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अमर्त्य सेन की विश्वभारती से ‘अवैध जमीन’ रखने का आरोप वापस लेने की गुजारिश, लिखा पत्र

नोबल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने विश्वभारती को पत्र लिखकर उन पर और उनके परिवार पर लगाए गए ‘अवैध जमीन’ रखने का आरोप वापस लेने की गुजारिश की है. जानें क्या है पूरा मामला

अमर्त्य सेन की विश्वभारती से ‘अवैध जमीन’ रखने का आरोप वापस लेने की गुजारिश (फाइल फोटो) अमर्त्य सेन की विश्वभारती से ‘अवैध जमीन’ रखने का आरोप वापस लेने की गुजारिश (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 6:17 PM IST
  • अमर्त्य सेन ने बताया परेशान करने की कोशिश
  • 'विश्वभारती जमीन संबंधी आरोप वापस ले'
  • केंद्र के इशारे पर काम कर रहे कुलपति-सेन

नोबल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने विश्वभारती को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय प्रशासन से उन पर और उनके परिवार पर शांति निकेतन परिसर में ‘अवैध जमीन’ रखने का आरोप वापस लेने के लिए कहा है. उन्होंने इसे प्रताड़ित करने की ‘भौंड़ी कोशिश’ बताया है.

अमर्त्य सेन ने विश्वभारती के कुलपति प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती को इस बारे में सोमवार को पत्र लिखा. इससे दो दिन पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने पश्चिम बंगाल सरकार से शांति निकेतन में सेन के प्लॉट की पैमाइश करने के लिए कहा था, ताकि जल्द से जल्द विवाद का स्थायी समाधान निकल सके.

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क्या है जमीन का मामला?

विश्वभारती का आरोप है कि सेन ने विश्वविद्यालय परिसर में एक प्लॉट पर अवैध कब्जा किया हुआ है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस आरोप की पुष्टि के लिए कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं. 

समाचार एजेंसियो के मुताबिक सेन के प्लॉट रखने से जुड़ा विवाद पिछले साल 24 दिसंबर को खड़ा हुआ. उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वभारती के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया था. तब मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर सेन समेत कई अन्य लोगों के नाम पर गलत तरीके से शांति निकेतन परिसर की भूमि को पंजीकृत करने की शिकायत की है.

परेशान करने की भौंड़ी कोशिश बताई
सेन ने अपने पत्र में कहा कि उनके पिता ने यह ‘फ्री-होल्ड’ जमीन बाजार से खरीदी थी ना कि विश्वभारती से, ताकि अपने घर में इसे जोड़ सकेे. वह खुद इसके लिए करों का सालाना भुगतान भी कर रहे हैं. सेन ने पत्र में कहा, ‘‘विश्वभारती ने पश्चिम बंगाल सरकार से हमारे घर ‘प्रतिची’ की पैमाइश करने को कहा है. ताकि उसकी माप की तुलना उनके पिता द्वारा 1940 में विश्वभारती से लंबी अवधि की लीज पर ली गई जमीन से की जा सके. 80 साल पुराने दस्तावेज का यूं अचानक से गलत इस्तेमाल प्रताड़ित करने की ‘भौंड़ी कोशिश’ है’’

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पहले भी कर चुके हैं खंडन
अमर्त्य सेन ने कहा कि इस आरोप में एक बड़े तथ्य की अनदेखी की गयी है, जिसके बारे में वह पहले भी कई बार कह चुके हैं. उनके पिता ने एक बड़ा फ्री-होल्ड प्लॉट बाजार से खरीदा था ना कि विश्वभारती से, ताकि उसे लीज की जमीन पर बने घर के साथ जोड़ा जा सके. इस भूखंड के लिए वह स्वयं खजना और पंचायत करों का सालाना भुगतान करते हैं.

लीज समाप्त होने में वक्त

सेन अब अमेरिका में रहते हैं. उनका कहना है कि उनका मकान लंबी अवधि की लीज वाली जमीन पर बना है और अभी इसकी लीज समाप्त होने का समय भी नहीं आया है.

कुलपति केंद्र के इशारे पर कर रहे ऐसा

अमर्त्य सेन ने अपने पत्र में कहा कि कहा कि विश्वभारती ने इससे पहले कभी भी उनके या उनके परिवार के खिलाफ इस जमीन को लेकर किसी तरह की अनियमितता की शिकायत नहीं की है. कुलपति केंद्र के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं जो ‘धीरे-धीरे राज्य में अपना नियंत्रण बढ़ा रही है.’ 

 

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