
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने पूरी दुनिया में फिर दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. मामले भी बढ़ रहे हैं और कई देशों में रिकॉर्ड भी टूट रहे हैं. इन चिंताजनक परिस्थितियों में टीकाकरण पर ही सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इसी वजह से WHO की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने एक कार्यक्रम में बड़ा बयान दिया है.
ओमिक्रॉन खतरे के बीच WHO की तैयारी
उन्होंने बताया है कि बदलती परिस्थितियों को देखते हुए वैश्विक महामारी संधि बनाने पर विचार किया जा रहा है. इस बारे में वे कहती हैं कि अब इस मुद्दे पर पूरी दुनिया में विचार हो रहा है. सहमति बन रही है कि वैश्विक महामारी संधि होनी चाहिए.
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि डेल्टा की वजह से वैक्सीन कुछ हद तक कम असरदार हुई थी, लेकिन ओमिक्रॉन के समय ये आंकड़ा और ज्यादा नीचे गिरा है. इससे ये समझ आता है कि ये नया वैरिएंट इंसान के इम्यून सिस्टम को भी चकमा दे सकता है.
वैश्विक महामारी संधि बनाने पर फोकस
अब इस खतरे के बीच डॉ. सौम्या स्वामीनाथन मानती हैं कि वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार साबित होने वाला है. उनके मुताबिक वैक्सीन कम असरदार रह सकती है, लेकिन फिर भी इंसान को बहुत बीमार होने से बचा लेगी. जोर देकर कहा गया है कि इस समय WHO पूरी दुनिया में टीकाकरण अभियान को नई गति देना चाहता है.
जानकारी के लिए बता दें कि अभी कई देश हथियारों और गोला-बारूद से जुड़ी कई संधियों से जुड़े हुए हैं. लेकिन अब कोरोना से जुड़े पहलुओं को भी इसमें शामिल किया जा सकता है. ऐसा होने पर ज्यादा अनुशासन भी रहेगा और सभी देशों को समय रहते जरूरी मदद भी दी जा सकेगी.
WHO आगे क्या करने वाला है?
डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने ये भी बताया है कि कोरोना की लड़ाई के दौरान WHO ने शुरुआत से एक सक्रिय भूमिका निभाई है. जब दुनिया पर कोरोना संकट मंडराना शुरू ही हुआ था, तभी से WHO की तरफ से इलाज पर फोकस दिया गया.
इस बारे में वे कहती हैं कि जब चीन और इटली में कोरोना की पहली लहर आई थी, जब कई लोग अपनी जान गंवा रहे थे, उसी समय हमारी तरफ से क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिए गए थे. इसके बाद हमारी तरफ से 'Solidarity Trial Platform' भी बना दिया गया था. धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता गया और अब भारत भी इसका एक अहम हिस्सा बन चुका है.
बताया गया है कि अब Solidarity Trial Platform के सेकेंड चरण पर फोकस किया जा रहा है. पहले चरण के दौरान Hydroxychloroquine और रेमडेसिविर जैसी दवाइयों पर जोर दिया जा रहा था, अब anti-inflammatory drugs पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जाएगा.