अविश्वास प्रस्ताव पर आज दूसरे दिन की बहस हुई. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने मणिपुर के मुद्दे पर पीएम मोदी पर निशाना साधा. राहुल ने कहा, पीएम मणिपुर नहीं गए. क्योंकि आप उनके लिए मणिपुर भारत में नहीं है. राहुल ने कहा, मणिपुर में हिंदुस्तान की हत्या की गई. आपने मणिपुर को दो हिस्सों में बांट दिया, उसे तोड़ दिया. कार्यवाही के अंत में अमित शाह ने चर्चा की. इसमें उन्होंने मणिपुर हिंसा पर भी बात की.
अमित शाह के संबोधन के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए पीएम मोदी गुरुवार को सदन में रहेंगे. इसके बाद मणिपुर में शांति की अपील की गई और संसद की कार्यवाही को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
विपक्षी गठबंधन ने अपना नाम बदल लिया, जबकि UPA ठीक नाम था. 10 साल सत्ता में भी रह लिए. मैं बताता हूं- 12 लाख करोड़ से ज्यादा के घपले-घोटाले UPA के नाम पर दर्ज थे, कैसे जाते बाजार में. जो कंपनी दिवालिया हो जाती है वो भी नाम बदल लेती है. इन्होंने भी नाम बदल लिया. इनके पास कोई और रास्ता नहीं था. हमें कोई नाम बदलने की जरूरत नहीं है क्योंकि अटल सरकार और अब के 9 साल में कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे सिर झुकाना पड़े, NDA गठबंधन सीना तानकर चुनाव में जाएगा.
सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया कि हमने महाराष्ट्र में सरकार गिराई. जबकि महाराष्ट्र में सबसे पहली सरकार शरद पवार (सुप्रिया के पिता) ने गिराई. वसंत दादा पाटिल की सरकार को गिराकर भारतीय जनसंघ का समर्थन लेकर उन्होंने सरकार बनाई.
शाह ने आगे कहा कि मणिपुर में परिस्थिति से पैदा हुई हिंसा है इसको राजनीति का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए.
अमित शाह आगे बोले कि विपक्ष कहता है कि मोदी ध्यान नहीं रखते. मैं बताना चाहता हूं कि 3, 4 और 5 मई को पीएम लगातार एक्टिव थे. 3 मई को ही वहां हिंसा शुरू हुई थी. रात को 4 बजे मोदी ने फोन पर मुझसे मणिपुर पर बात की. फिर अगले दिन 6.30 बजे फिर फोन करके मुझे उठाया और चर्चा की. तीन दिन तक हमने लगातार काम किया. 16 वीडियो कॉन्फ्रेंस की. वायुसेना का इस्तेमाल किया. डीजीपी बदला.
अमित शाह ने इस सवाल का भी जवाब दिया कि हिंसा के बावजूद सीएम बिरेन सिंह को क्यों नहीं हटाया. शाह बोले कि विपक्ष कहता है कि राज्य में 356 (राष्ट्रपति शासन) क्यों नहीं लगाया. यह तब लगता है जब हिंसा के वक्त राज्य सरकार सहयोग ना करे. हमने डीजीपी बदला, उन्होंने स्वीकार किया. हमने चीफ सेक्रेटरी बदला, उन्होंने स्वीकार कर लिया. सीएम तब बदलना पड़ता है जब सहयोग ना करे, वहां के सीएम सहयोग कर रहे हैं.
शाह ने यह भी कहा कि 4 मई का वीडियो (महिला को नग्न करके घुमाने वाला वीडियो) संसद के सत्र से एक दिन पहले ही क्यों आया. इसपर सवाल उठ रहे हैं. अगर किसी पर वीडियो था तो डीजीपी को देन चाहिए था, आरोपी पहले ही पकड़े जा चुके होते.
अमित शाह ने आगे कहा, 'मैतई-कुकी दोनों समुदायों से कहना चाहता हूं कि हिंसा नहीं बातचीत से समाधान निकालें.'
अविश्वास प्रस्ताव पर बात करते हुए अमित शाह ने कहा कि मैं विपक्ष की इस बात से सहमत हूं कि मणिपुर में हिंसा का तांडव हुआ है. हमें भी दुख है. जो घटनाएं वहां हुई वो शर्मनाक है, लेकिन उसपर राजनीति करना और भी ज्यादा शर्मनाक. ये भ्रम फैलाया गया कि सरकार मणिपुर पर चर्चा नहीं करना चाहती. हम पहले दिन से चर्चा पर तैयार थे, विपक्ष चर्चा नहीं हंगामा चाहता था.
