
संसद में लाए गए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त से चर्चा शुरू होगी. इसके बाद 9 और 10 अगस्त को भी इस पर चर्चा होगी. 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर जवाब देंगे. दरअसल, संसद का मॉनसून सत्र विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ता जा रहा है. विपक्ष मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जवाबदेही तय करने और इस हिंसा पर बहस करने की मांग कर रहा है. विपक्ष चाहता है कि पीएम मोदी संसद में इस पर जवाब दें.
यही वजह है कि विपक्षी गठबंधन INDIA की तरफ से कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था. इसी के साथ ही कांग्रेस ने कहा था कि सरकार से लोगों का भरोसा टूट रहा है. हम चाहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा पर कुछ बोलें, लेकिन वह बात ही नहीं सुनते. पीएम सदन के बाहर तो बात करते हैं, लेकिन सदन में कुछ नहीं बोलते.
क्या है अविश्वास प्रस्ताव का नियम?
अगर लोकसभा में किसी विपक्ष दल को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है. संविधान के अनुच्छेद-75 के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है. अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो पीएम समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है.
कोई सदस्य लोकसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावाली के नियम 198(1) से 198(5) के तहत लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है. इसके लिए उसे सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होती है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उस प्रस्ताव को कम से कम 50 सांसदों ने स्वीकृति दी हो. इसके बाद अगर लोकसभा स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के भीतर इस पर चर्चा जरूरी है.
वैसे लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में है. उसके पास 301 सांसद हैं, वहीं एनडीए के पास 333 सांसद हैं. इधर पूरे विपक्ष के पास कुल 142 सांसद हैं. कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 50 सांसद हैं. ऐसे में स्पष्ट है कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव फेल हो जाएगा.
PM को बयान देने पर विवश करना
विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी अहम मुद्दों पर मौन साथ लेते हैं. इससे पहले भी वह कई मुद्दों जैसे-राहुल की सदस्यता, महिला पहलवानों का मुद्दा व अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर चुप्पी साध चुके हैं. विपक्ष की कई मांगों के बाद भी वह मौन रहे हैं. ऐसे में वह अविश्वास प्रस्ताव लाकर पीएम मोदी को बोलने पर मजबूर करेंगे और यह प्रचारित करने की कोशिश करेंगे कि गंभीर मुद्दों पर जवाब देने से बच रहे पीएम मोदी को विपक्षी एकता ने बोलने पर मजबूर कर दिया.
3 मई को शुरू हुई थी हिंसा
मणिपुर पिछले 84 दिन से सुलग रहा है. दरअसल यहां 3 मई से मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय) के बीच खूनी संघर्ष हो रहा है. दरअसल, मैतेई समाज खुद के लिए एसटी दर्जे की मांग कर रहा है और कुकी समाज इसका विरोध कर रहा है. इस हिंसा में अब तक करीब 130 लोगों की मौत हो चुकी है, 400 से ज्यादा बुरी तरह जख्मी हो चुके हैं. यहां पिछले दिनों दो कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराने, उनमें से एक महिला का गैंगरेप करने का मामला सामने आया था, जिसके बाद से वहां माहौल और उग्र हो गया है.