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है. 

इसी तरह, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कुल 531 धाराएं हैं. सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं. BNSS में कुल 177 प्रावधान बदले गए हैं. इसमें 9 नई धाराओं के साथ-साथ 39 नई उपधाराएं भी जोड़ी गई हैं. 44 नए प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं. 35 सेक्शन में समय-सीमा जोड़ी गई है और 35 सेक्शन पर ऑडियो-वीडियो प्रावधान जोड़ा गया है. कुल 14 धाराएं निरस्त और हटा दी गई हैं.

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भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं. कुल 24 प्रावधान बदले गए हैं. दो नई धाराएं और छह उप-धाराएं जोड़ी गई हैं. छह प्रावधान निरस्त या हटा दिए गए हैं.

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नए कानून में छीना-झपटी से जुड़े मामले में BNS की धारा 302 के तहत केस दर्ज होगा. पहले आईपीसी में धारा 302 में हत्या से जुड़े मामले का प्रावधान था. इसी तरह, गैर कानूनी रूप से एकत्र होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 144 लगाई जाती है. अब इसे धारा 187 कहा जाएगा.

अपराध IPC (पहले) BNS (अब)
हत्या 302 103
हत्या की कोशिश 307 109
गैर इरादतन हत्या 304 105
लापरवाही से मौत 304A  106
रेप और गैंगरेप 375, 376 63, 64, 70
देश के खिलाफ युद्ध 121, 121A 147, 148
मानहानि 499, 500 356
छेड़छाड़ 354 74
दहेज हत्या 304B 80
दहेज प्रताड़ना 498A 85
चोरी 379 303
लूट 392 309
डकैती 395   310
देशद्रोह 124 152
धोखाधड़ी या ठगी 420 318
मानहानि 499, 500 356
गैर कानूनी सभा 144 187

आईपीसी में मॉब लिंचिंग का जिक्र नहीं था. अब इस अपराध के लिए उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा हो सकती है. इसे बीएनएस की धारा 103 (2) में परिभाषित किया गया है.

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आतंकवाद की श्रेणी में अपराध पर मौत की सजा तक...

भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता, सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को खतरा पैदा करने को आतंकवाद की कैटेगिरी में रखा गया है. BNS की धारा 113 में इसका जिक्र किया गया है. इसमें भारतीय मुद्रा की तस्करी भी शामिल होगी. आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है. आतंकी साजिश रचने के लिए पांच साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है. आतंकवादी संगठन से जुड़ने पर उम्रकैद या जुर्माने का प्रावधान है. आतंकियों को छिपाने पर तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है. जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

राजद्रोह की धारा नहीं

BNS में राजद्रोह से जुड़ी अलग धारा नहीं है. यानी राजद्रोह को समाप्त कर दिया गया है. नए कानून में 'राजद्रोह' को एक नया शब्द 'देशद्रोह' मिला है. IPC की धारा 124A में राजद्रोह का कानून है. नए कानून में देश की संप्रभुता को चुनौती देने और अखंडता पर हमला करने या खतरा पहुंचाने वाले कृत्यों को देशद्रोह में शामिल किया गया है. देशद्रोह से जुड़े मामलों को धारा 147-158 तक परिभाषित किया गया है. धारा 147 में कहा गया है कि देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के दोषी पाए जाने पर फांसी या उम्रकैद की सजा होगी. धारा 148 में इस तरह की साजिश करने वालों को उम्रकैद और हथियार इकट्ठा करने या युद्ध की तैयारी करने वालों के खिलाफ धारा 149 लगाने का प्रावधान है. धारा 152 में कहा गया है कि अगर कोई जानबूझकर लिखकर या बोलकर या संकेतों से या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से प्रदर्शन करके ऐसी हरकत करता है, जिससे विद्रोह फूट सकता हो, देश की एकता को खतरा हो या अलगाव और भेदभाव को बढ़ावा देता हो तो ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर अपराधी को उम्रकैद या फिर 7 साल की सजा का प्रावधान है. 

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