
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बीच कई लोग फंसे हुए हैं, जो देश छोड़कर भारत आना चाहते हैं. इसी तरह एक नर्स भी अपने बेटे और बेटी के साथ अफगानिस्तान के शरना शहर में फंस गई है. नर्स के साथ उनका एक बेटा और सात साल की बेटी भी है. शरना शहर की राजधानी काबुल से दूरी लगभग 200 किलोमीटर है. शहर में फंसी नर्स काबुल जाने में भी असमर्थ है, क्योंकि उनके आसपास कोई अन्य भारतीय भी नहीं रहते हैं, जिनकी वह मदद ले सके. वहीं, तालिबान के लड़ाके भी उनके घर के बाहर सड़कों पर घूम रहे हैं.
वह जल्द से जल्द देश छोड़ देना चाहती हैं और उनके पास पासपोर्ट और वीजा भी है. उनकी 75 वर्षीय मां ने बताया कि वह अपने घर में फंस गई है और बाहर भी निकल पा रही. उसकी मदद करने के लिए कोई भी नहीं है. जब उनका बेटा कुछ समय पहले घर से बाहर निकला तो उस समय तालिबान के लड़ाकों ने उससे अपनी टीम में शामिल होने के लिए कह दिया.
वहीं, नर्स के 84 वर्षीय बुजुर्ग पिता ने भी भारत सरकार से उनकी बेटी और पोती-पोतों को भारत लाने की अपील की है. उनके पिता ने कहा, ''मैं अपील करता हूं कि जिस हालात में वह है, उसे तुरंत मेरे पास ले आया जाए. मैं तालिबान को अच्छे से जानता हूं और उसे वापस लाने में मेरी मदद करें.'' सिंगल मॉम नर्स अफगानिस्तान से बचने के लिए मदद के लिए किसी से संपर्क करने में असमर्थ हैं. उनकी शादी कोलकाता में एक अफगान से हुई थी और जब उनका बेटा दो साल का था तब अफगानिस्तान चली गई थीं. अभी वह अपने पति से अलग रह रही हैं. जिस क्लिनिक में वह काम करती हैं वह भी फिलहाल बंद है.
उनके एक पड़ोसी का कहना है कि महिला और उसके बच्चों के पास 4-5 दिन का राशन ही बचा है. घर के पास स्थानीय स्टोर खुले हैं, लेकिन वे डर की वजह से किराने का सामान खरीदने के लिए नहीं निकलते हैं. शख्स ने सोशल मीडिया पर विदेश मंत्रालय से संपर्क साधा है. उन्होंने कहा, ''हमने विदेश मंत्रालय को ट्वीट किया है, लेकिन उससे कोई भी हल नहीं निकल सका. हम उम्मीद खो रहे हैं. मैंने सुना है कि एक विमान वहां से बचा है, लेकिन वह हवाई अड्डे तक कैसे पहुंचेगी. तालिबान के लड़ाके अपने घर के बाहर घूम रहे हैं.''