मणिपुर की नस्लीय हिंसाओं को लोगों को समझना होगा. करीब छह साल से मणिपुर में बीजेपी की सरकार है. एक दिन भी वहां कर्फ्यू नहीं लगाना पड़ा. उग्रवादी हिंसा करीब-करीब खत्म हो गई. 2021 में पड़ोसी देश म्यांमार में सत्ता परिवर्तन हुआ. वहां लोकतांत्रिक सरकार गिर गई और मिलिट्री का शासन आ गया. इस बीच वहां कुकी डेमोक्रेटिक फ्रंट ने लोकतंत्र के लिए आंदोलन शुरू किया. फिर वहां की सेना ने इनपर दबाव बनाना शुरू किया. ऐसे में कुकी लोग वहां से शरणार्थियों बनकर मिजोरम और मणिपुर आने लगे.
हमने वहां आए शरणार्थियों परिचय पत्र बनवाया गया. थंब और आई इंप्रेशन लिया गया. इनको वोटर लिस्ट और आधार कार्ड की नेगेटिव लिस्ट में डाला गया.
29 अप्रैल को एक अफवाह फैली कि 58 जो शरणार्थियों की बसावट हैं उनको गांव घोषित कर दिया गया है. इससे मैतई नाराज हो गए. लोगों को लगा ये स्थाई तौर पर यहीं बस जाएंगे. फिर मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले ने आग में तेल डाल दिया. इसने सालों से पेंडिंग पड़ी याचिका पर सुनवाई की और कह दिया कि पहले मैतई को आदिवासी घोषित कर दिया जाएगा. इसके बाद हिंसा हो गई.
नॉर्थ ईस्ट राज्यों पर बात करते हुए अमित शाह ने कहा कि अब वहां हिंसक घटनाओं में कमी आई है. उन्होंने आगे कहा कि देश में ऐसे भी पीएम रहे हैं जो अपने 15-18 साल के कार्यकाल में एक बार भी नॉर्थ ईस्ट नहीं गए, बावजूद इसके विपक्षी दलों को उनपर नाज है. वहीं पीएम मोदी 9 साल में 50 से ज्यादा बार नॉर्थ ईस्ट गए हैं.
शाह ने कहा कि आर्टिकल 370 नेहरू की भूल थी, जिसे मोदी ने हटाया. इसके साथ कश्मीर के अंदर से दो झंडे, दो संविधान खत्म हुए और भारत के साथ इसका पूरा जुड़ाव हुआ.
शाह ने आगे कहा कि उन्होंने विपक्ष से जुड़े एक NGO की रिपोर्ट देखी थी. उसमें लिखा था कि समस्या सुलझाने के लिए हुर्रियत से चर्चा करो. जमीयत से चर्चा करो, पाकिस्तान से चर्चा करो. हम इनमें से किसी से भी चर्चा नहीं करेंगे. हम चर्चा करेंगे तो घाटी की जनता से करेंगे. वो हमारे अपने हैं. अब कश्मीर में किसी आतंकी का जनाजा नहीं निकाला जाता है, क्योंकि जिसको जहां मारा जाता है, वहीं दफन कर दिया जाता है.
विपक्ष कहता है कि वह लोकतंत्र में यकीन करता है. लेकिन यह वहीं देखता कि कश्मीर पर शासन किसने किया. कश्मीर पर तीन परिवारों ने शासन किया. महबूबा मुफ्ती,फारुख परिवार और गांधी परिवार. लेकिन किसी ने पंचायत चुनाव नहीं करवाए. 2018-19 में NDA सरकार ने इसे करवाया. शाह बोले कि पत्थरबाजी की घटनाएं भी अब कम हुई हैं.
शाह बोले कि इसी संसद में विपक्षी दल कहते थे कि जम्मू-कश्मीर से 370 को हटाया तो खून की नदियां बह जाएंगी. लेकिन वहां किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है क्योंकि ये नरेंद्र मोदी की सरकार है.
देश की सुरक्षा पर बोलते हुए शाह ने कहा कि यूपीए सरकार (2004-14) के दौरान सरहद पार से आतंकी घुसते और जवानों के सिर काटकर ले जाते थे. कोई जवाब नहीं देता था. हमारी सरकार में दो बार पाकिस्तान ने हिमाकत की. दोनों बार (सर्जिकल और एयर स्ट्राइक) पाकिस्तान के घर में घुसकर आतंकियों का खात्मा किया. UPA सरकार में सबसे ज्यादा घोटाला रक्षा क्षेत्र में हुआ.
आगे चीन का जिक्र करते हुए अमित शाह ने आरोप लगाया कि चीन की सीमा पर हमारी तोपें ना पहुंच पाए ऐसी स्थिति थी. सड़क ही नहीं बनाई थी, नक्शा ही देखते रहते थे. लेकिन मोदी और राजनाथ सिंह ने सीमा के अंतिम गांव तक, भारत के प्रथम गांव तक सड़क पहुंचाई.
