
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा काफी ज्यादा गरमा गया है. जब से सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि महाराष्ट्र निकाय चुनाव में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षित कोटे को खत्म कर दिया जाए, इस पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. अब खबर है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है.
OBC आरक्षण पर केंद्र ले सकता है बड़ा फैसला
बताया जा रहा है कि केंद्र निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के पक्ष में है. वहीं ये भी कहा गया है कि सभी राज्य तब तक कोर्ट द्वारा स्थापित किए गए ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकताओं को पूरा करें.
अब बता दें कि ट्रिपल टेस्ट के अंतर्गत सबसे पहले राज्य को एक कमिशन का गठन करना होगा. वो कमिशन राज्य में पिछड़ेपन की प्रकृति पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा. इसके बाद पिछड़ेपन के आधार पर तय करेगा कि निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग के लिए कितना आरक्षण दिया जा सकता है. सबसे आखिर में कोर्ट ने कहा था कि पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.
किस बात पर है विवाद?
अब क्योंकि दोनों महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार ने इन औपचारिकताओं को पूरा नहीं किया, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने भी बड़ा फैसला लेते हुए 27 प्रतिशत आरक्षित कोटे को खत्म कर दिया. आदेश में कहा गया कि उन सीटों को जनरल कैटिगरी में अधिसूचित करके चुनाव करवाए जाएं.
अब यहां पर ये जानना भी जरूरी हो जाता है कि महाराष्ट्र सरकार लंबे समय से मांग कर रही है कि 2011 की जनगणना के तहत इकट्ठा किया गया इंपेरिकल डेटा केंद्र सभी राज्यों को दे. इसको लेकर राज्य सरकार ने कोर्ट से भी अपील की थी कि वो केंद्र को इस सिलसिले में आदेश थे. लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने से मना कर दि था और सरकार ने भी कहा था कि 2011 के आंकड़े सटीक नहीं हैं.
लेकिन इस बीच अब बात क्योंकि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर आ गई है, ऐसे में केंद्र किसी भी तरह के विवाद में नहीं फंसना चाहता है. इसी वजह से पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है.