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सोनिया गांधी को विशेषाधिकार हनन का नोटिस, राष्ट्रपति मुर्मू को 'Poor Lady' कहने का मामला

भाजपा सांसदों ने सोमवार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के लिए कांग्रेस चेयरपर्सन सोनिया गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया. नोटिस में भाजपा सांसदों ने कहा कि सोनिया गांधी की टिप्पणी देश के सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकार राष्ट्रपति कार्यालय के कद और गरिमा को नीचा दिखाने वाली प्रतीत होती है.

Congress MP Sonia Gandhi. (File photo) Congress MP Sonia Gandhi. (File photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:01 PM IST

भाजपा सांसदों ने सोमवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के लिए कांग्रेस चेयरपर्सन सोनिया गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया. सोनिया गांधी के बयान पर राष्ट्रपति भवन ने बयान जारी कर टिप्पणी को अस्वीकार्य बताया.

दरअसल, 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के बाद सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि राष्ट्रपति अंत तक बहुत थक गई थीं. वह मुश्किल से बोल पा रही थीं. इसके बाद विवाद छिड़ गया था. कांग्रेस नेता के इसी बयान पर भाजपा सांसदों ने आपत्ति जताते हुए उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया.

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नोटिस में भाजपा सांसदों ने कहा कि सोनिया गांधी की टिप्पणी देश के सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकार राष्ट्रपति कार्यालय के "कद और गरिमा को नीचा दिखाने वाली" प्रतीत होती है. ऐसी टिप्पणी न केवल कार्यालय की गरिमा को कमजोर करती है, बल्कि संसदीय प्रक्रियाओं और परंपराओं की पवित्रता का भी उल्लंघन करती है. राष्ट्रपति के खिलाफ सोनिया गांधी के बयानों से किसी भी तरह से संसदीय विशेषाधिकार का लाभ नहीं मिल सकता.

'नहीं बोलने चाहिए अपमानजनक शब्द'

भाजपा सांसदों ने कहा कि संसदीय नैतिकता और आचार संहिता ये निर्धारित करती है कि किसी भी सदस्य को दूसरों के खिलाफ अपमानजनक शब्द नहीं बोलने चाहिए. इस तरह की टिप्पणी सोनिया गांधी की कुलीन और आदिवासी विरोधी मानसिकता को स्पष्ट करती है जो एक आदिवासी गरीब के संघर्ष और संवेदनशीलता को अभी तक नहीं समझ पाई है.

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'जरूरी है कार्रवाई'

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए भाजपा सांसदों ने सोनिया गांधी के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई" की मांग की और कहा कि एक सांसद द्वारा विशेषाधिकार का दुरुपयोग पचाना मुश्किल था. इस तरह की कार्रवाई न केवल संसदीय नियमों की पवित्रता को बनाए रखने के लिए जरूरी है, बल्कि हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों के प्रभावी कामकाज के लिए शिष्टाचार और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों को मजबूत करने के लिए भी जरूरी है.

उन्होंने कहा, "इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, खासकर जब यह भारत के राष्ट्रपति से संबंधित है. हम अनुरोध करते हैं कि इस अपमानजनक आचरण के लिए सोनिया गांधी के खिलाफ संसदीय विशेषाधिकार, नैतिकता और औचित्य के उल्लंघन के लिए अनुकरणीय कार्रवाई शुरू की जाए."

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