शाह ने आगे राहुल गांधी पर निशाना साधा. वह बोले कि इस सदन में एक ऐसे नेता हैं जिनको 13 बार राजनीति में लॉन्च किया गया. हर बार उनकी लॉन्चिंग फेल हुई. उनकी एक ऐसी ही लॉन्चिंग संसद से हुई थी. एक गरीब मां कलावती (बुंदेलखंड, महोबा) के घर वह नेता भोजन करने गए. फिर संसद में उसकी गरीबी का वर्णन किया. उसके बाद छह साल कांग्रेस की सरकार रही. लेकिन उस कलावती के लिए कुछ नहीं किया. उस कलावती को घर, बिजली, गैस, अनाज, शौचालय, स्वास्थ्य देना का काम नरेंद्र मोदी ने किया. जिस कलावती के घर आप भोजन पर गए, उसे भी मोदी पर अविश्वास नहीं है.
कोरोना पर बात करते हुए अमित शाह बोले कि कोरोना काल में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने जनता से कहा कि ये मोदी वैक्सीन है लेना मत. लेकिन जनता ने मोदी पर विश्वास जताया और सभी डोज लगवाईं. शाह बोले कि लॉकडाउन का भी विरोध किया गया था. विरोधी पार्टियों ने कहा कि लॉकडाउन लग जाएगा तो गरीब क्या खाएगा. लेकिन हमने लॉकडाउन भी लगाया और गरीब को भूखा भी नहीं रखा. 80 करोड़ लोगों को फ्री गेंहू दिए. शाह ने कहा कि विरोधी पार्टियों को मोदी में अविश्वास हो सकता है लेकिन देश की जनता को नहीं. वो मोदी के साथ है.
शाह ने कहा कि जब हम बैंक अकाउंट खोलने की जनधन योजना लेकर आए तो नीतीश कुमार ने हमारा मजाक उड़ाया. कि अकाउंट तो खोल दिया, अंदर क्या डालेंगे, बोनी तो कराओ. नीतीश बाबू हमारी बात सुन लीजिए. 49 करोड़ बैंक खाते खोले जिसमें 2 लाख करोड़ गरीबों के जमा हैं. केंद्र-राज्य सरकार की 300 से ज्यादा योजनाओं का पैसा डायरेक्ट इन खातों में जाता है. ये लोग जनधन योजना का विरोध क्यों कर रहे थे ये समझने वाली बात है. यूपीए के शासनकाल में पीएम रहे (राजीव गांधी) नेता ने कहा था कि मैं दिल्ली से 1 रुपया भेजता हूं लेकिन 15 पैसे ही पहुंचते हैं. उन्होंने ये बात कबूल की क्योंकि सच्चे आदमी थे, नए-नए राजनीति में आए थे. लेकिन मैं अब आगे पूछता हूं कि 85 पैसा कौन ले जाता था. ये पैसा वो ले जाते थे जो जनधन का विरोध कर रहे थे. अमित शाह ने आगे कहा कि कांग्रेस ने कहा सबकुछ लेकिन किया कुछ नहीं. किया बीजेपी ने.
शाह बोले कि कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का नारा दिया. लेकिन गरीबी जस की तस रही. लेकिन मोदी ने इस समस्या को समझा क्योंकि उन्होंने गरीबी देखी थी. पीएम मोदी ने 9 साल में 11 करोड़ से ज्यादा परिवारों को शौचालय दिया. लोग क्लोराइड युक्त पानी पीते थे. मोदी ने हर घर जल योजना से 12 करोड़ से ज्यादा लोगों के घर तक पानी पहुंचाया. कांग्रेस कर्ज माफ करने का लॉलीपॉप देती थी, वहीं बीजेपी का अजेंडा है कि किसान को कर्ज ही ना लेना पड़े.
अविश्वास प्रस्ताव से गठबंधन के चेहरे उजागर होते हैं. तीन का जिक्र करूंगा. दो यूपीए सरकार के खिलाफ थे. एक NDA के खिलाफ.
1993 में नरसिम्हा सरकार थी. उसके खिलाफ प्रस्ताव आया. नरसिम्हा को सरकार किसी भी तरह सत्ता में बने रहना था. नरसिम्हा अविश्वास प्रस्ताव जीत गई. बाद में कई लोगों को जेल की सजा हुई, इसमें नरसिम्हा राव भी शामिल थे. क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को घूस देकर प्रस्ताव पर विजय प्राप्त की गई. आज कांग्रेस और मुक्ति मोर्चा भी वहीं है.
