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राजस्थान में उम्र बढ़ाकर पेंशन का लाभ ले रहे लोग, फर्जीवाड़े पर आजतक का बड़ा खुलासा

राज्य में जहां एक तरफ असली बुजुर्ग अपने जीवन के लिए जरूरी पेंशन को पाने में सरकारी दफ्तर की सीढ़ियां ही चढ़-उतर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ वोट देने के बदले कम उम्र वालों को 60 साल पार का दिखाकर पेंशन वाला करप्शन किया जा रहा है. आजतक की दस्तक देती रिपोर्ट में इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है.

राजस्थान में ओल्ड ऐज पेंशन के नाम पर धोखाधड़ी. राजस्थान में ओल्ड ऐज पेंशन के नाम पर धोखाधड़ी.
शरत कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:55 AM IST

राजस्थान में ओल्ड ऐज पेंशन के नाम पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. यहां कम उम्र के लोग अपनी उम्र को ज्यादा दिखाकर खुद को पेंशन का पात्र बना रहे हैं और पेंशन का लाभ उठा रहे हैं. राज्य में जहां एक तरफ असली बुजुर्ग अपने जीवन के लिए जरूरी पेंशन को पाने में सरकारी दफ्तर की सीढ़ियां ही चढ़-उतर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ वोट देने के बदले कम उम्र वालों को 60 साल पार का दिखाकर पेंशन वाला करप्शन किया जा रहा है. आजतक की दस्तक देती रिपोर्ट में इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. 

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एक जिले में 5 करोड़ के घोटाले की खबर...

इस फर्जीवांड़े का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले राजस्थान के एक जिले में ही करीब पांच करोड़ रुपए का पेंशन घोटाला सामने आ चुका है. आजतक संवाददाता शरत कुमार जब राजस्थान के इस पेंशन घोटाले के खिलाफ दस्तक देने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट करने उतरे तो उम्र आधार कार्ड में घटी दिखाकर पेंशन धारक बन जाने वाले लोग या तो घर छोड़ भागने लगे या फिर घर के अंदर खुद को बंद कर लिया. 

जानें कैसे होता है फर्जीवाड़ा

नरपत 1974 में पैदा हुए. लेकिन जन्म का साल 1953 लिखाकर 40 साल की उम्र से ही वो पेंशन उठाने लगे जो 60 साल से ज्यादा के बुजुर्गों के लिए सरकार लाई है. ऐसे ही एक शख्स देवाराम की पैदाइश का साल 1970 है. लेकिन अपना जन्म का साल उन्होंने 1961 बताया और फिर 51 साल की उम्र में ही खुद को 60 साल का दिखाकर 2021 से पेंशन खाते में सीधे लेना शुरु कर दिया. ऐसे ही ओमप्रकाश पैदा हुए 1972 में लेकिन कागज पर 1962 की पैदाइश लिखा दी. 48 साल की उम्र में ही 60 साल पार का बन गए. पेंशन पाने लगे. विष्णु तो और भी करामाती निकले. पैदा 1969 में हुए. सरकारी योजना में 1956 लिखाया. 45 साल की उम्र में ही बुजुर्ग बनकर 10 साल से पेंशन लेते मिले हैं.

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पेंशन के असली पात्र लगा रहे चक्कर

पेंशन के असली पात्र इस फर्जीवाड़े की मार झेल रहे हैं.मेहराज शर्मा 68 साल के हैं. मेहराज शर्मा और उनकी पत्नी को 6 महीने से ओल्ड एज पेंशन नहीं मिल रही. जबकि विक्रम सिंह राठौड़ 72 साल के हैं. लेकिन इन्हें अधिकारी पेंशन देने के नाम पर दौड़ा रहे हैं.

कर्मचारी इस तरह कर रहे करप्शन

दरअसल, अधिकारी एक तरफ दावा करते हैं कि सरकार के पास पैसा नहीं है. लेकिन सच्चाई ये है कि सरकार के पास पैसा कम नहीं है, बल्कि सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों ने मिलकर बुजुर्गों की पेंशन स्कीम में करप्शन घोल दिया है. कई ऐसे लोग हैं जिनके पास 40 बीघा जमीन है, आलीशान घर है, लेकिन वो फर्जी दस्तावेजों के सहारे पेंशन खाते में ले रहे हैं. 

यह भी पढ़ें: अवैध रेत खनन मामले में राजस्थान में दस जगहों पर CBI का छापा, मचा हड़कंप

नियमों के मुताबिक, जिनकी सलाना आय 48 हजार रुपए से कम है, उन्हीं को पेंशन मिलेगी. जिनके पास ढाई एकड़ से कम जमीन हो वही तय नियमों के साथ एक हजार एक सौ पचास रुपए हर महीने पेंशन सरकार से पाएंगे. लेकिन गरीबों को सम्मान से जीने का अधिकार दिलाने वाली सरकारी मदद भी कुछ लोग रिश्वत खिलाकर हड़प जा रहे हैं. 

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कैमरे पर सच आया सामने

शरत कुमार इस फर्जीवाड़े की पड़ताल के लिए जयपुर से नागौर पहुंचे. यहां वो बलाया गांव पहुंचे जहां रेवंतराम का घर है. रेवंतराम के असली आधार कार्ड में 10 सितंबर 1975 उम्र लिखी है. लेकिन पेंशन के लिए बनने वाले जनाधार कार्ड में लिखाया है कि 24 नवंबर 1953 को जन्म हुआ. फोटो की जगह देखिए मैगजीन का कवर पेज लगा दिया है. 2013 में चुनाव के वक्त नेता-अफसरों की मिलीभगत से रेवंतराम की पेंशन तब शुरु हो गई, जब उम्र केवल 38 साल थी. शिकायत हुई तो 2016 में पेंशन रुकी भी लेकिन 2018 के चुनाव के वक्त फिर चालू हो गई. 

अधिकारियों-नेताओं की मिलीभगत से हो रहा भ्रष्टाचार

अकेले नागौर में 5 करोड़ रुपए की पेंशन फर्जी बुजुर्ग उठा ले गए हैं. दरअसल इस पूरे खेल में सरपंच, ग्रामसेवक-ब्लॉक स्तर के अधिकारी,  पेंशन कर्मचारी और स्थानीय नेता शामिल होते हैं. कर्मचारी युवा को बुजुर्ग बनाकर पेंशन के बदले रिश्वत लेते हैं और नेता फर्जीवाड़ा करके पेंशन दिलाने के बदले वोट. 

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