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हाल ही में कर्नाटक के उडुपी जिले के सरकारी कॉलेज द्वारा कथित तौर पर कुछ छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास में आने पर रोका गया था. इसकी जानकारी जिला अधिकारियों ने दी थी. इस घटना पर भारतीय इस्लामिक संगठन के कुछ सदस्यों और कॉलेज के छात्रों ने आपत्ति जताई थी. ये मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. हिजाब विवाद को सुलझाने के लिए छात्रों, अभिभावकों, सरकारी अधिकारियों और स्कूल प्रबंधन के बीच बैठक होनी थी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. बुधवार को हुई बैठक में शामिल लोगों के अनुसार कोई नतीजा नहीं निकला है. पांच छात्राएं यहां धरने पर बैठ गई हैं.
यह मुद्दा 1 जनवरी से चल रहा है जब तटीय शहर उडुपी में सरकारी प्री- यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रबंधन ने छह मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने के लिए कक्षाओं में बैठने से रोक दिया था. कॉलेज का कहना था कि उनकी ड्रेस कॉलेज के निर्धारित मानदंडों के खिलाफ थी. कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के स्टेट कमेटी के सदस्य मसूद मन्ना ने पहले ट्वीट की एक सीरीज में कहा कि, प्रिंसिपल रुद्र गौड़ा ने छात्राओं को अभिभावकों के साथ कॉलेज बुलाया लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.
मसूद ने इंडिया टुडे टीवी को बताया, ये लड़कियां अपने संवैधानिक अधिकार का पालन कर रही थीं. कॉलेज में काफी धार्मिक भेदभाव हो रहा है. त्योहारों का आयोजन किया जाता है, लेकिन ये लड़कियां हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश नहीं कर सकती. उन्होंने प्रधानाध्यापक पर उनके साथ असभ्य व्यवहार करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया से बात करने के लिए प्रबंधन द्वारा छात्राओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है.
हालांकि, कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष, विधायक रघुपति भट का कहना है कि यह मुद्दा कुछ लोगों द्वारा बनाया जा रहा है और इसका कोई तर्क नहीं है. शुरुआत से ही हिजाब को यूनिफॉर्म के हिस्से के रूप में पहनने की अनुमति नहीं थी. 'एक यूनिफॉर्म है जो सभी पहनते हैं और हिजाब उसका हिस्सा नहीं हैं. हमने इस बारे में सरकार को लिखा है और उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं.' जो छात्र विरोध कर रहे हैं और बाहर बैठे हैं वे जाने के लिए स्वतंत्र हैं, एक टीसी दी जाएगी और वे किसी भी कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं, जहां उन्हें हिजाब पहनने की इजाजत हो.