2008 में मनमोहन सरकार विश्वास प्रस्ताव लेकर आई. ऐसा वातावरण था कि इनके पास बहुमत नहीं है. बहुमत था भी नहीं. उस वक्त सबसे कलंकित घटना देखी गई. सांसदों को करोड़ो रुपये की घूस दी गई. कुछ सांसद सदन के सामने आए और संरक्षण मांगा. हालांकि, तब सरकार को बचा लिया गया था.
यूपीए का चरित्र यह है कि अविश्वास प्रस्ताव आए या विश्वास प्रस्ताव लाना पड़े इससे बचने के लिए सारे सिद्धांत, चरित्र, कानून, परंपरा से सत्ता को संभालना होता है.
वहीं 1999 में अटल सरकार थी. अविश्वास प्रस्ताव आया. कांग्रेस ने जो किया वो हम भी कर सकते थे. घूस देके सरकार बचा सकते थे. लेकिन हमने ऐसा नहीं किया. अटल वाजपेयी ने अपनी बात रखी और कहा कि संसद का जो फैसला है वह माना जाए. सिर्फ एक वोट से सरकार चली गई. UPA की तरह हम सरकार नहीं बचा सकते थे? बचा सकते थे लेकिन कई बार प्रस्ताव के वक्त चरित्र उजागर होता है.
कांग्रेस का चरित्र भ्रष्टाचार का है. वहीं बीजेपी चरित्र सिद्धांत के लिए राजनीति करने वाला है. वाजपेयी की सरकार गई लेकिन अगली बार भारी बहुमत से वह जीते और पीएम बने.
शाह बोले भारतीय राजनीति को तीन नासूर- भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टिकरण ने घेर लिया था. पीएम मोदी ने इसे दूर किया. भ्रष्टाचार क्विट इंडिया, परिवारवाद क्विट इंडिया, तुष्टिकरण क्विट इंडिया.
अबतक लोकसभा में 27 अविश्वास और 11 विश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं. इस बार पीएम मोदी और मंत्रीमंडल के प्रति किसी को अविश्वास नहीं है. इसका मकसद सिर्फ जनता में भ्रांति पैदा करना है. दो तिहाई बहुमत से दो बार NDA को चुना गया. सरकार अल्पमत में होने का मतलब ही नहीं है. आजादी के बाद देश में सबसे लोकप्रिय पीएम नरेंद्र मोदी हैं. 9 साल में पीएम ने 50 से ज्यादा ऐसे फैसले लिए जो युगों तक याद रखें जाएंगे.
सांसद फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा में कश्मीरी पंडितों का जिक्र किया. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र के मंत्री ने कहा कि जब से उनकी सरकार आई है जम्मू कश्मीर में बाल विवाह रुक गए हैं. लेकिन वह पूरी तरह गलत हैं. महाराजा हरि सिंह ने 1928 में एक एक्ट बनाया था जिसके तहत वहां बाल विवाहों पर पूरी तरह रोक लगी थी.
दूसरी बात यह है कि कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार इतिहास का काला अध्याय है. जब कबायली हमलावरों ने 1947 में हमला किया तो महाराजा हरि सिंह की सेना छोटी थी. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ने कहा कि हम मिलकर लड़ेंगे. तब कोई हथियार नहीं थे लेकिन जज्बा था. पटियाला रेजिमेंट ने सबसे पहले आकर हमारी मदद की थी.
हमें भारत में रहने पर गर्व है, लेकिन इस देश का भी कुछ कर्तव्य है. सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं. मुस्लिम, सिख, ईसाई सबके लिए. पीएम मोदी सिर्फ एक रंग का प्रतिनिधित्व नहीं करते. सबका करते हैं.
हमने कश्मीरी पंडितों को वापस लाने की कोशिश की. लेकिन तब उनपर हो रहे हमलों की वजह से योजना को रोका गया. आप बताएं कि केंद्र सरकार अबतक कितने कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाने में सफल हुई. एक भी नहीं.
हम कश्मीरी पंडितों के लिए हमेशा खड़े रहे. ऐसा ना कहें कि हम भारत का हिस्सा नहीं हैं. या कि हम पाकिस्तानी हैं. हमने इस मुल्क में रहने के लिए बहुत बलिदान दिए हैं.
कश्मीर को प्यार चाहिए. वहां शांति अभी नहीं आई है. तब ही आप जी20 के डेलिगेशन को गुलमर्ग नहीं लेकर गए. दोस्त बदले जा सकते हैं, पड़ोसी नहीं. दोस्त के साथ प्यार से रहेंगे तो दोनों तरक्की करेंगे. अगर आप (केंद्र सरकार) में दम है तो युद्ध कर लीजिए. हम तो रोक नहीं रहे. लेकिन हमपर शक करना बंद कीजिए, क्योंकि हम इस वतन के साथ खड़े थे, खड़े हैं और खड़े रहेंगे. इसी तरह मणिपुर में भी मोहब्बत से काम करना होगा. प्यार से ही मसले सुलझेंगे.
