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मोरबी हादसे से सबक... ओडिशा का हैंगिंग ब्रिज खतरनाक घोषित, जाने पर रोक, धबलेश्वर मंदिर के होंगे वर्चुअली दर्शन

गुजरात के मोरबी में हुए हैंगिग ब्रिज हादसे के बाद ओडिशा का कटक प्रशासन अलर्ट हो गया है. दरअसल कटक में महानदी के द्वीप पर स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर से शहर को जोड़ने वाला हैंगिंग पुल है. प्रशासन ने अब वहां लोगों के जाने पर रोक लगा दी है.

मोरबी का टूटा हुआ पुल (फाइल फोटो) मोरबी का टूटा हुआ पुल (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:28 AM IST

ओडिशा के कटक में प्रशासन ने गुजरात के मोरबी में हुए हादसे से सबक लेते हुए महानदी के एक द्वीप पर स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर से शहर को जोड़ने वाले पुल को असुरक्षित घोषित कर दिया है. इसलिए उस पुल से आवाजाही रोक दी गई है और भगवान शिव के दर्शन के लिए वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था कर दी है.  

प्रशासन ने मोरबी पुल गिरने की घटना के मद्देनजर यहां लटकते पुल को श्रद्धालुओं के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया और पुल की मरम्मत कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए धारा 144 लागू कर दी. महानदी के द्वीप पर भगवान धबलेश्वर का मंदिर स्थित है. यहां हर साल हजारों भक्त कार्तिक महीने में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कार्तिक महीने के आखिरी 5 दिनों को पंचका के रूप में जाना जाता है, जब बड़ी संख्या में लोग हैंगिंग ब्रिज का उपयोग करके मंदिर जाते हैं. 

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मंदिर तक पहुंचने के लिए होता था नावों का इस्तेमाल 

इससे पहले लोग धबलेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए नावों का इस्तेमाल करते थे. अब वे हैंगिंग ब्रिज को पसंद करते हैं, जिसे 2006 में बनाया गया था. जिले के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पुल का उपयोग करना सुरक्षित नहीं है क्योंकि इसमें दरारें हो गई हैं. 

जिला कलेक्टर ने किया दौरा 

इस बीच कटक के जिला कलेक्टर भबानी शंकर चयनी ने जगह का दौरा करने के बाद बुधवार को कहा कि प्रशासन ने नदी के दूसरी ओर से देवता के आभासी दर्शन की व्यवस्था की है. उन्होंने कहा कि हैंगिंग ब्रिज के पास एलईडी स्क्रीन पर भगवान शिव के वर्चुअल दर्शन का फैसला लिया गया. इसके साथ ही नदी के किनारे एक मूर्ति भी लगाई जाएगी, जहां भक्त पूजा कर सकें. 

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मंदिर के सेवादारों ने किया विरोध 

इसके अलावा प्रशासन ने यह भी फैसला किया कि भक्त सीधे मंदिर से जुड़ने वाले पुल के पास 'गज भोग' और अन्य प्रसाद का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि मंदिर के सेवादारों ने प्रशासन के इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया. एक वरिष्ठ सेवक ने कहा कि हम मंदिर के बजाय एक अस्थायी मूर्ति के पास अनुष्ठान करने के पक्ष में नहीं हैं. अनुष्ठान उस स्थान पर किया जाएगा जहां यह होना चाहिए.  

 

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