
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से आने वाली पहली ऐसी महिला हैं जो इस पद पर पहुंची हैं. ऐसे में बीजेपी की पूरी कोशिश है कि इस मौके को भुनाया जाए और आदिवासी बहुल इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाई जाए. लेकिन ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस रथ को रोकने की तैयारी कर ली है. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के गृह जिला मयूरभंज में दो सिंचाई परियोजनाएं शुरू की हैं.
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शुक्रवार को मयूरभंज जिले का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने दो बड़ी सिंचाई परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इन दोनों प्रोजेक्ट से 27,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचित करने में मदद मिलेगी और करीब 2.5 लाख किसानों को फायदा होगा.
इस मौके पर नवीन पटनायक ने कहा- मैं पंडित रघुनाथ मुर्मू की इस धरा को नमन करता हूं. देशभर में मयूरभंज को अपनी कला और संस्कृति के लिए पहचाना जाता है. मयूरभंज की बेटी, द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से हर ओडिशावासी आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है. मुझे मयूरभंज में इन दो सिंचाई परियोजनाओं की शुरुआत करते हुए बड़ी खुशी हो रही है. इससे जिले के किसानों को बहुत फायदा होगा.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के आदिवासियों के लिए शुरू किए गए कामों का फल अब मिलने लगा है. शिक्षा और रोजगार के माध्यम से आदिवासियों को सशक्त करने की राज्य सरकार की योजना अब काफी आगे तक पहुंच गई है. आदिवासी समुदाय से आने वाले बच्चे अपनी योग्यता और कौशल के बल पर पूरे देश में नाम कमा रहे हैं.
नवीन पटनायक स्वर्णरेखा नदी पर रासगोविंदपुर में मल्टी-पर्पज सिंचाई परियोजनाएं शुरू की हैं. इससे मयूरभंज जिले में 17,000 हेक्टेयर अतिरिक्त कृषि भूमि सिंचित होगी. इस परियोजना पर करीब 685 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. वहीं जिले के 50,000 किसान लाभान्वित होंगे.
मूल तौर पर इस परियोजना का प्रस्ताव जून 1994 में तैयार किया गया था. इन परियोजनाओं का मकसद मयूरभंज और बालासोर जिले में कुल 1.14 लाख हेक्टेयर इलाके को सिंचित बनाना है. इसमें से 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र पहले से सिंचित बनाया जा चुका है.
इसके अलावा उन्होंने देव नदी पर हटीबाड़ी में भी एक सिंचाई परियोजना शुरू की है. इसका मूल प्रस्ताव 1992 में तैयार हुआ था. इससे मयूरभंज और किओनझार जिलों में 10,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचित बनाने में मदद मिलेगी. इससे करीब 2 लाख किसानों को लाभ पहुंचेगा.