इसपर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पलटवार भी किया. वह बोले कि हिंदुस्तान की इतनी बड़ी ताकत है, कोई पड़ोसी हमसे लड़ने की हिम्मत नहीं कर सकता. आज पूरे हिंदुस्तान की जनता को पीएम मोदी और देश पर गर्व है.
आरजेडी ने स्मृति ईरानी के बयान पर पलटवार किया. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, पीएम मोदी ने पाकिस्तान जाकर बिरयानी खाई थी. बीजेपी पाकिस्तान को दुश्मन बताती है. बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं तो राहुल गांधी के खाने पर सियासत कर रही है. बीजेपी के पास 2024 में कोई चारा नहीं बचेगा.
स्मृति ईरानी ने कहा, इनका इतिहास खून से सना है. जिन लोगों की हत्या हुई, वे इन लोगों को न्याय के कटघरे में नहीं ला सके. इसलिए मैं उनका जिक्र सदन में कर रही हूं. ये लोग चाहते हैं कि मणिपुर में चर्चा हो. हमारे नेताओं ने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. भागे ये, हम नहीं. भागने के पीछे कारण क्या, गृह मंत्री जब बोलने लगेंगे. ये लोग मौन साध लेंगे.
स्मृति ईरानी ने कहा, ये लोग मौन थे, कई चीजों पर. आज भी मौन हैं. अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट कहती है, इनके करप्शन की वजह से जीडीपी पर 9% असर होगा, लेकिन ये चुप थे. आज भी चुप हैं. यूपीए की सरकार को 2005 में ये ज्ञात हो गया था कि खुले में शौच होने की वजह से महिलाओं का रेप हो रहा है. फिर भी ये चुप थे.
स्मृति ईरानी ने कहा, असम में दंगे हुए थे, हिंसा हुई थी. केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. तब असम में कांग्रेस के नेता तरुण गोगोई ने बयान दिया था कि कांग्रेस की केंद्र सरकार कदम नहीं उठा रही. सेना नहीं भेज रही.
स्मृति ईरानी ने कहा, अभी हाल में राजस्थान के भीलवाड़ा में 14 साल की बेटी के साथ गैंगरेप किया गया. उसके बाद उसे काटा गया. फिर भट्टी में डाला गया. दो महिला सांसद वहां गई थीं. वहां बच्ची का एक हाथ भट्टी के बाहर छूट गया. न्याय की गुहार तब नहीं लगाई, जब बंगाल में 60 साल की महिला के साथ उसके नाती के सामने उसका रेप किया गया. इस पर आप एक शब्द नहीं बोले.
स्मृति ईरानी ने कहा, मैं जोड़ों के दर्द पर कुछ नहीं कहूंगी. लेकिन जिस यात्रा की बात कर रहे हैं. उस दौरान वे कश्मीर में अपने परिजन के साथ बर्फ से खेलते नजर आए, लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि पीएम मोदी द्वारा धारा 370 हटाने के बाद यह संभव हो पाया.
राहुल गांधी के बयान का जवाब स्मृति ईरानी ने दिया. स्मृति ईरानी ने कहा, सबसे पहले आपकी पीठ पर आपके आसन पर जिस प्रकार का आक्रामक व्यवहार देखा, उसका मैं खंडन करती हूं. पहली बार राष्ट्र के इतिहास में भारत माता की हत्या की बात कही गई. कांग्रेस पार्टी यहां पर तालियां बजाती रही. जो भारत की हत्या पर ताली पीटी, इस बात का संकेत पूरे देश को दिया कि मन में गद्दारी किसके है? मणिपुर खंडित नहीं है, विभाजित नहीं है. देश का हिस्सा है. आपके सहयोगी दल के नेता ने तमिलनाडु में कहा, भारत का मतलब मात्र उत्तर भारत है. राहुल गांधी में हिम्मत है, तो डीएमके के अपने साथी का खंडन करके बताएं. कांग्रेस के एक नेता ने कश्मीर में उसका आप खंडन क्यों नहीं करते, जो कश्मीर को भारत से अलग करने की बात करता है.
