
इंडिया टुडे/आज तक के कार्यक्रम 'INDIA TODAY STATE OF THE STATE: UTTARAKHAND FIRST' के कार्यक्रम में पहुंचे इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक शौर्य डोभाल (Shaurya Doval) ने कहा कि उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा मिले 23 साल हो गए हैं. लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं. हालांकि, इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उत्तराखंड ने अथाह विकास किया है.
उन्होंने कहा कि लोगों को सबसे पहले समझना पड़ेगा कि उत्तराखंड अलग राज्य बना कैसे. साल 2000 में उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा मिला. इसके पीछे पहचान का मुद्दा (Issue of Identity) था. 1990 के दशक में उत्तराखंड के लोगों ने इसे लेकर संघर्ष करना शुरू किया. पहाड़ के लोग उत्तर प्रदेश के लोगों से अलग हैं. उनका रहना, खाना-पीना, संस्कृति सब अलग है.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल ने कहा कि अमूमन उत्तराखंड को भारत का स्विट्जरलैंड के रूप में देखा जाता है. कहा जाता है कि क्या उत्तराखंड के अदंर इतनी संभावनाएं है कि वह भारत का स्विट्जरलैंड बन सके. तो बता हूं कि उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य तो बेजोड़ है ही लेकिन उत्तराखंड के लोगों का कोई सानी नहीं है. मैंने उत्तराखंड के जैसे लोग दुनिया में कहीं नहीं देखे.
माइग्रेशन उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या
उत्तराखंड की मुख्य समस्या माइग्रेशन है. आज की तारीख में तीन लाख लोग राज्य छोड़कर जा चुके हैं. गांव के गांव खाली हो चुके हैं. यह राज्य संभावनाओं से भरा हुआ है. बहुत संसाधन और अवसर यहां हैं लेकिन उन्हें भुनाया नहीं जा रहा. अब ऐसे प्रयास करने चाहिए कि यहां से बाहर जा चुके लोगों को वापस लाया जा सके.
डोभाल ने कहा कि इसके लिए इकोनॉमिक अवसर पैदा करने पड़ेंगे. उत्तराखड़ में 90 फीसदी पहाड़ और 20 फीसदी मैदानी इलाका है. क्षेत्रफल के हिसाब से स्ट्रैटेजी बनानी होगी ताकि लगातार हो रहे माइग्रेशन को रोका जा सके.
तीस अरब डॉलर की इंडस्ट्री है
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड 30 अरब डॉलर की इंडस्ट्री है. इंडस्ट्री को बढ़ाने पर जोर देना होगा. यहां खेती में किसी तरह के कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता. उतराखंड की लोकल मार्केट के अलावा दिल्ली-एनसीआर के लिए उत्पादन को बढ़ाना होगा. सेमीकंडक्टर चिप से लेकर हर्बल तक उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा.
उत्तराखंड की आबादी लगभग एक करोड़ है. पिछले साल यहां 10 करोड़ पर्यटक आए थे जिनमें से अधिकतर धार्मिक पर्यटक थे. उत्तराखंड में बड़ी संख्या में धार्मिक पर्यटक आते हैं लेकिन वे यहां की अर्थव्यवस्था में ज्यादा खर्च नहीं करते. हमें ऐसे पर्यटकों की संख्या बढ़ानी होगी, जो यहां की अर्थव्यवस्धा में बड़ा योगदान दे सके. देहरादून और पंतनगर एयरपोर्ट को वर्ल्ड क्लास एयरपोर्ट में तब्दील करना पड़ेगा.
प्रधानमंत्री मोदी के नौ सालों के कार्यकाल में उत्तराखंड में विकास बहुत हुआ है. यहां सड़कों से लेकर अस्पताल तक इन्फ्रास्ट्रक्चर में बहुत निवेश किया गया है. हमें क्वांटिटी के बजाए क्वालिटी पर जोर देना होगा तभी तेज रफ्तार से और आगे बढ़ पाएंगे.