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'कूनो के चीते हमारी जिम्मेदारी, कहीं और शिफ्ट करने की कोई योजना नहीं', बोले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव

मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लगातार हो रही चीतों की मौत को लेकर केंद्रीय वन औऱ पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सरकार चीता प्रोजक्ट को लेकर गंभीर है और हम इस प्रोजक्ट को सफल बनाएंगे.

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की मौत को लेकर उठ रहे हैं सवाल कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की मौत को लेकर उठ रहे हैं सवाल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:31 AM IST

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) से चीतों को शिफ्ट करने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार (चीता पुनरुत्पादन) परियोजना की संवेदनशीलता को जानती है और चाहती है कि यह पूरी तरह सफल हो. 

शिफ्टिंग की कोई योजना नहीं

दरअसल इस साल मार्च से केएनपी में तीन शावकों सहित नौ चीतों की मौत हो चुकी है. केएनपी से चीतों की शिफ्टिंग से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए यादव ने कहा, 'इसके लिए कोई योजना नहीं चल रही है... स्वाभाविक रूप से, संक्रमण मेन वजह रही. मानसून के कारण कीड़ों द्वारा संक्रमण का मामला भी हमारे संज्ञान में आया है. संक्रमण के कारण हमने दो चीतों को खो दिया है. हमने दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया के विशेषज्ञों के साथ भी जानकारी साझा की है और हम इसके प्रबंधन पर आगे बढ़ रहे हैं.'

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उन्होंने कहा, सभी वन अधिकारी और पशुचिकित्सक केएनपी में बहुत मेहनत कर रहे हैं. यह पहला साल (सितंबर 2022 में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से और इस साल फरवरी में क्रमशः)  है जब से चीतों को यहां लाया गया है. उन्होंने कहा कि निरंतर काम यहां के मौसम की स्थिति और उसके प्रभावों को लेकर चर्चा चल रही है.

परियोजना को बनाएंगे सफल

उन्होंने कहा, 'मैं बड़े विश्वास के साथ कह रहा हूं कि हम इस परियोजना में गंभीरता से लगे हुए हैं. हमें प्रत्येक चीते की पूरी चिंता है. सरकार चाहेगी कि यह परियोजना पूरी तरह सफल हो. यह एक लंबी परियोजना है जिसमें हर साल चीतों को आना है. हम इसकी संवेदनशीलता को स्वीकार करते हैं. हम इस परियोजना को सफल बनाएंगे.'

17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से आठ चीतों को केएनपी में लाया गया था, जबकि अन्य 12 चीतों को इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था. मार्च में यहां पैदा हुए चार शावकों में से तीन सहित नौ चीतों की मौत हो गई है, जिससे केएनपी में वर्तमान में एक शावक सहित 15 चीते बचे हैं. हाल ही में 2 चीतों की मौत हुई है. 1952 में देश से इस प्रजाति को विलुप्त घोषित किए जाने के बाद एक पुनरुत्पादन परियोजना के हिस्से के रूप में चीतों को केएनपी में लाया गया था.

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