स्मृति ईरानी ने इस दौरान कश्मीर में पंडितों के साथ हुए अत्याचार का भी जिक्र किया. इस दौरान ईरानी ने गिरिजा टिक्कू, सरला भट्ट के साथ हुई घटनाओं का भी जिक्र किया. स्मृति ने कहा, आप नहीं चाहते कि हम कश्मीरी पंडितों की बात करें. इन्होंने कहा, आंसू बहाए, भ्रमण किया. 84 के दंगों के दौरान पत्रकार प्रणय गुप्ता ने लिखा, बच्चों की हत्या कर, उनके अंगों को मां के मुंह में ठूसा गया.
राहुल ने कहा, जैसे मैंने भाषण की शुरुआत में बोला भारत एक आवाज है. भारत हमारी जनता की आवाज है. दिल की आवाज है. उस आवाज की हत्या आपने मणिपुर में की. इसका मतलब आपने भारत माता की हत्या मणिपुर में की. आपने मणिपुर के लोगों को मारकर भारत माता की हत्या की. आप देशद्रोही हो. आप द्रेशप्रेमी नहीं हो. इसलिए आपके पीएम मणिपुर में नहीं जा सकते हैं. क्योंकि उन्होंने हिंदुस्तान की हत्या की है. भारत माता की हत्या की है. आप भारत माता के रखवाले नहीं हो, आप भारत माता के हत्यारे हो.
इस दौरान स्पीकर ओम बिरला ने राहुल को टोका और कहा कि उन्हें आदर से बात करनी चाहिए. इस पर राहुल गांधी ने कहा कि मैं अपनी मां की हत्या की बात कर रहा हूं. मैं आदर से बोल रहा हूं. हिंदुस्तान की सेना मणिपुर में एक दिन में शांति ला सकती है. लेकिन आपका उसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हो. क्योंकि आप मणिपुर में भारत माता को मारना चाहते हैं. पीएम मोदी अपने दिल की बात नहीं सुनते तो किसकी बात सुनते हैं, सिर्फ दो लोगों की बात सुनते हैं.
राहुल ने कहा, रावण दो लोगों की सुनता था, मेघनाथ और कुंभकर्ण, उसी तरह मोदी सिर्फ दो लोगों की सुनते हैं अमित शाह और अडानी. लंका को हनुमान ने नहीं जलाया था, अहंकार ने लंका को जलाया था. राम ने रावण को नहीं मारा था, अहंकार ने उसे मारा था. आप पूरे देश में केरोसिन फेंक रहे हो. आप हरियाणा को जला रहे हो. आप पूरे देश को जलाने में लगे हो.
राहुल ने कहा, कुछ दिन पहले मणिपुर गया. लेकिन हमारे पीएम नहीं गए. क्योंकि उनके लिए मणिपुर भारत नहीं है. मणिपुर की सच्चाई है कि मणिपुर नहीं बचा है. आपने मणिपुर को दो भागों में बांट दिया है. तोड़ दिया है. मैं राहत शिविरों में गया हूं, मैंने वहां महिलाओं से बात की. एक महिला से पूछा कि क्या हुआ तुम्हारे साथ. उसने कहा, मेरा छोटा सा बेटा, एक ही बेटा था. मेरे आंखों के सामने उसको गोली मारी गई. मैं पूरी रात उसकी लाश के साथ लेटी रही. फिर मुझे डर लगा, मैंने अपना घर छोड़ दिया. मैंने पूछा कि कुछ तो लाई होगी. उसने कहा कि मेरे पास सिर्फ मेरे कपड़े हैं और एक फोटो निकालती है, कहती है कि यही बस मेरे पास बची है.
राहुल गांधी ने कहा, एक और उदाहरण दूसरे कैंप में एक महिला मेरे पास आई. मैंने उससे पूछा, तुम्हारे साथ क्या हुआ? जैसे ही मैंने उससे ये सवाल पूछा, वैसे ही एक सेकंड में वह कांपने लगी. उसने अपनी दिमाग में वह दृश्य देखा और वह बेहोश हो गई. मेरे सामने बेहोश हो गई. मैं ये सिर्फ दो उदाहरण दिए हैं. इन्होंने मणिपुर में हिंदुस्तान की हत्या की है. इन्होंने मणिपुर में हिंदुस्तान को मारा है. हिंदुस्तान का मणिपुर में कत्ल किया है, मर्डर किया है.
राहुल के इस बयान पर सत्तापक्ष ने हंगामा कर दिया. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, मणिपुर में 7 दशक में जो हुआ, उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है. राहुल को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए.
राहुल गांधी ने कहा, यात्रा के दौरान एक किसान ने रुई का बंडल दिया. उसने कहा, मेरे पास राहुल जी यही बचा है. बाकी कुछ नहीं बचा. राहुल ने कहा, मैंने किसान ने पूछा कि उसे बीमा का पैसा मिला. उसने कहा, नहीं...भारत के बड़े उद्योगपतियों ने उसे छीन लिया. राहुल ने कहा, मैंने अजीब सी चीज देखी. उसके दिल में जो दर्द था, वो दर्द मैंने महसूस किया. उसका दर्द मेरा दर्द बन गया.
राहुल ने कहा, लोग कहते हैं कि ये देश है, कोई कहता है कि ये अलग अलग भाषाएं हैं. कोई कहता है कि धर्म है. ये सोना है. ये चांदी है. मगर सच्चाई है कि देश एक आवाज है. यह देश सिर्फ एक आवाज है. दर्द है, दुख है. कठिनाई है. अगर इस आवाज को सुनना है, तो जो हमारा अहंकार है, हमारे सपने उसे किनारे करना पड़ेगा. तभी वो आवाज सुनाई देगी.
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राहुल ने कहा, हर रोज मैं 8-10 किलोमीटर चलता था. तो सोचता था कि मैं 20-25 किलोमीटर चल सकता हूं. मुझे अहंकार था. लेकिन भारत अहंकार को सेकेंड में मिटा देता है. दो तीन दिन में ही मेरे घुटनों में इतना दर्द हुआ कि मेरा अहंकार निकल गया. मेरा अहंकार भेड़िया से चीटी बन गया.
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बोले राहुल गांधी- आज मैं दिमाग से नहीं, दिल से बोलना चाहता हूं
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने कहा, बहुत सारे लोगों ने पूछा कि तुम क्यों चल रहे हो? तुम्हारा मकसद क्या है? तुम कन्याकुमारी से कश्मीर तक क्यों जा रहे हो. शुरुआत में मेरे मुंह से जवाब नहीं निकलता था. शायद मुझे ही नहीं मालूम था कि मैं क्यों यात्रा कर रहा हूं. मैं लोगों को जानना चाहता था, उन्हें समझना चाहता था. थोड़ी देर में मुझे बात समझ आने लगी. जिस चीज के लिए मैं मरने को तैयार, जिस चीज के लिए मोदी की जेलों में जाने के लिए तैयार. जिस चीज को मैंने हर रोज गाली खाई. उस चीज को समझना चाहता था. ये है क्या? जिसने मेरे दिल को इतनी मजबूती से पकड़ रखा था, उसे समझना चाहता था.
राहुल गांधी ने कहा, अध्यक्ष महोदय सबसे पहले मैं आपको मुझे लोकसभा के सांसद के रूप में बहाल करने के लिए धन्यवाद करना चाहता हूं. जब मैंने पिछली बार बात की थी तो शायद मैंने आपको परेशानी दी थी क्योंकि मैंने अडानी पर ध्यान केंद्रित किया था, शायद आपके वरिष्ठ नेता को दुख हुआ... उस दर्द का असर आप पर भी हुआ होगा. इसके लिए मैं आपसे माफी मांगता हूं लेकिन मैंने सच बोला. आज भाजपा के मेरे दोस्तों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज मेरा भाषण अडानी पर केंद्रित नहीं है. आप रिलेक्स कर सकते हैं. शांत रह सकते हैं. मेरा भाषण आज दूसरी दिशा में जा रहा है. रूमी ने कहा था- जो शब्द दिल से आते हैं, वो शब्द दिल में जाते हैं. तो आज मैं दिमाग से नहीं दिल से बोलना चाहता हूं और मैं आप लोगों पर इतना आक्रमण नहीं करूंगा. एक दो गोले जरूर मारूंगा, लेकिन इतने नहीं मारूंगा. आप लोग रिलेक्स कर सकते हैं.
राहुल गांधी संसद पहुंच गए हैं. वे थोड़ी देर में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं.
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि राहुल गांधी 12 बजे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेंगे.
मोदी सरकार बहुमत में है. ऐसे में ये साफ है कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा. सवाल यह उठता है कि पूर्ण बहुमत की मोदी सरकार होने के बावजूद विपक्ष यह अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रहा है? दरअसल, विपक्षी पार्टियों का यह मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर के मामले पर सदन में कोई जवाब नहीं दे रहे हैं लेकिन जब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा, तब प्रधानमंत्री को इस पर सदन के अंदर जवाब देना होगा. यही वजह है कि सभी विपक्षी पार्टियां यह जानती हुए कि उनके पास आंकड़ा नहीं है. बावजूद इसके यह प्रस्ताव लोकसभा में लाया गया.
कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने बताया कि कांग्रेस की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पर वक्ताओं के लिए राहुल गांधी, रेवंत रेड्डी और हेबी ईडन के नाम दिए गए हैं. हालांकि, क्रम में बदलाव हो सकता है. राहुल गांधी आज राजस्थान के दौरे पर जा रहे हैं. वे 3 बजे एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे. माना जा रहा है कि राहुल राजस्थान रवाना होने से पहले चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं.
राहुल गांधी INDIA के बैनर तले सरकार के खिलाफ पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली बहस की शुरुआत करने वाले थे, लेकिन आखिरी मौके पर कांग्रेस ने फैसला बदल दिया. जबकि लोकसभा की कार्रवाई शुरू होने से ऐन पहले कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से बताया गया था कि राहुल गांधी आज सदन में बोलेंगे. राहुल चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित तो थे. लेकिन उन्होंने चर्चा में हिस्सा नहीं लिया. यह देखकर सत्तापक्ष भी हैरान रह गया.
माना जा रहा है कि कांग्रेस ने सोची समझी रणनीति के तहत आखिरी वक्त पर गौरव गोगोई से चर्चा की शुरुआत करने का फैसला किया. दरअसल, पीएम मोदी मंगलवार को चर्चा के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे. केंद्र सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त यानी गुरुवार को जवाब देंगे. माना जा रहा है कि उसी दिन राहुल गांधी भी बोल सकते हैं. कांग्रेस इसे सोची समझी रणनीति बता रही है, जिसके जरिए वो मोदी के सामने राहुल को प्रोजेक्ट करना चाहती है. इसके अलावा गौरव गोगोई नॉर्थ ईस्ट से सांसद हैं और यह अविश्वास प्रस्ताव नॉर्थ ईस्ट के राज्य मणिपुर में हिंसा को लेकर लाया गया है. ऐसे में कांग्रेस की ओर से सरकार को घेरने के लिए काफी मुफीद थे.
बीजेपी सांसद जब चर्चा का जवाब देने के लिए खड़े हुए, तो उन्होंने भी राहुल के न बोलने का जिक्र किया. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, 'मैं सोच रहा था कि राहुल गांधी बोलेंगे, क्योंकि तरह की खबरें आ रही थीं, लेकिन लगता है कि राहुल गांधी आज तैयार नहीं थे. देर से उठे होंगे तो नहीं बोल पाए कोई बात नहीं.' बीजेपी की तरफ से आने वाले इन बयानों से साफ है कि वो सदन में राहुल को घेरने की तैयारी के साथ आए थे, लेकिन जब लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी सदन में चर्चा का विषय बन गए और शुरुआत में ही सत्ता पक्ष को कांग्रेस पर हल्ला बोलने का मौका मिल गया.
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि जहां तक मैं जानता हूं, सुबह ऑफिस में एक चिट्ठी आई थी कि राहुल गांधी बोल रहे हैं. सुबह 11.15 पर चिट्ठी आई. अब 12 बजे क्या हो गया. हम राहुल गांधी को सुनने के लिए उत्साहित हैं.
मणिपुर हिंसा को लेकर गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था. इसे स्पीकर ने स्वीकार कर लिया था. मंगलवार से विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो गई. चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, मणिपुर में हिंसा पर डबल इंजन सरकार पूरी तरह विफल रही. विपक्ष को मजबूरी में अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा, ताकि इस मामले पर प्रधानमंत्री का मौनव्रत तोड़ा जा सके. इतना ही नहीं गोगोई ने पूछा, प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं गए? मणिपुर के मुख्यमंत्री को क्यों नहीं हटाया? उन्हें मणिपुर पर बोलने में 80 दिन क्यों लगे?
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, अविश्वास प्रस्ताव एक गरीब के बेटे के खिलाफ लाया गया है. प्रस्ताव उस शख्स के खिलाफ है जिसने जनता के कल्याण की बात की. उन्होंने सोनिया गांधी पर तंज कसते हुए कहा, अविश्वास प्रस्ताव का एकमात्र मूलमंत्र है, बेटे को सेट करना और दामाद को भेंट करना.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष गलत समय पर गलत तरीके से अविश्वास प्रस्ताव लाया है. आज जब पीएम विश्व नेता के रूप में उभरे हैं और देश तेजी से बढ़ रहा है, तब ऐसे प्रस्ताव की कोई जरूरत नहीं थी. उन्होंने कहा, यह मोदी सरकार थी जिसने इस क्षेत्र (पूर्वोत्तर) पर विशेष ध्यान दिया और कई हिस्सों में रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री चाहते हैं कि पूर्वोत्तर विकास का इंजन बने.
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पूर्वोत्तर राज्यों के सांसदों से मुश्किल से ही मिलते थे, जबकि वे खुद राज्यसभा में असम का प्रतिनिधित्व करते थे. रिजिजू ने मणिपुर की मौजूदा समस्याओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकारों के लापरवाह रवैये को जिम्मेदार ठहराया.